अस्थमा के मरीज को सांस संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। अस्थमा का कोई सटीक इलाज नहीं है, इस वजह से अस्थमा की गंभीर स्थितियों से बचने के लिए इससे पीड़ित मरीजों को विशेष सावधानी बरतने की जरूरत होती है। अस्थमा किसी भी उम्र के लोगों को हो सकता है जैसे- बुजुर्ग, बच्चे, वयस्क। फेफड़ों से ऑक्सीजन को बाहर ले जाने वाली नलियों की सूजन और सिकुड़न की वजह से अस्थमा की समस्या हो सकती है। स्थिति काफी ज्यादा गंभीर होने पर अस्थमा अटैक आ सकता है। अस्थमा के मरीजों के लिए अस्थमा का अटैक काफी घातक हो सकता है, लेकिन अगर आप इसके लक्षणों को पहचान लेंगे तो इसके अटैक को रोक सकते हैं।
क्या है अस्थमा अटैक?
मरीज में जब अस्थमा के लक्षण बढ़ने लगते हैं, तो इस स्थिति को अस्थमा का अटैक कहा जाता है। इस स्थिति में फेफड़ों की नलियां और मांसपेशियां सिकुड़ने लगती हैं। ऐसे में व्यक्ति को सांस लेने में काफी परेशानी होती है। अस्थमा का अटैक कई कारणों से हो सकता है। वहीं इसके पीछे प्रदूषण, सिगरेट का धुंआ और जुकाम जैसे कारण भी हो सकते हैं।
अस्थमा अटैक के लक्षण
अस्थमा अटैक के लक्षण व्यक्ति के उम्र पर निर्भर करते हैं। उम्र के अनुसार, अलग-अलग लक्षण होते हैं।
- गले में घरघराहट की आवाज आना
- सीने में दर्द और अकड़न
- छाती में दबाव महसूस होना
- सांस लेने में तकलीफ
- खांसी की परेशानी होना
- नाखूनों और होंठ का नीला पड़ जाना
- रोगी बोलने, खाने या सोने में दिक्कत
- गले और चेस्ट की मसल्स का सिकुड़ना
- इनहेलर का इस्तेमाल करने के बाद भी परेशानी होना।
- अस्थमा के लक्षणों के चलते रात में नींद न आना
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अस्थमा का अटैक आए तो क्या करें?
WHO के अनुसार, अगर किसी व्यक्ति को अचानक से अस्थमा अटैक आता है, तो इस दौरान कुछ विशेष तरीके अपनाकर स्थिति में सुधार लाया जा सकता है, जैसे-
- सबसे पहले मरीजों को सीधे बैठने के लिए कहें।
- इसके बाद धीमी और लगातार सांसे लेने के लिए कहें।
- सांस लेने के लिए इनहेलर का प्रयोग करें।
स्थिति में सुधार न होने पर तुरंत डॉक्टर के पास जाएं। साथ ही अस्थमा के गंभीर स्थिति से बचने के लिए नियमित रूप से टेस्ट कराएं। इससे अस्थमा अटैक में सुधार किया जा सकता है।
क्या कहते हैं वैश्विक आंकड़े
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, अस्थमा पूरी दुनिया में सबसे अधिक बच्चों को अपनी चपेट में ले चुका है। करीब 339 मिलियन से अधिक लोग पूरी दुनिया में अस्थमा के साथ जी रहे हैं। कम और निम्न-मध्यम आय वाले देशों में 80% से अधिक मौत अस्थमा के कारण होती हैं। अस्थमा का सही इलाज और उचित प्रबंधन जीवन को बचाया जा सकता है।