Pregnancy Care in Climate Change: बदलते मौसम में बीमारियों की चपेट में आना आम बात है, इस दौरान होने वाली बीमारी सीरियस तो नहीं होती है लेकिन थोड़ा परेशान जरूर करती हैं। हालांकि, बदलते मौसम के दौरान कुछ चीजों का ध्यान रखकर हम बीमार पड़ने से बच सकते हैं। लेकिन आम लोगों की तुलना में गर्भवती महिलाओं को बदलते मौसम के दौरान बीमार पड़ने का खतरा ज्यादा रहता है और कई बार वे इस दौरान गंभीर रूप से बीमार पड़ सकती हैं। बदलता मौसम किस प्रकार गर्भवती महिलाओं को नुकसान पहुंचा सकता है और किस प्रकार इससे बचाव किया जा सकता है, चलिए जानते हैं।
गर्भवती महिलाओं को इम्यून सिस्टम पर देना होता है ध्यान | Pregnancy Care in Climate Change
गर्भवती महिलाओं की प्रतिरक्षा प्रणाली में कुछ बदलाव आ जाते हैं या किसी कारण से इम्यून सिस्टम सामान्य रूप से काम नहीं कर पाता है। ऐसा आमतौर पर गर्भावस्था के दौरान होने वाले शारीरिक बदलाव के कारण होता है, जिनमें हार्मोन लेवल में बदलाव और शारीरिक कार्य प्रक्रिया में बदलाव आदि शामिल हैं। गर्भवती महिलाओं के शरीर में एक और प्रमुख बदलाव आता है और वह है बॉडी एक्टिविटी कम हो जाना और इसका सीधा असर उनके इम्यून सिस्टम पर पड़ता है। गर्भवती महिलाओं का इम्यून सिस्टम पूरी तरह से प्रभावित नहीं होता है। इसलिए ऐसे कई तरीके हैं जिनके दौरान महिलाओं का शरीर बदलते मौसम में होने वाले संक्रमण व अन्य रोगों से बच सकता है।
गर्भवती महिलाओं को नुकसान पहुंचाते हैं वातावरण के कुछ कारक | Pregnancy Care in Climate Change
स्वास्थ्य विशेषज्ञों की मानें तो वातावरण के कुछ कारक हैं, जो महिलाओं को नुकसान पहुंचा सकते हैं, जैसे वायु प्रदूषण और तापमान, ज्यादा गर्म या ठंडा होना आदि। ये कारक न सिर्फ गर्भवती महिलाओं के शरीर को प्रभावित करते हैं, बल्कि इससे ग र्भ में पल रहे बच्चे पर भी प्रभाव पड़ता है। तापमान ज्यादा कम होने या बढ़ जाने के कारण माता का शरीर तापमान को रेग्युलेट नहीं कर पाता है और इस कारण से गर्भ में पल रहे भ्रूण के विकसित होने की क्षमता भी प्रभावित हो सकती है।
डॉक्टर के अनुसार बहुत ज्यादा ठंड या गर्म तापमान के संपर्क में आना भी गर्भावस्था से जुड़ी कई जटिलताएं पैदा कर सकता है जिनमें समय से पहले जन्म, बच्चे का वजन सामान्य से कम होना और यहां तक की मृत बच्चा पैदा होने जैसे गंभीर परिणाम हो सकते हैं।
बदलते मौसम में प्रेग्नेंट महिलाएं कैसे रखें ध्यान | Pregnancy Care in Climate Change
गर्भवती महिलाओं को बदलते मौसम में अपनी सेहत का ध्यान रखना जरूरी है और ऐसा करके ही वे गर्भ में पल रहे बच्चे को हेल्दी रख पाएंगी। जितना हो सके गर्भवती महिलाओं को वायु प्रदूषण के संपर्क में नहीं आना चाहिए। प्रेग्नेंसी के दौरान जो भी वैक्सीन लगने हैं, उन्हें समय रहते लगवाते रहें और उचित साफ-सफाई का ध्यान रखें। यदि आपको हेल्थ से जुड़ी किसी भी प्रकार की कोई समस्या महसूस होती है, तो जल्द से जल्द डॉक्टर से इस बारे में बात करें। ऐसा इसलिए क्योंकि इन्फेक्शन जैसी स्थितियों को इलाज जितना जल्दी शुरू किया जाए वह उतना ही आसान रहता है।
जलवायु परिवर्तन का प्रेग्नेंट वूमेन और बच्चों पर गंभीर खतरा | Pregnancy Care in Climate Change
जलवायु परिवर्तन पर अध्ययन करने वाली संयुक्त राष्ट्र की एजेंसियों ने दावा किया है कि दुनिया भर में इसका सबसे अधिक असर गर्भवती महिलाओं और बच्चों की सेहत पर पड़ता है। दुबई में जलवायु परिवर्तन पर वैश्विक पार्टियों (सीओपी 28) के सम्मेलन से पहले संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों द्वारा 21 नवंबर को जारी कॉल फॉर एक्शन में कहा गया है कि गर्भवती महिलाओं, शिशुओं और बच्चों पर जलवायु परिवर्तन के होने वाले असर को हमेशा उपेक्षित किया जाता है। इसे कम करके भी आंका जाता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) में यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज, लाइफ कोर्स के सहायक महानिदेशक ब्रूस आयलवर्ड ने कहा था, “जलवायु परिवर्तन हम सभी के अस्तित्व के लिए खतरा है। हालांकि गर्भवती महिलाओं, शिशुओं और बच्चों को इसके सबसे गंभीर परिणामों का सामना करना पड़ता है।” उन्होंने कहा, “बच्चों के भविष्य को जलवायु परिवर्तन के खतरे से सुरक्षित करने की आवश्यकता है। इसके लिए आवश्यक कदम उठाए जाने की जरूरत है।” संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों की शोध से यह भी पता चला है कि जलवायु परिवर्तन का असर मां के गर्भ में ही शुरू हो जाता है। इससे गर्भावस्था से संबंधित समस्याएं जैसे समय से पहले जन्म, कम वजन और मृत बच्चे का जन्म हो सकता है। गर्भ में प्रभावित होने वाले बच्चों पर जीवनभर इसका असर रहता है और उनके शरीर और मस्तिष्क का विकास प्रभावित होता है।