ऑस्ट्रेलियाई वैज्ञानिकों का दावा है कि कोविड के बाद लंबे समय तक रहने वाली स्थिति, जिसे लॉन्ग कोविड कहा जाता है। वह असल में फ्लू के बाद होने वाली समस्याओं से अलग नहीं है।
क्वींसलैंड स्वास्थ्य विभाग के मुख्य स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. जॉन गेरार्ड के नेतृत्व में हुए एक अध्ययन में पाया गया है कि लॉन्ग कोविड किसी भी सांस सम्बन्धी बीमारी जैसे फ्लू के बाद होने वाली समस्याओं जैसा ही है। अध्ययन में पाया गया कि कोविड के एक साल बाद तक लोगों को होने वाली परेशानी किसी और बीमारी के बाद होने वाली परेशानी से ज्यादा गंभीर नहीं होती।
लॉन्ग कोविड कहना बंद करें
डॉ. गेरार्ड का कहना है कि “लॉन्ग कोविड” शब्द का इस्तेमाल बंद कर देना चाहिए क्योंकि यह लोगों में अनावश्यक चिंता पैदा करता है। उन्होंने कहा कि कोविड के बाद कुछ लोगों में जो लक्षण रह जाते हैं वे असली होते हैं, लेकिन ये लक्षण कोविड के बाद ही नहीं बल्कि किसी और सांस सम्बन्धी बीमारी के बाद भी हो सकते हैं।
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अध्ययन में 5112 लोगों को शामिल किया गया, जिनमें से आधे लोगों को कोविड था, कुछ को फ्लू था और कुछ को कोई बीमारी नहीं थी। एक साल बाद इन लोगों से उनके स्वास्थ्य के बारे में पूछा गया। लगभग 16% लोगों में अभी भी कुछ लक्षण थे, लेकिन इनमें से केवल 3.6% लोगों की दैनिक गतिविधियों में ही दिक्कत आ रही थी। अध्ययन में यह पाया गया कि जिन लोगों को कोविड था उनमें लक्षण ज्यादा समय तक रहने की संभावना उतनी ही थी, जितनी कि फ्लू वालों में। दोनों ही समूहों में थकान, दिमाग का धीमा होना और स्वाद और गंध में बदलाव जैसे लक्षण पाए गए।
लॉन्ग कोविड शब्द बनाता है लोगों में डर
डॉ. गेरार्ड का मानना है कि “लॉन्ग कोविड” शब्द का इस्तेमाल लोगों में डर पैदा कर सकता है और इससे इन लक्षणों को समझने में परेशानी हो सकती है। उन्होंने यह भी माना कि उनकी रिसर्च में कुछ कमियाँ हैं, लेकिन कुल मिलाकर यह अध्ययन बताता है कि कोविड के बाद कुछ लोगों को परेशानी हो सकती है, लेकिन यह फ्लू जैसी बीमारियों के बाद होने वाली परेशानियों से बहुत अलग नहीं है।