केरल राज्य में जून और जुलाई के महीने में निपाह वायरस (Nipah Virus) के संक्रमण के खतरे को देखते हुए कई शहरों में अलर्ट जारी किया गया था। करीब तीन महीने बाद एक बार फिर से राज्य में इस संक्रमण ने चिंता बढ़ा दी है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, नौ सिंतबर को मलप्पुरम में एक 24 वर्षीय युवक की संक्रमण से मौत हो गई है। केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने बताया कि मृतक का परीक्षण पुणे के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी में कराया गया था, जहां उसमें निपाह वायरस की पुष्टि हुई। इसके अलावा करीब 151 लोगों के रोगी के संपर्क में आने की आशंका जताई जा रही है, जिनकी निगरानी की जा रही है।
स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज द्वारा साझा की गई जानकारियों के अनुसार, मौत का ये मामला नौ सितंबर का है। इससे पहले उसका चार निजी अस्पतालों में इलाज कराया गया था। इस घटना के देखते हुए राज्य में सभी उच्च जोखिम वाली श्रेणी के लोगों को आइसोलेशन में रहने के लिए कहा गया है। संपर्क में आए संभावित 151 लोगों में से पांच में लक्षण दिख रहे थे, उनके सैंपल भी परीक्षण के लिए भेजे गए हैं। इसके अलावा कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग का काम तेजी से किया जा रहा है जिससे किसी अन्य मामले को रोका जा सके।
केरल में ज्यादा जोखिम
बता दें कि निपाह (Nipah Virus) एक जूनोटिक बीमारी है, जो सुअर और चमगादड़ जैसे जानवरों से मनुष्यों में फैलती है। जानवरों से इंसानों में संक्रमण के अलावा संक्रमित व्यक्ति से दूसरे लोगों को भी इसका खतरा हो सकता है। इसकी मृत्युदर 45-75% तक मानी जाती रही है। साल 2018 से लगातार केरल राज्य इस संक्रमण की चपेट में रहा है।स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं कि ये संक्रमण कई मामलों में गंभीर स्वास्थ्य जटिलताओं का कारण बन सकता है। गंभीर मामलों में इसके कारण इन्सेफलाइटिस (मस्तिष्क की सूजन) हो सकती है, जो कोमा और मृत्यु के खतरे को बढ़ाने वाली मानी जाती है।
कोरोना से भी ज्यादा खतरनाक है निपाह
स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं कि निपाह वायरस कई मामलों में कोरोना से भी खतरनाक संक्रामक रोग माना जाता है। निपाह की वजह से इन्सेफलाइटिस जैसी समस्याओं का जोखिम रहता है, साथ ही इसका मृत्युदर भी बहुत अधिक रहा है। चमगादड़ों को निपाह वायरस संचार का प्रमुख कारण माना जाता है। चमगादड़ों द्वारा दूषित फलों या अन्य भोजन के माध्यम से ये इंसानों में फैल सकता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं कि फलों-सब्जियों को खाने से पहले उसे अच्छी तरह से साफ करें। पक्षियों द्वारा कटा हुआ फल न खाएं।निपाह के लिए अभी तक कोई विशिष्ट उपचार या टीके भी नहीं हैं। इसके जोखिमों में मोनोक्लोनल एंटीबॉडी को कुछ हद तक प्रभावी पाया गया है।
इस संक्रमण से बचाव की सलाह
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, हाथों की नियमित सफाई, फलों, सब्जियों को अच्छे से साफ करना और प्रभावित इलाकों की यात्रा से बचना निपाह के खतरे को कम करने का तरीका हो सकता है।
निपाह वायरस मुख्य रूप से फेफड़ों और मस्तिष्क पर अटैक करता है।
इसके लक्षणों में खांसी और गले में खराश से लेकर तेजी से सांस लेने, बुखार-मतली और उल्टी जैसी गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याएं हो सकती हैं।
चमगादड़ से मनुष्यों में संचरण का जोखिम अधिक होता है और ऐसे में उन स्थानों पर जाने से बचें जहां पर चमगादड़ अधिक हों।
बीमार जानवरों या संक्रमितों के निकट संपर्क से बचाव के लिए प्रयास करते रहें। दस्ताने और अन्य सुरक्षात्मक कपड़े पहनने चाहिए।
निपाह वायरस से संक्रमण वाले रोगियों के साथ निकट शारीरिक संपर्क से बचना चाहिए।