नागौर जिले में तम्बाकू का सेवन करने वाले लोगों की संख्या लगातार बढ़ रही है। इसमें सबसे अधिक संख्या युवा वर्ग की है। तम्बाकू मुक्त राजस्थान अभियान के तहत दो साल पहले एक एनजीओ की ओर से किए गए सर्वे के अनुसार अकेले नागौर जिले में 6 लाख, 33 हजार 973 लोग तम्बाकू का सेवन करते हैं, जो प्रतिदिन 3.16 करोड़, प्रतिमाह 95 करोड़ और प्रतिवर्ष करीब 12 करोड़ रुपए तम्बाकू पर खर्च कर रहे हैं।
प्रदेश में सबसे अधिक जयपुर में तथा दूसरे स्थान पर अलवर में तम्बाकू का सेवन करने वालों की संख्या है, लेकिन चिंता का विषय यह भी है कि नागौर जिला तम्बाकू सेवन करने वालों में तीसरे स्थान पर है। प्रदेश की बात करें तो कुल 1.21 करोड़ लोग हैं, जो तम्बाकू का सेवन करते हैं, वे प्रतिवर्ष इस पर 22,144 करोड़ खर्च कर रहे हैं। यदि इस राशि का उपयोग शिक्षा या चिकित्सा पर किया जाए तो प्रदेश की तस्वीर बदल सकती है।
पुरुषों के साथ महिलाएं भी पीछे नहीं
नागौर चिकित्सा विभाग के एपिडेमोलॉजिस्ट साकिर खान ने बताया कि भारत सरकार की ओर से 2021-22 में करवाए गए नेशनल फैमेली हैल्थ सर्वे (एनएफएचएस)-5 के अनुसार, नागौर में 5.9 प्रतिशत महिलाएं जो 15 साल या उससे अधिक उम्र की तम्बाकू का सेवन करती हैं। इसी प्रकार पुरुषों की संख्या 44 प्रतिशत है, जो किसी न किसी प्रकार से तम्बाकू का सेवन करते हैं।
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सबसे अधिक शिकार हो रहे युवा
नशे के कारण सबसे अधिक प्रभावित युवा वर्ग है। इससे उनका मानसिक संतुलन खराब हो रहा है। एक बार नशे की लत में पड़ने के बाद इससे निकलना मुश्किल हो रहा है। युवा वर्ग नशीली दवाइयों की लत में इस कदर डूबा रहता है कि इसके दुष्परिणाम के बारे में नहीं सोचता। इसमें छोटे-छोटे बच्चे भी शामिल हैं। सिर्फ लड़के ही नहीं बल्कि इनकी लड़कियां भी शामिल हो रही हैं। इसकी शुरुआत पान गुटखा, तंबाकू आदि से होती है। इसके बाद सिगरेट के साथ बड़े नशे भी करने लगते हैं। तम्बाकू, शराब, दवा के नशे की लत बढ़कर कोकीन, मार्फिन तथा हेरोइन तक पहुंच रही है। विशेषज्ञों के अनुसार, नशे के बढ़ते प्रचलन का एक मुख्य कारण बेरोजगारी भी है। अब नशा स्कूलों, कॉलेजों से लेकर विश्वविद्यालयों तक अपने पांव पसार चुका है।
सरकार की कार्रवाई केवल कागजों पर
प्रदेश सरकार ने तम्बाकू उत्पादों पर रोक को लेकर कई बार आदेश जारी किए हैं, लेकिन बाजार में आज भी गुटखा व तम्बाकू धड़ल्ले से बिक रहे हैं। स्कूलों, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में नशे की सप्लाई पुलिस एवं चिकित्सा विभाग की कारगुजारी पर प्रश्नचिह्न लगाती है। नशे को रोकने के लिए काफी सख्त कानून बनाए गए हैं, लेकिन उनका पालन नहीं होता। यही वजह है कि न तो नशेड़ी ही कम हो रहे और न ही नशे का कारोबार। विशेषज्ञों का कहना है कि हमारे देश में जल्दबाजी में कानून तो बना दिए जाते हैं, लेकिन कानून बनाने से पहले उसके लीकेज ढूंढ़ लिए जाते हैं। राजनेताओं को चुनाव में धन की जरूरत होती है व उनकी तिजोरी ऐसे लोग ही भरते हैं। कई सरकारी अधिकारी भी अपनी जिम्मेदारी को सही ढंग से नहीं निभाते।
तम्बाकू के सेवन से बढ़ रहीं बीमारियां
तम्बाकू चबाने से जहां मुंह का कैंसर व अन्य बीमारियां होती हैं तो वहीं धूम्रपान से फेफड़े खराब हो रहे हैं। तम्बाकू से नपुंसकता एवं हार्ट अटैक की समस्याएं बढ़ रही हैं। ऐसे में युवा पीढ़ी में नशे के बढ़ते प्रचलन पर रोकथाम लगाना अति आवश्यक हो गया है। वरना वह दिन दूर नहीं जब नशे की लत से युवा पीढ़ी छोटी उम्र में ही मौत को दस्तक देने लगेगी। – डॉ. सहदेव चौधरी, कंसलटेंट फिजिशियन व एनसीडी प्रभारी, जेएलएन अस्पताल, नागौर