आजके टाइम में भागदौड़ भरी लाइफस्टाइल के चलते ज्यादातर लोगों को स्ट्रेस और डिप्रेशन जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. काम के बोझ के चलते भी कुछ लोगों के मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर देखने को मिलता है. लेकिन इस तनाव से बचने और सुकून पाने के लिए लोग घूमने-फिरने का प्लान करते हैं. आपने कई लोगों को कहते हुए सुना होगा कि वेकेशंस पर जाने से काफी हद तक तनाव से बचा जा सकता है.
घूमने-फिरने से आपका नजरिया तो बदलता ही है, साथ ही माइंड रिफ्रेश होता है. दो ही दिन की ट्रिप आपके आने वाले दिनों के लिए आपको रिचार्ज करने का काम करती है. लेकिन क्या वाकई घूमने-फिरने से स्ट्रेस दूर हो जाता है?
दिल्ली के इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल में कंसल्टेंट साइकेट्रिस्ट डॉ. शैलेष झा कहते हैं कि घूमने-फिरने से आपको मेंटली रिलैक्स होने का मौका मिलता है. ट्रैवलिंग से आप अपने मानसिक स्वास्थ्य को और ज्यादा बेहतर कर सकते हैं.
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कम होता है स्ट्रेस
डॉ. शैलेष झा कहते हैं कि ट्रैवलिंग हमेशा से ही मानसिक तनाव को कम करना का साधन रही है. घूमने फिरने से आपके वातावरण में बदलाव आता है, जिससे आपका दिमाग भी बदलाव महसूस करता है. रेग्युलर रुटीन से बाहर निकलकर घूमने-फिरने और काम का ब्रेक लेने से तनाव को काफी हद तक कम किया जा सकता है. ट्रैवलिंग के दौरान की जाने वाली फन एक्टिविटीज से दिमाग में स्ट्रेस की जगह नहीं बचती.
इमोश्नी स्ट्रॉन्ग होना
एक्सपर्ट्स का कहना है कि छुट्टियां बिताने से न सिर्फ तनाव कम होता है बल्कि आप पहले से ज्यादा इमोश्नली स्ट्रॉन्ग होते हैं. डॉ. शैलेष झा कहते हैं कि जब आप भावनात्मक रूप से मजबूत बनते हैं तो बेहतर फैसले लेने में सक्षण होते हैं. इसके साथ ही, घूमने-फिरने से हमारे अंदर की क्रिएटिव भी बाहर निकलकर आती है. इसका सिंपल उदाहरण है ट्रैवलिंग से जुड़े रील्स.
नए रिश्ते बनाना
इसके अलावा, ट्रैवलिंग से आप नए रिश्ते बनाने में सक्षम होते हैं. जब हम कहीं घूमने जाते हैं तो नए-नए लोगों से मिलते हैं. इससेलोगों से मिलने- दोस्ती करने और सोशल नेटवर्किंग बढ़ाने का मौका मिलता है.