खुशियां और दुख दोनों ही जिंदगी के हिस्से हैं। हर किसी के जीवन में कभी न कभी ऐसा दौर जरूर आता है, जब चारों ओर सिर्फ नकारात्मकता का साया दिखता है। आप किसी बात में या घटना में अच्छा देख ही नहीं पाते और यही सोचते रहते हैं कि ‘आखिर हमारे साथ ही ऐसा क्यों हुआ?’ मन की इस स्थिति को रूमिनेशन सर्किल यानी चिंतन चक्र कहते हैं। यह एक ऐसा चक्र है जिससे आसानी से बाहर निकलना कुछ लोगों के लिए मुश्किल होता है।
दरअसल, जब आपके साथ कुछ गलत होता है तो आप नकारात्मक बातों के बारे में सोचते हैं। अक्सर लोग सोचते हैं कि इससे बाहर निकल पाएंगे, लेकिन नतीजा इसके बिल्कुल उल्टा होता है। आप विचारों के इस कुचक्र में फंसते जाते हैं। बार-बार वहीं बातें सोचने से आप उसके प्रभाव से कभी बाहर ही नहीं आ पाते। कई बार इसके कारण डिप्रेशन तक होने लगता है।
विशेषज्ञों के अनुसार नकारात्मक बातों से दूर जाने का हल उनके बारे में सोचना नहीं है, बल्कि अपना ध्यान कहीं और केंद्रित करना है। अगर आप नकारात्मकता के ऐसे ही चक्र में फंसते जा रहे हैं तो हम आपको बताते हैं वो गलतियां जो आप लगातार कर रहे हैं।
चिंतन और चिंता में है अंतर
अक्सर लोग चिंतन चक्र और चिंता को एक ही समझ लेते हैं, लेकिन इनमें अंतर है। चिंतन चक्र आपके अतीत में अटके होने की ओर इशारा करता है। इसमें इंसान आमतौर पर अपने साथ घटी पिछली घटनाओं, समस्याओं और भावनाओं के बारे में सोचता है। ये अक्सर नकारात्मक अनुभव होते हैं, जिससे आप अवसादग्रस्त हो सकते हैं। वहीं चिंता भविष्य की घटनाओं और उनके संभावित परिणामों की ओर विचार करना है। यह अक्सर अनिश्चितता की भावना जैसे क्या हो सकता है, क्या होगा आदि के बारे में डर होता है। हालांकि इस विषय में ज्यादा विचार भी तनाव बढ़ाता है।
बन सकती है बड़ी परेशानी
चिंतन चक्र में फंसना कुछ ऐसा ही है जैसे गाड़ी के टायर का कीचड़ में फंसना। आप जितना इसे घुमाएंगे, उतना अधिक इसमें गहराई तक डूबने लगेंगे। शोध बताते हैं कि जब आप रूमिनेशन चक्र में फंस जाते हैं तो आपमें डिप्रेशन और गुस्सा आने की प्रवृति बढ़ जाती है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि चिंतन चक्र में फंसा इंसान अपनी नकारात्मक यादों और भावनाओं को हमेशा सक्रिय रखता है। जिसका सीधा असर उसके वर्तमान पर पड़ता है। इससे आप बेहतर की जगह और असहाय महसूस करेंगे।
बंद करें हर समय सोचना
अक्सर लोग अपनी समस्याओं के बारे में हर समय सोचते हैं। उन्हें लगता है कि ऐसा करने से उन्हें इनका समाधान मिलेगा। लेकिन यकीन मानिए सोचने से कुछ नहीं होगा। आप अपनी समस्याओं से तब ही बाहर निकल पाएंगे, जब इन्हें हल करने के लिए आप सकारात्मक कदम उठाएंगे। समस्याओं का चिंतन, सिर्फ आपकी चिंता ही बढ़ा सकता है।
कुछ बुरा होने का डर
लोगों की आम धारणा होती है कि अगर वे अपनी समस्याओं के बारे में सोचेंगे नहीं, तो उनके साथ कुछ बुरा हो जाएगा। लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं है। ध्यान रखें जीवन निरंतर आगे बढ़ने का नाम है। आप समस्याओं के बारे में नहीं, उन उपलब्धियों पर ध्यान दें, जो आपके जीवन में सकारात्मक बदलाव लाई हैं।
रूमिनेशन सर्किल से ऐसे मिलेगी मुक्ति
- अपनी हॉबी पर ध्यान दें। आर्ट, डांस, म्यूजिक, जो भी आपको पसंद है वो करें।
- माइंडफुलनेस की ओर बढ़ें। इससे आप सकारात्मक बनेंगे। योग, मेडिटेशन, श्वसन क्रियाएं लाभदायक हैं।
- मस्तिष्क के साथ शरीर को भी स्वस्थ रखें। इसलिए नियमित एक्सरसाइज करें।
- लिखने की आदत डालें। ऐसा करने से आग हल्का महसूस करेंगे।