आजकल फिल्मों और वेब सीरीज में एक्शन सीन व क्राइम सीन्स की भरमार होती है. अक्सर देखने में आता है कि कई बार ऐसे क्राइम हो जाते हैं जो हुबहू किसी मूवी, वेब सीरीज या शो से लिए जाते हैं. पहले के वक्त में सिनेमा हॉल या फिर टीवी पर ही शोज और फिल्में देखी जा सकती थी, लेकिन डिजिटल की दुनिया में कंटेंट का स्पेस भी काफी बढ़ गया है और आजकल हर किसी के हाथ में मोबाइल है. इसी वजह से बच्चे आसानी से किसी भी तरह का कंटेंट कंज्यूम कर सकते हैं, लेकिन सवाल ये उठता है कि क्या क्राइम सीन देखकर बच्चों के दिमाग पर बुरा असर पड़ता है.
कहा जाता है कि सिनेमा समाज का आईना होता है, लेकिन आजकल जो कंटेंट देखने को मिल रहा है, उसमें दहशत से भरे सीनों के साथ ही कई ऐसे दृश्य भी होते हैं जो शायद ही आप परिवार के साथ बैठकर देख पाएं और ये कंटेंट बच्चों की पहुंच में होना उनके दिमाग पर किस तरह से असर कर सकता है इस बारे में जानते हैं एक्सपर्ट्स से.
क्राइम सीन्स का बच्चों के दिमाग पर असर
मुंबई की कंसल्टेंट साइकेट्रिस्ट डॉक्टर रूही सतीजा इस बारे में बात करते हुए कहती हैं कि सीरियल्स, वेबसीरीज या फिल्मों में जब बच्चे बार-बार क्राइम सीन्स देखते हैं तो हिंसा के प्रति असंवेदनशील हो सकते हैं यानी किसी मुश्किल सिचुएशन के होने पर वह हिंसा (क्राइम) को एक नॉर्मल चीज की तरह लेने लगते हैं. इस वजह से असल लाइफ में बच्चों में हिंसा की धाराणा को बढ़ावा मिल सकता है जिससे बच्चे आक्रामक हो सकते हैं.
बच्चों में डर की भावना
डॉक्टर रूही सतीजा कहती हैं कि बच्चों के लिए काल्पनिक और असल दुनिया में फर्क करना थोड़ा मुश्किल होता है, इस वजह से कई बार क्राइम सीन्स देखकर बच्चों में आक्रामकता के अलावा डर भी बैठ सकता है.
पेरेंट्स को क्या करना चाहिए
डॉक्टर रूही सतीजा मुताबिक, क्राइम सीन का बच्चों की मेंटल हेल्थ पर नेगेटिव अपेक्ट कम करने के लिए उनसे बैठकर बात करनी चाहिए. इसके अलावा इस बात के प्रति भी अलर्ट रहना चाहिए कि वह जो कंटेंट कंज्यूम कर रहे हैं वह उनके लिए सही है या फिर नहीं.