एक नए शोध में पता चला है कि बच्चों के पेट में मौजूद कीटाणुओं (माइक्रोबायोम) का सीधा संबंध उनके दिमाग के विकास और काम करने के तरीके से होता है. अब तक के शोध बताते थे कि पेट के कीटाणु दिमाग की कुछ बीमारियों में अहम भूमिका निभाते हैं, लेकिन स्वस्थ बच्चों में ये किस तरह दिमाग के विकास को प्रभावित करते हैं, इस पर ज्यादा जानकारी नहीं थी।
अमेरिका के वेलेस्ली कॉलेज के वैज्ञानिकों ने 381 स्वस्थ बच्चों पर शोध किया। उन्होंने पाया कि कुछ खास तरह के पेट के कीटाणुओं, जैसे एलिस्टिप्स ओबेसी और ब्लौटिया वेक्स्लेरा, बच्चों की समझ बढ़ाने में मदद करते हैं। लेकिन, दूसरी तरफ, रूमिनोकोकस ग्नैवस नाम का कीटाणु उन बच्चों में ज्यादा पाया गया जिनके दिमागी विकास थोड़ा कमजोर था।
शोधकर्ताओं का कहना है कि पेट के कीटाणुओं में ऐसे खास जीन होते हैं जो दिमाग के लिए जरूरी कुछ रसायनों को बनाने में मदद करते हैं। इन रसायनों का असर दिमाग की कोशिकाओं पर पड़ता है और इस तरह बच्चों की समझ और सोचने की क्षमता बढ़ती है।
इस शोध में वैज्ञानिकों ने एक मशीन लर्निंग मॉडल भी बनाया है जो पेट के कीटाणुओं को देखकर बच्चों के दिमाग के आकार और उनकी समझ का अंदाजा लगा सकता है। इससे भविष्य में बच्चों के दिमागी विकास की समस्याओं का पहले पता लगाकर उनका इलाज शुरू किया जा सकेगा।
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इस शोध के नतीजे बच्चों के दिमाग के विकास के लिए पोषण और जीवनशैली के महत्व को भी रेखांकित करते हैं। अब डॉक्टर और माता-पिता बच्चों के खान-पान और दिनचर्या में ऐसे बदलाव ला सकते हैं जो उनके पेट के कीटाणुओं को स्वस्थ रखें और उनके दिमाग का बेहतर विकास हो। तो, ये समझ लें कि बच्चों के दिमाग के विकास में उनके पेट के कीटाणुओं का अहम रोल होता है। स्वस्थ कीटाणु बच्चों की समझ बढ़ाते हैं, इसलिए बच्चों के पेट का ध्यान रखना और उनका पोषण ठीक रखना बहुत जरूरी है।