विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की ओर से गुरुवार को प्रकाशित 2023 विश्व मलेरिया रिपोर्ट के अनुसार, 2022 में मलेरिया के सबसे अधिक मामलों और मौतों के मामले में भारत दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र के देशों में शीर्ष पर है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन की हाल ही में प्रकाशित मलेरिया रिपोर्ट के अनुसार, पिछले वर्ष 2022 में मलेरिया के सबसे अधिक मामलों और मौतों के मामले में भारत दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र के देशों में शीर्ष पर है। रिपोर्ट से पता चला है कि 2022 में, दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र के नौ देशों ने वैश्विक स्तर पर मलेरिया का लगभग 2 प्रतिशत योगदान दिया है।
मलेरिया का कारण
मलेरिया का कारण है मलेरिया परजीवी कीटाणु, जो इतने छोटे होते हैं कि उन्हें सिर्फ माइकोस्कोप से ही देखा जा सकता है। ये परजीवी मलेरिया से पीड़ित व्यक्ति के खून में पाये जाते हैं। इनमें मुख्य हैं –
- प्लाजमोडियम वाइवैक्स
- प्लाजमोडियम फैल्सीफेरम
94 प्रतिशत मौतें भारत और इंडोनेशिया में हुईं
मलेरिया के अधिकांश मामले भारत में केंद्रित थे और लगभग 94 प्रतिशत मौतें भारत और इंडोनेशिया में हुईं। वहीं पिछले साल 2022 में मलेरिया के अनुमानित 249 मिलियन मामले थे, जो 2019 में महामारी-पूर्व के 233 मिलियन के स्तर से 16 मिलियन अधिक है।
50 लाख मामले बढ़े
रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले साल की तुलना में 2022 में मलेरिया के 50 लाख अतिरिक्त मामले सामने आए और 5 देशों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ा। पाकिस्तान में सबसे बड़ी वृद्धि देखी गई, 2021 में 500,000 की तुलना में 2022 में लगभग 2.6 मिलियन मामले सामने आए। इथियोपिया, नाइजीरिया, पापुआ न्यू गिनी और युगांडा में भी महत्वपूर्ण वृद्धि देखी गई।
मलेरिया के बढ़ते मामलों की बड़ी वजह
रिपोर्ट में मलेरिया के बढ़ते मामलों में जलवायु परिवर्तन के बढ़ते खतरे पर जोर दिया गया है। इससे पता चला कि तापमान, आर्द्रता और वर्षा में परिवर्तन मलेरिया फैलाने वाले एनोफिलीज मच्छर के व्यवहार और अस्तित्व को प्रभावित कर सकता है। चरम मौसम की घटनाएं, जैसे लू और बाढ़, भी सीधे तौर पर संचरण और बीमारी के बोझ को प्रभावित कर सकती हैं।