लखनऊ। राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम के अंतर्गत प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान में रोगियों को गोद लिए जाने से संबंधित शासनादेश जारी हो गया है। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी एवं कर्मचारी भी टीबी रोगियों को गोद लेंगे। उन्हें निक्षय मित्र के रूप में जाना जाएगा। उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक द्वारा प्रमुख सचिव, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य को दिए गए निर्देश के चलते जारी शासनादेश में प्रदेश के सभी मुख्य चिकित्साधिकारी, मेडिकल कॉलेजों के प्राचार्य, जिला अस्पतालों के निदेशक/प्रमुख/मुख्य चिकित्सा अधीक्षक/अधीक्षिका को कई महत्वपूर्ण बिंदुओं पर अपेक्षाकृत कार्यवाही के लिए निर्देशित किया गया है।
शासनादेश में निक्षय मित्र के दायित्वों एवं कर्तव्यों का उल्लेख
डिप्टी सीएम ने बताया कि शासनादेश में निक्षय मित्र के दायित्वों एवं कर्तव्यों का उल्लेख किया गया है। निक्षय मित्र के रूप में, सरकारी और गैर-सरकारी संस्थाएं, व्यक्ति, और चिकित्सा कर्मचारी टीबी रोगियों को गोद लेकर उनके स्वास्थ्य, पोषण और मनोवैज्ञानिक देखभाल में योगदान करेंगे। पोषण सहायता, टीबी रोगियों को अतिरिक्त पौष्टिक पैकेज एवं आवश्यक पोषण सामग्री उपचार अवधि में प्रदान की जाएगी। टीबी रोगियों को दवाओं/जांचों की व्यवस्था और स्वास्थ्य निगरानी में मदद की जाएगी। रोगियों का मानसिक स्वास्थ्य बनाए रखने में सहायता की जाएगी।
निक्षय मित्र रजिस्ट्रेशन फॉर्म पर करायें पंजीकरण
उप मुख्यमंत्री ने बताया कि रोगी को गोद लेने की प्रक्रिया में प्रत्येक इच्छुक व्यक्ति https://communitysupport.nikshay.in लिंक पर जाकर निक्षय मित्र रजिस्ट्रेशन फॉर्म पर अपना पंजीकरण कर सकता है। गोद लेने के बाद, टीबी रोगी की चिकित्सा स्थिति पर नियमित निगरानी की जाती है और उन्हें आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध कराई जाती हैं। डिप्टी सीएम ने सभी डॉक्टर्स, नर्सिंग स्टाफ, पैरामेडिकल स्टाफ, और प्रशासनिक कर्मचारियों को निर्देशित किया है कि वे निक्षय मित्र बनकर योजना में सक्रिय रूप से भाग लें और टीबी रोगियों की सहायता करें। गोद लिए गए रोगियों की स्थिति की रिपोर्ट नियमित रूप से प्रस्तुत की जाए। रोगी की उपचार योजना, पोषण स्थिति, और दवा अनुपालन की निगरानी सुनिश्चित की जाए। उन्होंने जानकारी दी कि जो कर्मचारी निक्षय मित्र के रूप में सक्रिय योगदान देंगे, उन्हें विभागीय स्तर पर सम्मानित और प्रोत्साहित किया जाएगा।