किडनी की बीमारी का कोई ऐसा इलाज नहीं है जिससे यह पूरी तरह ठीक हो सके। आमतौर पर जब तक किडनी के बीमार होने का पता चलता है, तब तक किडनी इतनी खराब हो चुकी होती है कि उसे ठीक नहीं किया जा सकता है। ऐसी स्थितियों में डायलिसिस और आखिरी पर्याय किडनी ट्रांसप्लांट ही मरीज को बचा पाते हैं।
एक नयी स्टडी में यह पता चला है कि अगर खाने-पीने की आदतों में एक बदलाव किया जाये तो इससे अब तक लाइलाज मानी जाने वाली किडनी की बीमारी का इलाज हो सकता है। इस स्टडी के परिणामों को उम्मीद की एक किरण के तौर पर देखा जा रहा है। अमेरिका के वैज्ञानिकों ने जानवरों पर किए गये एक रिसर्च में पाया कि कुछ दिनों के लिए भोजन में नमक की मात्रा कम करने और शरीर में लिक्विड का लेवल कम हो जाने से किडनी की कुछ सेल्स रिपेयर होने लगती हैं। इससे उनके दोबारा पनपने और किडनी की बीमारियां बढ़ने का रिस्क भी कम हो जाता है।
स्टडी में क्या आया सामने?
दक्षिणी कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के एक स्कूल ऑफ मेडिसिन के स्टेम सेल (NS:SAIL) वैज्ञानिक जैनोस पेटी-पेटर्डी और उनकी टीम ने एक रिसर्च किया। चूहों पर की गयी इस स्टडी में पाया गया कि भोजन में कम नमक और शरीर में तरल पदार्थ की कमी से किडनी की कोशिकाओं की मरम्मत और उनके दोबारा बनने की संभावना कम हो जाती है।
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जर्नल ऑफ क्लिनिकल इंवेस्टिगेशन में छपी एक स्टडी के मुताबिक, इन कोशिकाओं का दोबारा बनना मैक्युला डेंसा (एमडी) नामक क्षेत्र में स्थित अन्य सेल्स की संख्या पर निर्भर करता है। ये नमक की उपस्थिति को महसूस करती हैं और किडनी द्वारा किए जाने वाले फिल्टरिंग, हार्मोन स्राव और अन्य प्रमुख कार्यों पर नियंत्रण रखती है। बता दें फिलहाल किडनी की बीमारी का कोई इलाज नहीं है।
क्या कम नमक खाने से ठीक होगी किडनी?
रिसर्च के लिए टीम ने लैब में चूहों को बहुत कम नमक वाला आहार दिया। साथ ही एसीई अवरोधक दवा दी। इससे उनके शरीर में नमक और तरल पदार्थ का स्तर और कम हो गया। चूहों ने मात्र 15 दिन तक इस आहार का पालन किया क्योंकि ज्यादा लंबे समय तक ऐसा करने से दूसरी गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती थीं।
वैज्ञानिकों ने चूहों की एमडी कोशिकाओं में कुछ जीनों से विशिष्ट संकेतों की भी पहचान की, जिन्हें कम नमक वाले आहार से बढ़ाकर गुर्दे की संरचना और कार्यप्रणाली को पुनर्जीवित किया जा सकता है।
स्टडी से जुड़ी शोधकर्ता पेटी-पेटर्डी ने कहा, “हम किडनी की रिकवरी और रिपेयर के लिए इलाज के नये तरीकों के बारे में सोचने के महत्व को जानते हैं। हम पूरी तरह से आश्वस्त हैं कि यह जल्द ही एक बहुत ही शक्तिशाली और नए चिकित्सीय दृष्टिकोण में बदल जाएगा।”