मौसम बदलते ही कई लोगों को खांसी की समस्या शुरू हो जाती है. अगर आपको भी 2-3 दिनों से ज्यादा तक खांसी की समस्या बनी है तो यह गंभीर हो सकता है. चीन, अमेरिका, फिलीपींस, ब्रिटेन और नीदरलैंड समेत दुनिया के कई देशों में काली खांसी के केसेज बहुत तेजी से फैल रहे हैं.
दरअसल, अप्रैल का महीना काफी उतार-चढ़ाव वाला होता है. अगर नॉर्मल खांसी है तो गुनगुना पानी पीकर अक्सर लोग ठीक हो जाते हैं. लेकिन यदि खांसी की समस्या लगातार बनी है तो एक बार जांच जरूर करवा लें.
पहली स्टेज के लक्षण
- नाक बहना या बंद नाक
- लो ग्रेड फीवर (100.4 डिग्री फॉरेनहाइट से कम)
- हल्की या कभी-कभार खांसी
- एप्निया (सांस रुकना)
दूसरी स्टेज के लक्षण
- लंबी और तेज आवाज वाली खांसी
- कई बार खांसने के बाद उल्टी होना
- खांसने के तुरंत बाद थकावट होना
- सांस लेने में मुश्किल
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तीसरी स्टेज के लक्षण
तीसरी स्टेज में लक्षणों में कमी आने लगती है, मगर पूरी तरह खांसी जाने में 1 से 2 महीने लग सकते हैं। इसे रिकवरी स्टेज कहा जाता है।
काली खांसी का इलाज
एक बार इस बीमारी का पता लग जाये तो खांसी शुरू होने से पहले, डॉक्टर आमतौर पर एंटीबायोटिक दवाओं के साथ संक्रमण का इलाज करते हैं। अगर किसी व्यक्ति को 3 हफ्ते से ज्यादा खांसी आ रही है, तो एंटीबायोटिक दवाओं की जरूरत नहीं है, क्योंकि बैक्टीरिया संभवतः शरीर छोड़ चुका है और खांसी एयरवेज को हुए नुकसान का परिणाम है।
इस तरह करें अपना बचाव
खांसी से बचने का सबसे प्रभावी तरीका वैक्सीनेशन है। डीटीएपी वैक्सीन जो डिप्थीरिया, टेटनस और पर्टुसिस से बचाता है। यह नियमित रूप से 2 महीने की उम्र से लेकर शिशुओं और छोटे बच्चों को कई डोज में दिया जाता है।
- साबुन और पानी से नियमित रूप से हाथ धोएं, खासकर खांसने या छींकने के बाद।
- बर्तन या पीने के कप जैसी व्यक्तिगत वस्तुओं को दूसरों के साथ साझा करने से बचें।
- रेस्पिरेटरी ड्रॉपलेट्स को फैलने से रोकने के लिए खांसते या छींकते समय मुंह और नाक को टिशू या कोहनी से ढकें।
- खांसी और सांस की बीमारी जैसे लक्षण नजर आने पर स्कूल, काम या अन्य पब्लिक जगहों पर जाने से बचें।
- अगर आप या परिवार के किसी सदस्य में काली खांसी के लक्षण विकसित हों, तो तुरंत मेडीकल हेल्प लें।