बाइपोलर डिसऑर्डर एक ऐसी मानसिक स्थिति है जिसमें व्यक्ति की भावनाएं स्थिर नहीं रहती हैं। इस स्थिति में कई बार व्यक्ति अपने व्यवहार पर भी नियंत्रण नहीं रख पाता है। आइए, इस खबर में जानते हैं कि बाइपोलर डिसऑर्डर के कारण, लक्षण और उपचार क्या हैं।
बाइपोलर डिसऑर्डर के प्रकार
बाइपोलर 1
यह द्विध्रुवी विकार का सबसे गंभीर रूप है। इस प्रकार के विकार के लक्षणों में शामिल हैं –
- मैनिया (मूड डिसऑर्डर) के एपिसोड (कम से कम एक सप्ताह तक)
- अवसाद के एपिसोड (कम से कम दो सप्ताह तक चलने वाले)
- कई बार मैनिक एपिसोड (मूड डिसऑर्डर) के लक्षण गंभीर हो जाते हैं, जिसके कारण अस्पताल में भर्ती होना पड़ सकता है।
- मैनिया और अवसाद के लक्षण एक साथ हो सकते हैं।
बाइपोलर 2
हालांकि इस प्रकार के बाइपोलर डिसऑर्डर वाले व्यक्ति को बाइपोलर I की तरह अवसाद और मैनिया के एपिसोड का अनुभव होता है, लेकिन मैनिक एपिसोड की तीव्रता कम गंभीर होती है। जिसे हाइपोमेनिक एपिसोड कहते हैं।
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इसे साइक्लोथिमिक डिसऑर्डर (साइक्लोथाइमिया) कहते हैं। बाइपोलर डिसऑर्डर का ये प्रकार बहुत कम लोगों को प्रभावित करता है लेकिन इसकी विशेषता ये है कि अगर इसकी चपेट में कोई व्यस्क आ जाए तो उन्हें ये करीब 2 साल तक परेशान कर सकता है और बच्चों और किशोरों में ये एक वर्ष तक रहता है। हालांकि इसके लक्षण गंभीर नहीं होते हैं इसलिए इसका पता आसानी से नहीं लगता है।
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कुछ अलग तरह के बाइपोलर डिसऑर्डर: ऐसे व्यक्ति जिन्हें असामान्य रूप से अपनी मनोदशा में परिवर्तन तो महसूस होता है लेकिन इनके लक्षण बाइपोलर डिसऑर्डर के किसी भी प्रकार से मेल नहीं खाते हैं, उन्हें अनिर्दिष्ट (Unspecified) द्विध्रुवी विकार कहते हैं।
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बाइपोलर डिसऑर्डर के लक्षण
मैनिक एपिसोड (मूड डिसऑर्डर) के दौरान होने वाले लक्षणों में शामिल हैं –
- ऊर्जा में वृद्धि
- मूड में अचानक से उत्साह आना
- शारीरिक और मानसिक गतिविधि में वृद्धि
- तेज गति से विचार करना या स्पीच देना
- गलत फैसला लेना
- नींद में कमी
- बिना सोचे समझे खराब ड्राइविंग करना
- खुद को हद से ज्यादा महत्व देने वाली भावनाएं
अवसादग्रस्तता के एपिसोड के दौरान होने वाले लक्षणों में शामिल हैं –
- ऊर्जा और थकान में कमी
- चिड़चिड़ापन या उदासी
- चिंता और क्रोध की भावना
- एकाग्रता में कमी
- अत्यधिक नींद आना या सोने में कठिनाई होना
- भूख का अधिक लगना या बिल्कुल भी भूख न लगना
- एकाग्रता में कठिनाई
- बेकार की भावनाओं का उत्पन्न होना
- आत्महत्या का विचार आना
- उन गतिविधियों में रुचि का न होना जिससे आपको पहले अत्यंत खुशी मिली हो
बाइपोलर डिसऑर्डर के कारण
शोधकर्ताओं ने अभी तक किसी विशिष्ट कारणों की पहचान नहीं की है, जो बाइपोलर डिसऑर्डर के विकास में योगदान देता है।
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बाइपोलर डिसऑर्डर के जोखिम कारक
पारिवारिक इतिहास – बाइपोलर डिसऑर्डर के विकास का जोखिम उन व्यक्तियों में अधिक होता है, जिनके परिवार के सदस्य (माता-पिता या भाई-बहन) कभी इस स्थिति से गुजरे होते हैं। अध्ययनों में पाया गया है कि बाइपोलर डिसऑर्डर से पीड़ित लगभग 80-90% मरीज ऐसे हैं जिन्हें डिप्रेशन या बाइपोलर डिसऑर्डर जेनेटिक मिला है।
पर्यावरणीय कारक – दर्दनाक या तनावपूर्ण घटनाओं से निपटने में असमर्थता बाइपोलर डिसऑर्डर को बढ़ावा दे सकते हैं जैसे –
- खराब रिलेशनशिप
- तलाक
- परिवार में किसी की मृत्यु हो जाना
- गंभीर बीमारी
- पैसों की समस्याएं
मस्तिष्क की संरचना और कार्य: मस्तिष्क के आकार में भिन्नता या मस्तिष्क के कुछ रसायनों में असंतुलन भी बाइपोलर डिसऑर्डर को बढ़ावा देने में मदद कर सकता है।
बाइपोलर डिसऑर्डर से बचाव
अगर किसी व्यक्ति में परिवार में कोई सदस्य बाइपोलर डिसऑर्डर से प्रभावित है तो उसे इसके शुरुआती लक्षणों के बारे में बताकर जागरुक किया जा सकता है।
- पर्याप्त नींद लेना
- स्ट्रेस से डील कैसे करते हैं ये सीखना
- ज्यादा मात्रा में ड्रग और कैफीन लेने से बचना, आदि।
बाइपोलर डिसऑर्डर की जांच
बाइपोलर डिसऑर्डर के लक्षणों को समझने के लिए सबसे पहले चिकित्सक रोगी से बात करते हैं। इसके अलावा डॉक्टर मरीज के शरीर में अन्य बीमारियों (जैसे, थायरॉइड ग्रंथि की स्थिति) का पता लगाने के लिए एक कम्प्लीट फिजिकल टेस्ट, ब्लड टेस्ट या बॉडी स्कैन भी करते हैं जिसके माध्यम से लक्षणों का पता लगाया जा सके। मेडिकल हिस्ट्री, फैमिली हिस्ट्री और अन्य चल रही दवाओं की लिस्ट का भी डॉक्टर मूल्यांकन करते हैं। कुछ डॉक्टर लक्षणों को बेहतर ढंग से समझने के लिए परिवार के सदस्यों या मरीज के दोस्तों से भी बात कर सकते हैं।
अगर डॉक्टर को बाइपोलर डिसऑर्डर का संदेह होता है, तो व्यक्ति को मेंटल हेल्थ केयर प्रोफेशनल की मदद लेने की सलाह दी जाती है। ऐसे प्रोफेशनल्स आमतौर पर बाइपोलर डिसऑर्डर के प्रकार की पहचान करने के लिए लक्षणों के पैटर्न और तीव्रता को बारीकी से समझते हैं। लक्षणों में समानता के कारण, बाइपोलर डिसऑर्डर वाले व्यक्तियों को कभी-कभी गलत तरीके से बॉर्डरलाइन व्यक्तित्व विकार या सिज़ोफ्रेनिया के रूप में निदान किया जाता है।
बाइपोलर डिसऑर्डर का उपचार
- दवाइयां: आपके डॉक्टर लक्षणों को नियंत्रित करने के लिए आपको निम्न प्रकार की दवाइयां सुझा सकते हैं।
- एंटी साइकोटिक्स ( लक्षण कंट्रोल करने के लिए )
- मूड स्टेबलाइजर ( लक्षण कम करने के लिए )
- एंटी डिप्रेसेंट ( यह इसके साइड इफेक्ट्स के कारण बहुत कम प्रयोग की जाती है )
- एंटी एंजाइटी मेडिसिन ( मैनिक एपिसोड्स के रिस्क को कम करती है)
दवाइयों के साइड इफेक्ट
- बाइपोलर डिप्रेशन का खतरा
- वजन बढ़ना
- यह दवाइयां प्रभाव दिखाने में कई महीनों का समय ले लेती हैं
- साइकोथेरेपी: यह एक थेरेपी है जिसमें उन विचारों, व्यवहार और जज्बातों के बारे में जाना जाता है जिस कारण यह डिसऑर्डर और अधिक बढ़ सकता है और प्रॉपर गाइडेंस, सहारे और एजुकेशन के द्वारा इसे बदला जाता है। इस उपचार के अंतर्गत कई अन्य उपचार भी आते हैं जिनमें शामिल हैं
- साइकोएजुकेशन: यह एक थेरेपी है जो बाइपोलर डिसऑर्डर के बारे में अधिक जानकारी उपलब्ध करवाती है।
- कॉग्निटिव बिहेवियर थेरेपी: यह एक ऐसी थेरेपी है जिसमें एक व्यक्ति के सोचने और उसके व्यवहार के तरीके को बदला जाता है ताकि समस्या को सुलझाया जा सके।
- फैमिली फोकस्ड थेरेपी: इस थेरेपी में पूरी फैमिली एक साथ काम करती है ताकि प्रभावित व्यक्ति को ठीक किया जा सके।
- इंटर पर्सनल और सोशल रिदम थेरेपी
- इलेक्ट्रो कंवल्सिव थेरेपी: इस थेरेपी में पहले व्यक्ति को जनरल एनेस्थीसिया दिया जाता है और फिर उसके मस्तिष्क के विभिन्न भागों को इलेक्ट्रिक करेंट दिया जाता है। इस उपचार के कारण आपके डिप्रेशन और मानिया को ट्रीट किया जा सके। यह तब दी जाती है जब बाकी के उपचार फेल हो जाते हैं और जिन लोगों को आत्म हत्या करने के विचार आते हैं उनके लिए भी प्रभावी होती है।
- हॉस्पिटलाइजेशन: यब तब किया जाता है जब किसी व्यक्ति का डिप्रेशन लंबे समय तक चलता है और उन्हें आत्म हत्या करने के विचार आने लगते हैं।
अगर आपको लगता है कि आपका कोई जानकर बाइपोलर डिसऑर्डर का शिकार है तो आपको उसे तुरंत मेडिकल हेल्प लेने की सुझाना चाहिए क्योंकि अगर इसे ट्रीट नहीं किया जाता तो यह अधिक गंभीर रूप ले लेता है।
लाइफस्टाइल/ मैनेजमेंट
- रोजाना एक्सरसाइज करें: एरोबिक एक्सरसाइज करने से आपको नींद अच्छी आती है और यह आपके डिप्रेशन में भी लाभदायक होती है इसलिए हर रोज कुछ समय के लिए एक्सरसाइज जरूर करें।
- हेल्दी डाइट लें: वजन बढ़ने से रोकने के लिए आपको एक्सरसाइज के साथ साथ एक हेल्दी डाइट का भी पालन करना होगा।
- एक जर्नल बना कर रखें: अपने स्लीप पैटर्न और मूड आदि को नोट करने के लिए आपको एक जर्नल रखनी चाहिए और यह सब बातें उसमें रिकॉर्ड करनी चाहिए।
- अल्कोहल और ड्रग्स को अवॉयड करें: यदि आप अधिक शराब और ड्रग्स का सेवन करते हैं तो उससे आपकी शारीरिक सेहत के साथ साथ मानसिक सेहत भी प्रभावित होती है इसलिए इनका सेवन बंद करें।
बाइपोलर डिसआर्डर की जटिलताएं
- वजन बढ़ना
- डायबिटीज
- हृदय रोगों का खतरा
- एंजाइटी
- सुसाइडल विचार आना
बाइपोलर डिसऑर्डर के मरीजों हैं तो आपको पहले से ही स्ट्रेस डिसऑर्डर जैसे कुछ समस्या हो सकती हैं और यह समस्याएं आपके इलाज को और भी अधिक मुश्किल बना सकती हैं।
बाइपोलर डिसआर्डर के वैकल्पिक उपचार
ट्रांसक्रेनियल मैग्नेटिक स्टिमुलेशन: इस प्रक्रिया के दौरान आपके दिमाग के विभिन्न भागों में मैग्नेटिक वेव दी जाती हैं।
वेगस नर्व स्टिमुलेशन: इसमें आपकी कॉलर बोन के पास एक पेस मेकर जैसा यंत्र इंप्लांट किया जाता है। यह यंत्र आपके दिमाग को इलेक्ट्रिक सिग्नल भेजते हैं।