हर माता-पिता का यही सपना होता है कि उनका बच्चा जीवन में सबसे आगे रहे और अच्छा करियर बनाए। इसीलिए, माता-पिता पूरी कोशिश करते हैं कि स्कूली शिक्षा के साथ-साथ बच्चों को एक्स्ट्रा करिकुलम एक्टिविटीज में भी परफेक्ट बनाएं। बच्चों को पढ़ाई के साथ-साथ स्पोर्ट्स, आर्ट्स और अन्य कई तरह की स्किल्स भी सिखाने की कोशिश की जाती है।
एक नयी रिसर्च में यह पाया गया है कि जो माता-पिता अपने बच्चे को सबसे अच्छा बनाने के लिए मेहनत कर रहे हैं उनके लिए यह नुकसानदायक साबित हो रहा है। बच्चों को परफेक्ट बनाने की कोशिश में माता-पिता बीमार और मेंटल लेवल पर बहुत अधिक दबाव महसूस कर रहे हैं।
मां-बाप की मेंटल हेल्थ पर नेगेटिव असर
ओहायो यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने एक रिसर्च की। इस रिसर्च में अमेरिका के 700 से अधिक पेरेंट्स ने भाग लिया। सर्वेक्षण में 57 प्रतिशत माता-पिता ने यह माना कि वह इस चीज से प्रभावित हैं। स्टडी में बताया गया है कि माता-पिता की नाराजगी आंतरिक और बाहरी अपेक्षाओं से जुड़ी हुई है। इसमें यह बात भी शामिल है कि वह कैसा महसूस करते हैं। साथ ही उनकी चिंता में जीवनसाथी के साथ संबंध बनाने और घर को साफ-सुथरा रखने का निर्णय शामिल है।
स्टडी के प्रमुख शोधकर्ताओं में से एक और ओहायो स्टेट कॉलेज ऑफ नर्सिंग में एसोसिएट क्लिनिकल प्रोफेसर केट गॉलिक ने कहा, परफेक्ट पेरेंटिंग का भ्रम इंसान को कमजोर कर सकता है।
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सोशल मीडिया ने बढ़ायी उम्मीदें
चार बच्चों की कामकाजी मां के रूप में अपने अनुभव के आधार पर यह शोध करने वाली गॉलिक ने कहा, मुझे लगता है कि सोशल मीडिया ने वास्तव में इस पैमाने को ऊपर उठा दिया है। माता-पिता के रूप में हमें बच्चों से बहुत उम्मीदें हैं। हमारे बच्चों को क्या करना चाहिए, इसके बारे में हम बहुत कुछ सोचते हैं। फिर, दूसरी तरफ आप अपनी तुलना अन्य लोगों और अन्य परिवारों से कर रहे हैं।
विशेष रूप से माता-पिता का मानसिक स्वास्थ्य और व्यवहार उनके बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव डालता है। यदि बच्चों में कोई मानसिक स्वास्थ्य विकार है तो माता-पिता काफी परेशानी महसूस करते हैं, इसमें उनके बच्चों को अपमानित करने, आलोचना करने, शारीरिक रूप से नुकसान पहुंचाने की संभावना अधिक होती है।
दूसरी ओर, माता-पिता के साथ बिताया गया गुणवत्तापूर्ण समय बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों जैसे चिंता और अवसाद को काफी हद तक कम कर सकता है।
बच्चों की परवरिश के लिए पेरेंट्स करें ये काम
अध्ययन में सुझाव दिया गया है कि माता-पिता बच्चों के साथ अपने संबंधों को बढ़ावा दें और सक्रिय रुप से उनकी बातें सुनें। साथ ही नकारात्मक विचारों को सकारात्मक विचारों में बदलें और बच्चों को लेकर अपनी अपेक्षाओं पर विचार करें।