अमेरिका के मेयो क्लिनिक द्वारा किए गए एक अध्ययन के परिणाम सोमवार को सामने आए हैं। इस अध्ययन में पाया गया है कि मरीज की खुद की वसा से निकाले गए स्टेम सेल सुरक्षित हैं और रीढ़ की हड्डी में चोट लगने के कारण लकवा से ग्रस्त (Paralysis) लोगों की संवेदना और गतिशीलता को बेहतर बनाने में मदद कर सकते हैं। शोधकर्ताओं के मुताबिक स्टेम सेल थेरेपी रीढ़ की हड्डी में लगी गंभीर चोट से पीड़ित लोगों के लिए एक सुरक्षित विकल्प हो सकती है।
मेयो क्लिनिक के न्यूरोसर्जन मोहम्मद बायडॉन ने कहा, “यह अध्ययन स्टेम सेल और पुनर्योजी दवा के सुरक्षित होने और संभावित लाभों को दर्शाता है।”
नेचर कम्युनिकेशंस जर्नल में प्रकाशित इस अध्ययन में 10 वयस्क शामिल थे। इनमें से 7 लोगों में सुधार देखे गए, जैसे “सुई चुभने और हल्के स्पर्श के प्रति संवेदना में वृद्धि, मांसपेशियों के समूहों में ताकत में वृद्धि और मल त्याग में सहायक मलाशय को इच्छानुसार सिकोड़ने की क्षमता में सुधार”।
अध्ययन में यह भी पाया गया कि बाकी 3 रोगियों की स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ, लेकिन यह खराब भी नहीं हुई। इलाज के बाद कोई गंभीर दुष्प्रभाव नहीं दर्ज किए गए। सबसे आम दुष्प्रभाव सिरदर्द और मांसपेशियों में दर्द था, जो बिना डॉक्टरी पर्चे वाली दवाओं से ठीक हो गया।
Also Read – दुनिया से खत्म हो जाएंगे सभी पुरुष! उठ रहे इन सवालों की क्या है वजह?
डॉ. बायडॉन ने कहा, “भले ही रीढ़ की हड्डी अपनी कोशिकाओं की मरम्मत या नई कोशिकाएं बनाने की सीमित क्षमता रखती है, फिर भी थोड़ा बहुत सुधार भी उस मरीज के जीवन की गुणवत्ता में महत्वपूर्ण अंतर ला सकता है।”
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) का अनुमान है कि दुनिया भर में हर साल लगभग 2.5 लाख से 5 लाख लोग रीढ़ की हड्डी में चोट का शिकार होते हैं। हालांकि इस स्थिति को सुधारने के लिए विकल्प बेहद सीमित हैं।
डॉ. बायडॉन ने कहा, “वर्षों से रीढ़ की हड्डी में चोट के इलाज में केवल सहारा देने वाले उपचार, जैसे रीढ़ को स्थिर करने वाला ऑपरेशन और फिजियोथेरेपी ही किए जाते रहे हैं।” उन्होंने आगे कहा, “रीढ़ की हड्डी में चोट एक जटिल स्थिति है। भविष्य के शोध में यह पता चल सकता है कि क्या स्टेम सेल को अन्य उपचारों के साथ मिलाकर मरीजों के लिए बेहतर इलाज का एक नया तरीका बनाया जा सकता है।”