पायलटों को देखकर लोगों को लगता है कि कितनी लैविश लाइफ होगी, लेकिन हाल ही में हुई एक घटना के बाद से भारत के विमानन सेक्टर में इस समय अनिश्चितता का माहौल बन गया है. पहले ही फ्लाइट लेट हो जाने और लंबे समय तक काम करने के कारण पायलट और बाकी एयरलाइन क्रू मेंबर्स को काफी ज्यादा स्ट्रेस होता है. अभी कुछ समय पहले एक इंडिगो पायलट को यात्री द्वारा थप्पड़ मारने की घटना सामने आयी थी. जिसके बाद एक बार फिर से एयरलाइन क्रू मेंबर्स के बढ़ते स्ट्रेस लेवल और मेंटल हेल्थ को लेकर चिंता का विषय बना हुआ है.
17 अगस्त साल 2023 में इंडिगो पायलट मनोज बालासुब्रह्मणि अचानक बेहोश हो गए और वह उस समय नागपुर एयरपोर्ट पर ऑन ड्यूटी थे. कुछ ही घंटों में उनकी मौत हो गई. इस घटना ने भी कई सवाल खड़े किए थे कि किस तरह से एयरलाइन क्रू को लंबे समय तक थकान और स्ट्रेस के बावजूद काम करना पड़ता है. वहीं एक्सपर्ट्स का कहना है कि एयरलाइन क्रू मेंबर्स को मानसिक स्वास्थ्य चिकित्सकों की जरूरत है.
सोसायटी में स्ट्रेस को नॉर्मल समझा जाता
मुंबई की मनोचिकित्सक और माइंड थेरेपिस्ट डॉक्टर रूही सातीजा इस बारे में कहती हैं कि अक्सर ये बोला जाता है, स्ट्रेस लेना अच्छी बात है, हमारी सोसायटी में स्ट्रेस को नॉर्मलाइज कर दिया गया है. क्योंकि हमें लगता है कि ये हमें मोटिवेट करता है या हमें कॉम्पटीटर बनाता है. लेकिन एक समय के बाद स्ट्रेस होना बहुत खराब होता है, स्ट्रेस न सिर्फ मेंटली बल्कि फिजिकली भी बुरा असर डालता है.
कई बीमारियों का जोखिम
डॉक्टर रूही बताती हैं कि स्ट्रेस की वजह से कॉर्टिसोल नाम का हार्मोन हमारी बॉडी में बढ़ जाता है जो एक समय के बाद आपके सोचने की शक्ति और निर्णय लेने की क्षमता को कम करने लगता है. आपकी नींद और खाने पीने के पैटर्न पर असर पड़ता है और थकान महसूस होने लगती है. लॉन्ग टर्म स्ट्रेस की वजह से डायबिटीज, हाइपरटेंशन जैसी बीमारियां स्ट्रेस से रिलेटेड हैं.
स्ट्रेस लेवल को कम करने के लिए करें ये काम
डॉक्टर रूही कहती हैं कि अगर कोई इंसान इस तरह की सिचुएशन या जॉब में है जहां उनको डेली स्ट्रेस बहुत ज्यादा रहता है, या फिर उनकी जॉब का नेचर ऐसा है कि उन्हें शांत रहना बहुत जरूरी है, जैसे डॉक्टर और पायलट, जिन्हें इमरजेंसी सिचुएशन हैंडल करनी होती हैं और उन्हें हर टाइम डिसीजन लेने होते हैं. कोई भी ऐसा इंसान जो मेंटल स्ट्रेस से जूझ रहा है उसके लिए जरूरी है कि वो अपनी सेल्फ केयर पर ध्यान दे.
खासतौर पर मेंटल केयर हाइजीन यानी वो कुछ न कुछ ऐसी एक्टिविटी करें जो शांत रहने में मदद करें, जैसे मेडिटेशन, ब्रीदिंग एक्सरसाइज, माइंडफुलनेस बेस थेरेपी. ये स्ट्रेस कम करने में हेल्प कर सकता है. सही खाना पीना और रोजाना एक्सरसाइज करना भी स्ट्रेस को कम करने में हेल्प करता है. अगर लंबे वक्त तक इस समस्या से जूझ रहे हैं और सभी तरीके अपनाने के बाद भी फायदा नहीं दिख रहा है तो ऐसे में किसी प्रोफेशनल की मदद लें.
पायलटों पर दबाव कम करने के लिए उठाए गए नए कदम
अब इस घटना से सबक लेते हुए नागरिक उड्डयन महानिदेशालय की ओर से इस दिशा में कदम उठाए जा रहे हैं. इसलिए एयरलाइन मेंबर्स की शिफ्ट की टाइमिंग आदि को ध्यान में रखते हुए नए मापदंड तय किए गए हैं ताकि पायलटों पर काम के दबाव और बढ़ते स्ट्रेस को को कम किया जा सके. पायलटों की वर्क लाइफ को बैलेंस करने के लिए नागरिक उड्डयन महानिदेशालय की ओर से जारी किए गए नए नियम जून 2024 तक लागू किए जा सकते हैं.
घटाया गया शिफ्ट का टाइम
पायलटों की अधिकतम उड़ान ड्यूटी की अवधि अब तक 13 घंटे की होती थी, जिसमें सुधार के बाद 3 घंटे कम कर दिए जाएंगे यानी अब पायलटों की शिफ्ट 10 घंटे की हुआ करेगी. वहीं रात में फ्लाइट्स के संचालन के दौरान अधिकतम लैंडिंग की संख्या 6 से घटाकर 2 कर दी गई है.
लंबी उड़ान के बाद आराम के लिए मिलेगा इतने घंटे का वक्त
नए नियमों के तहत लंबी दूरी की उड़ानों के लिए भी समय सीमा तय की गई है और इसमें कहा गया है कि लंबी दूरी की उड़ानें 17 घंटे से अधिक नहीं हो सकतीं. वहीं किसी भी लंबी उड़ान के बाद पायलटों को आराम के लिए कम से कम 120 घंटे का आराम दिया जाएगा.
हर तीन महीने में फाइल होगी रिपोर्ट
नए नियमों के तहत पायलटों की ड्यूटी लगातार दो रातों से ज्यादा नहीं लगाई जा सकेगी. हर तीन महीने में एयरलाइंस को पायलटों के काम करने की शिफ्ट के दौरान थकान, दबाव को लेकर एक रिपोर्ट दाखिल करनी होगी.