भारत की आधी वयस्क आबादी विश्व स्वास्थ्य संगठन के शारीरिक गतिविधि संबंधी मानदंडों को पूरा नहीं करती है यानी शारीरिक तौर पर पूरी तरह फिट नहीं है। पुरुषों (42 %) के मुकाबले महिलाएं (57 %) शारीरिक गतिविधियों के मामले में ज्यादा निष्क्रिय हैं।
लैंसेट ग्लोबल हेल्थ की रिपोर्ट के मुताबिक चिंताजनक यह है कि भारतीय वयस्कों में अपर्याप्त शारीरिक गतिविधियों का प्रतिशत 2000 के 22.3 से बढ़कर 2022 में 49.4 हो गया। इस पर नियंत्रण नहीं किया गया तो 2030 तक 60% आबादी अस्वस्थ होगी। शारीरिक गतिविधियां कम होने से बीमारियों का खतरा बना रहेगा। WHO, वयस्कों के लिए हर हफ्ते कम से कम 150 से 300 मिनट की मध्यम एरोबिक गतिविधियां जरूरी मानता है।
वजह है बैठे बैठे काम करने की आदत
रिपोर्ट के मुताबिक, शारीरिक निष्क्रियता वयस्कों में हार्ट संबंधी बीमारियों, टाइप 2 मधुमेह, मनोभ्रंश और स्तन कैंसर के खतरे बढ़ाती है। दुनियाभर में करीब एक तिहाई (31 फीसदी) वयस्क 2022 में शारीरिक गतिविधियों के अनुशंसित स्तरों को पूरा नहीं कर पाए। अपर्याप्त शारीरिक गतिविधियों के मामले में 195 देशों में भारत 12वें स्थान पर है।
WHO में स्वास्थ्य संवर्धन निदेशक डॉ. रुडिगर क्रेच का कहना है कि ताजा आंकड़े वयस्कों में शारीरिक निष्क्रियता की चिंताजनक प्रवृत्ति की ओर इशारा करते हैं। यह निष्क्रियता कई कारणों से बढ़ रही है। इनमें कामकाज के पैटर्न में बदलाव (ज्यादातर काम बैठे-बैठे करना), पर्यावरण परिवर्तन, वाहनों पर बढ़ती निर्भरता और अवकाश की गतिविधियों में बदलाव (स्क्रीन पर व्यस्तता) शामिल हैं।
महिलाएं नहीं रखती खुद पर ध्यान
रिपोर्ट के मुताबिक भारत, पाकिस्तान और अफगानिस्तान में महिलाओं में अपर्याप्त शारीरिक गतिविधि चिंता का विषय है। विशेषज्ञों का कहना है कि महिलाओं में निष्क्रियता के लिए घर के कामों में उनकी ज्यादा भागीदारी जिम्मेदार है। इससे उन्हें खुद पर ध्यान देने का कम समय मिलता है।