सिर दर्द, थकान, चक्कर आना, कब्ज और नींद में परेशानी, ये वे संकेत हैं जो फास्टिंग के दौरान ज्यादातर लोगों को होता है। नवरात्रि उपवास हों, रमज़ान या फिर इंटरमिटेंट फास्टिंग, किसी भी तरह का उपवास आपके पाचन तंत्र, मूड और नींद को प्रभावित करता है।
हालांकि व्रत या उपवास के अपने फायदे हैं। कुछ लोग इस दौरान वेट लॉस करते हैं, जबकि कुछ ज्यादा शांति का अनुभव करते हैं। मगर कुछ लोगों को लंबी फास्टिंग के दौरान, खासतौर से शुरू के कुछ दिन कुछ समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। उपवास में जब आप एक स्ट्रिक्ट डाइट का पालन करती हैं और दवा नहीं लेना चाहतीं, तो आपके लिए हमारे पास कुछ उपाय हैं, जो बिना दवा के उपवास के दौरान होने वाले दुष्प्रभावों से निपटने में आपकी मदद करेंगे।
सबसे पहले जानते हैं उपवास करना चाहिए या नहीं
एशांका वाही कलनरी न्यूट्रीशनिस्ट, हॉलिस्टिक वेलनेस कोच और ईट क्लीन विद एशांका की संस्थापक हैं। फास्टिंग के साइड इफेक्ट्स के बारे में बात करते हुए वे कहती हैं, “लोग अलग-अलग कारणों से उपवास करते हैं। इन दिनों नवरात्रि चल रहे हैं और अभी रमज़ान खत्म हुए हैं। हालांकि यह धार्मिक कारणों से किया जाने वाला एक प्राचीन अभ्यास है।
मगर अब लोग अपनी हेल्थ और वेट मैनेजमेंट के लिए भी फास्टिंग करते हैं। जो कभी-कभी कब्ज, एसिडिटी और थकान जैसे असुविधाजनक दुष्प्रभावों का कारण बन सकती है। ये समस्याएं आहार, हाइड्रेशन और डेली रुटीन में बदलाव से उत्पन्न हो सकती हैं। इनके लिए तुरंत दवा लेने से बेहतर है कि पहले इनके कारणों को समझा जाए।”
उपवास के दौरान होने वाली समस्याएं
- सिरदर्द
- नींद न आना
- डिहाइड्रेशन
- ज्यादा भूख लगना
- पोषण की कमी
- थकान
- पेट फूलना
- कब्ज
- चिड़चिड़ापन या मूड में बदलाव।
उपवास के दौरान क्यों होती हैं स्वास्थ्य समस्याएं
उपरोक्त समस्याओं के कारणों पर बात करते हुए एशांका कहती हैं, “उपवास के दौरान भोजन का सेवन कम करने के कारण कब्ज हो सकती है। वास्तव में जब आप कम भोजन करते हैं, तो आंतों को उतनी मात्रा में वह नहीं मिल पाता, जितनी मात्रा मल त्याग को उत्तेजित करने के लिए आवश्यक है। इसके अलावा, लोग अक्सर उपवास के दौरान तरल पदार्थ का सेवन कम कर देते हैं, जिससे समस्या और बढ़ जाती है।”
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कुछ लोग उपवास के दौरान असंतुलित और अनियंत्रित डाइट लेने लगते हैं। एशांका कहती हैं, “खाने के पैटर्न में बदलाव के कारण एसिडिटी या गैस्ट्रोएसोफेगल रिफ्लक्स बढ़ सकती है। लंबे समय तक कुछ भी न खाना और किसी एक वक्त में ढेर सारा खाना एक साथ खाना पाचन में गड़बड़ी का कारण बनता है। भोजन के बिना लंबे समय तक रहने से पेट में एसिड जमा हो सकता है, जो अंततः हैवी मील के साथ मिलकर पेट में दबाव डाल सकता है और असुविधा पैदा कर सकता है।”
भोजन हमें केवल ऊर्जा ही नहीं देता, बल्कि हमें खुश रहने में भी मदद करता है। गट हेल्थ और ब्रेन एक दूसरे से मजबूती से जुड़े हुए हैं। यही वजह है कि फास्टिंग के बाद थकान आम है। खासकर उपवास के शुरुआती दिनों में, क्योंकि शरीर को अब वह भोजन नहीं मिल रहा, जिससे उसे शुगर मिल सके। इसकी बजाए अब वह ऊर्जा के लिए संग्रहीत वसा का उपयोग करने की कोशिश कर रहा है। एशांका इस बदलाव को मूड स्विंग्स, नींद न आने और थकान के लिए जिम्मेदार मानती हैं।
बिना दवा के भी फास्टिंग साइड इफेक्ट्स से निपटा जा सकता है
सबसे जरूरी हाइड्रेटेड रहें
जब आप व्रत खोलते हैं यानी गैर-उपवास के घंटों के दौरान खूब पानी पिएं। यह कब्ज को रोकने और समग्र स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है। पानी भी अस्थायी रूप से पेट भर सकता है, भूख कम कर सकता है और संभावित रूप से अम्लता कम कर सकता है।
फाइबर युक्त खाद्य पदार्थ खाएं
जब आप खाएं, तो फल, सब्जियां, साबुत अनाज और फलियां जैसे उच्च फाइबर वाले खाद्य पदार्थों पर ध्यान केंद्रित करें। ये खाद्य पदार्थ आंतों में भारीपन पैदा करने में मदद करते हैं, मल त्याग में सहायता करते हैं, और ये ऊर्जा के स्तर को स्थिर बनाए रखने के लिए भी बहुत अच्छे हैं। इसके लिए आप कुट्टू के आटे से बने व्यंजनों या समक के चावल को उपवास के दौरान ले सकती हैं।
अपने भोजन को संतुलित करें
उपवास तोड़ते समय, पेट को भारी होने से बचाने के लिए हल्के और छोटे भोजन से शुरुआत करें। एसिडिटी को कंट्रोल करने और थकान से बचने के लिए प्रोटीन, स्वस्थ वसा और कार्बोहाइड्रेट का संतुलन शामिल करें। आप इसके लिए पनीर, दही और घी को आहार में शामिल कर सकती हैं।
अपने खाने के रूटीन का ध्यान रखें
गैर-उपवास अवधि के दौरान लगातार खाने का शेड्यूल बनाए रखने का प्रयास करें। सोने से कुछ घंटे पहले अपना आखिरी भोजन खाने से भी रात में एसिडिटी को कम करने में मदद मिल सकती है।
हल्की एक्सरसाइज जरूर करें
हल्के से मध्यम व्यायाम, जैसे चलना या योग, बहुत अधिक परिश्रम की आवश्यकता के बिना पाचन को उत्तेजित करने, थकान से निपटने और ऊर्जा के स्तर में सुधार करने में मदद कर सकते हैं।
अपने शरीर की सुनें
उपवास के साथ हर किसी का अनुभव अलग होता है। इस बात पर ध्यान दें कि आपका शरीर किस प्रकार प्रतिक्रिया करता है। उसी के अनुसार अपने आहार, नींद और व्यायाम का रुटीन बनाएं। सेहत में किसी भी तरह के अप्रत्याशित बदलाव को इग्नोर न करें और अपने हेल्थ केयर प्रोवाइडर से संपर्क करें।
यह जरूरी नहीं है कि आप हर छोटी समस्या के लिए दवा का सेवन करें। प्राकृतिक हर्ब्स और परहेज आपके शरीर को इन बदलावों से मुकाबले के लिए तैयार करते हैं। जिससे आप उपवास से जुड़ी कब्ज, एसिडिटी, थकान और मूड स्विग्स जैसी समस्याओं को प्रभावी ढंग से प्रबंधित कर सकती हैं और यहां तक कि रोक भी सकती हैं।
याद रखें, यदि लक्षण बने रहते हैं या आप हाई ब्लड प्रेशर या शुगर की समस्याओं का सामना कर रही हैं, तो निश्चित दवाओं और अपने डॉक्टर की सलाह को इग्नोर न करें।