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Thyroid: इन पत्तियों में छुपा है थायराइड से लेकर हार्मोनल प्रॉब्लम तक सबका इलाज

Ayurvedic Treatment Thyroid: थायराइड जैसी समस्या को प्राकृतिक रूप से कचनार के पौधे से कंट्रोल किया जा सकता है. यह आयुर्वेदिक पौधा हार्मोनल असंतुलन को ठीक कर मेटाबॉलिज्म को संतुलित करता है. कचनार गुग्गुलु गोली का सेवन थायराइड, पीसीओएस और स्किन प्रॉब्लम जैसी बीमारियों में बेहद प्रभावी माना गया है. थायराइड महिलाओं में होने वाली सबसे आम समस्याओं में से एक है. यह समस्या हार्मोन असंतुलन के कारण होती है. आज के समय में बहुत से लोग हाइपरथायरायडिज्म या हाइपोथायरायडिज्म से पीड़ित होते हैं.

अगर थायराइड हार्मोन अधिक मात्रा में निकलता है, तो इसे हाइपर कहते हैं और अगर यह कम होता है, तो इसे हाइपो कहते हैं. इस बीमारी को कम करने के लिए मार्केट में कई दवाएं उपलब्ध हैं, लेकिन इन दवाओं से रोग को पूरी तरह से ठीक नहीं किया जा सकता है, बल्कि लक्षणों को कंट्रोल किया जा सकता है या बीमारी की प्रगति को धीमा किया जा सकता है. हालांकि, दवाओं के कई साइट इफैक्ट भी होते हैं. इसलिए, इस बीमारी को कंट्रोल में रखने के लिए लोगों को प्राकृतिक औषधियों का उपयोग करना चाहिए. यानी आयुर्वेद की ओर रुख करना चाहिए.

आयुर्वेद में सभी समस्याओं का समाधान मौजूद है. अगर आपको थायराइड है, तो इसे सिर्फ एक चीज से कम किया जा सकता है और वह है कचनार का पौधा. जी हां, इस पौधे की पत्तियों, फूलों और तने का इस्तेमाल आयुर्वेद में सदियों से विभिन्न रोगों को नियंत्रित करने के लिए किया जाता रहा है. जानिए कचनार का पौधा कैसे थायराइड को कंट्रोल कर सकता है.

क्या होता है थायरॉइड? | Ayurvedic Treatment Thyroid

थायराइड एक छोटी, तितली के आकार की ग्रंथि होती है जो गर्दन के सामने, एडम्स एप्पल के ठीक नीचे स्थित होती है. यह शरीर के एंडोक्राइन सिस्टम के लिए बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह ऐसे हार्मोन का उत्पादन करती है जो मेटाबॉलिज्म, वृद्धि और विकास को नियंत्रित करते हैं. थायराइड का पहला और मेन काम शरीर की मेटाबॉलिज्म रेट को कंट्रोल करना है. इसे मेटाबॉलिज्म की मास्टर ग्लैंड भी कहा जाता है. शरीर की मेटाबॉलिज्म रेट को कंट्रोल करने के लिए, यह T4 (थायरोक्सिन) और T3 (ट्राईआयोडोथायरोनिन) हार्मोन का उत्पादन करती है.

अगर आपको थायराइड है, तो यह आसानी से ठीक नहीं होगा. इसके लिए आपको समय पर दवा लेनी होगी और अपने खान-पान का ध्यान रखना होगा. जब हार्मोन्स में गड़बड़ी होती है, तो थायराइड की बीमारी होती है. इसलिए सबसे पहले इस समस्या से पीड़ित लोगों को अपना हार्मोनल संतुलन बनाए रखना चाहिए.

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कैसे कचनार थायराइड को कर सकता है कंट्रोल? | Ayurvedic Treatment Thyroid

कचनार को थायरॉइड के कार्य को नियंत्रित करने की अपनी क्षमता के लिए जाना जाता है. आयुर्वेद के अनुसार, कचनार का उपयोग इस रोग को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है. साथ ही, इसका कोई दुष्प्रभाव भी नहीं है. दिलचस्प बात यह है कि अगर आप इसके पत्तों को देखेंगे, तो वे थायरॉइड ग्रंथि के आकार के समान दिखाई देंगे, वास्तव में इनका आकार थायरॉइड ग्रंथि से काफी मिलता-जुलता है, यानी आप सोच सकते हैं कि अप्रत्यक्ष रूप से यह थायरॉइड के लिए एक औषधि का काम करता है.

यह थायराइड हार्मोन के उत्पादन को उत्तेजित करके हाइपोथायरायडिज्म (अंडरएक्टिव थायराइड) को संतुलित करने में मदद करता है. यानी, यह थायराइड को कम करने में विशेष रूप से कारगर है. आयुर्वेद में, ‘कचनार’ को थायराइड और शरीर में गांठों को कम करने के लिए उपयोगी माना जाता है. इसे रक्त-पित्त और उससे जुड़ी समस्याओं को ठीक करने में भी लाभकारी माना जाता है.

कचनार के पौधे के अन्य लाभ? | Ayurvedic Treatment Thyroid

इसके साथ ही इसका इस्तेमाल कचनार गुग्गुलु बनाने में भी किया जाता है. यह महिलाओं में हार्मोनल समस्याओं, मासिक धर्म की समस्याओं, पीसीओएस आदि को कम करने में काफी कारगर है. यह त्वचा की समस्याओं को कम करने में भी मदद करता है. अगर किसी महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान पेट दर्द ज्यादा होता है, तो वे इसके फूल का काढ़ा बनाकर भी पी सकती हैं. यह दर्द से राहत दिलाने में मदद करता है. सबसे बड़ी बात यह है कि यह शरीर में जमा चर्बी को आसानी से पिघला देता है. यानी यह वजन घटाने में भी उपयोगी है. यह त्वचा में जमा अशुद्धियों को दूर करने में भी मदद करता है और शरीर को डिटॉक्स करने में भी मदद करता है.

इस पौधे के बारे में आयुर्वेद, सिद्ध, यूनानी और ट्रेडिशनल चाइनिज मेडिसीन में भी उल्लेख किया गया है. इंटरनेशनल जर्नल ऑफ फार्मास्युटिकल साइंसेसमें प्रकाशित एक अध्ययन के मुताबिक, यह पौधा डायबिटीज, सूजन, रेस्पिरेटरी प्रॉब्लम और स्किन डिजीज जैसे कई बीमारियों के इलाज में इफेक्टिव बताया गया है. कचनार के पत्तों का अर्क डायबिटीज के मरीजों के लिए फायदेमंद बताया गया है, क्योंकि यह ब्लड शुगर के लेवल को कंट्रोल करने में मदद करता है. बता दें, इसके फूलों का लेप स्किन रिलेटेड समस्याओं जैसे कि एक्जिमा, दाद और खुजली में राहत दिलाता है.

Thyroid & Parathyroid - ENT Health

कैसे करें इसका सेवन? | Ayurvedic Treatment Thyroid

कचनार से ’गुग्गुलु’ नामक गोली बनती है, जिसका उपयोग पीसीओएस, सिस्ट, कैंसर, लिपोमा, फाइब्रॉएड, स्किन डिजीज और आंतरिक-बाह्य ट्यूमर जैसी गंभीर और जानलेवा बीमारियों से राहत दिलाने के लिए किया जाता है. इस दवा को गोली के रूप में ही लेना चाहिए. ये सभी आयुर्वेदिक दुकानों पर उपलब्ध हैं. इनका किसी अन्य तरीके से उपयोग करने से समस्याएं हो सकती हैं, खासकर थायराइड के रोगियों के लिए.

आयुर्वेद के अनुसार, इन गोलियों को सही मात्रा में लेना चाहिए, प्रतिदिन भोजन से पहले एक गोली लेनी चाहिए. इसका उपयोग दिन में दो या तीन बार किया जा सकता है. इसका मतलब है कि हर बार केवल एक गोली ही लेनी चाहिए. इन्हें सीधे लेना सही नहीं है. ठीक से काम करने के लिए, इन गोलियों को गुनगुने पानी के साथ लेना चाहिए.

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