हम सभी की दिल की धड़कन यानी हार्ट बीट एक सामान्य गति से चलती रहती है. लेकिन कभी-कभी इसमें कुछ बदलाव देखने को मिल जाते हैं.जैसे कि अचानक बहुत तेज या बहुत धीमी हो जाना, नियमित न होना या अचानक रुक जाना आदि.जब भी ऐसा हो, तो हमें सोचना चाहिए कि यह कोई खतरनाक संकेत हैं. इसके कभी भी हल्के में नहीं लेना चाहिए. क्योंकि ये दिल की बीमारी का संकेत भी हो सकता है. आइए जानते हैं इसके बारे में यहां..
धड़कन में तेजी या धीमा
जब हमारी दिल की धड़कन यानी हार्टबीट का रफ्तार सामान्य से अधिक तेज या धीमा हो जाता है, तो यह एक गंभीर समस्या हो सकती है. आमतौर पर दिल की धड़कन 60 से 100 बार प्रति मिनट की होती है. यदि यह 100 से अधिक हो जाए यानि बहुत तेज़ हो जाए, या 60 से कम धड़कने लगे यानि बहुत धीमी हो जाए, तो समझ लेना कि कुछ गड़बड़ है.ऐसी स्थिति में तुरंत किसी डॉक्टर से संपर्क करें. यह दिल की बीमारी का संकेत भी हो सकता है. और सही समय पर इलाज न होने से खतरा बढ़ सकता है. इसलिए अपनी हार्टबीट के प्रति सचेत रहें और तेजी या धीमा पर ध्यान दें. यह आपके स्वास्थ्य के लिए बहुत जरूरी है.
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अनियमित हार्ट बीट
अगर हमारी दिल की धड़कन में नियमितता न हो, यानी एक-दूसरे बीच का अंतराल बढ़ जाए, तो यह एक गंभीर समस्या का संकेत है. सामान्य रूप से, हमारी हार्टबीट के बीच का अंतराल समान रहता है. लेकिन कभी-कभी दो धड़कनों के बीच का अंतर अचानक बहुत ज्यादा हो जाता है, फिर कम हो जाता है. यानी नियमित नहीं रहता.ऐसा होना किसी गंभीर समस्या की ओर इशारा करता है. यह दिल के रोग जैसे – हार्ट अटैक, दिल की धड़कन न रहना आदि का कारण बन सकता है. जो जानलेवा हो सकते हैं.
हार्ट फ्लटर
अगर आपको अचानक ऐसा लगता है जैसे आपका दिल एक सेकेंड के लिए रुक सा गया हो तो समझ लीजिए कि यह हार्ट की गंभीर समस्या है जिसे ‘हार्ट फ्लटरिंग’ कहते हैं. यह एक ऐसी स्थिति है जब दिल की परेशानी की वजह से दिल की धड़कन अचानक बंद सी हो जाती है, और फिर शुरू होती है. इस दौरान हमें एक झटके जैसा अहसास होता है.फ्लटरिंग का मतलब दिल का कमजोर पड़ना है और यह हार्ट अटैक या स्ट्रोक का कारण बन सकता है. इसलिए इसे हल्के में नहीं लेना चाहिए.