एक रिपोर्ट के मुताबिक, दुनिया की सबसे बड़ी खाने-पीने की चीज़ें बनाने वाली कंपनी नेस्ले को एशिया और अफ्रीका के देशों में बेचे जाने वाले बच्चों के दूध में चीनी मिलाने का आरोप है. ये रिपोर्ट स्विट्जरलैंड की एक जांच करने वाली संस्था ने तैयार की है.
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इस रिपोर्ट के मुताबिक, नेस्ले एक साल से बड़े बच्चों के दूध “नीडो” और 6 महीने से 2 साल के बच्चों के लिए बनाए जाने वाले सीरियल “सेरेलैक” में चीनी या शहद मिलाती है. जांच में पाया गया कि ब्रिटेन, जर्मनी, स्विट्जरलैंड जैसे विकसित देशों में ये प्रोडक्ट्स शुगर-फ्री (बिना चीनी के) मिलते हैं.
सेरेलैक में चीनी
रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत में, जहां 2022 में नेस्ले की बिक्री 250 करोड़ डॉलर से ज्यादा थी, वहां के सभी सेरेलैक में चीनी मिलाई जाती है. हर बार खाने में औसतन 3 ग्राम चीनी होती है. इसी तरह दक्षिण अफ्रीका में भी हर तरह के सेरेलैक में 4 ग्राम या उससे ज्यादा चीनी होती है. ब्राजील में भी जो सेरेलैक “मूसिलॉन” के नाम से बिकता है, उसमें से 75 फीसदी में चीनी मिलाई जाती है. वहां हर बार खाने में औसतन 3 ग्राम चीनी होती है.
मीठा खाने की आदत पड़ जाती है
ब्राजील के एक पोषण विशेषज्ञ का कहना है कि बच्चों के खाने में चीनी नहीं डालनी चाहिए. इससे उन्हें मीठा खाने की आदत पड़ जाती है और आगे चलकर मोटापा जैसी बीमारियां होने का खतरा बढ़ जाता है.
नेस्ले का कहना है कि वो सभी जरूरी नियमों का पालन करती है और उनके प्रोडक्ट्स बच्चों के लिए पौष्टिक होते हैं. कंपनी ने ये भी कहा है कि पिछले पांच सालों में उन्होंने भारत में सेरेलैक में डाली जाने वाली चीनी की मात्रा 30 फीसदी तक कम कर दी है.