बदलते रहन-सहन के कारण नयी-नयी बीमारियाँ लगातार जन्म ले रही हैं। इसमें एक ऐसी बीमारी का नाम है आटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर (एसडी) जो कुछ समय से चर्चा का विषय बानी हुई है। यह बीमारी मानसिक विकास सम्बंधित एक समस्या है जो ज्यादातर बच्चो को प्रभावित करती है,पर इसके लक्षणों को उम्र के किसी भी पड़ाव में देखा जा सकता है। आटिज्म एक ऐसी स्तिथि है जिससे प्रभावित व्यक्ति का दिमाग अन्य लोगों की तुलना अलग तरह से काम करता है। बात की जाए आटिज्म के लक्षण की तो इसके लक्षण हर व्यक्ति में अलग नज़र आते हैं। इसके लक्षण बच्चों में बचपन से ही दिखाई देने लगते है। आटिज्म से पीड़ित लोगों को सामान्य लोगों से मेल-मिलाप करने एवं पढ़ाई-लिखाई करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। परंतु यह समस्या समय और अपनो के साथ के कारण पीड़ित व्यक्ति के अंदर नयी स्किल्स डेवेलोप करवा देती है जो भविष्य में उनका सहारा बनती हैं। इस बीमारी में दूसरे के व्यवहार और अभिव्यक्ति को समझने की क्षमता कम हो जाती है।
आटिज्म के लक्षण
एसडी के लक्षण हर व्यक्ति में अलग होते हैं , पर इसके कुछ ऐसे लक्षण है जो हर व्यक्ति में सामान्य पायी गयी है :-
- शब्दों को बार-बार दोहराना।
- एक ही हरकत करना।
- अकेले गुमसुम रहना।
- लोगों में घुलने मिलने में दिक्कत महसूस करना।
- सोचने समझने की क्षमता में कमी होना।
- किसी दुसरे व्यक्ति कि भावनाओं को न समझना।
- आपने आप को या अन्य किसी व्यक्ति को शारीरिक या मानसिक नुक्सान पहुंचने की कोशिश करना।
आटिज्म का कारण
यह बीमारी किन कारणों से होती है इसके बारे में सही जानकारी ना ही वैज्ञानिकों के पास है ना ही डॉक्टर्स के पास। पर रिपोर्ट्स के अनुसार वैज्ञानिकों के द्वारा की गयी जांच में पता चला है कि आटिज्म का सिर्फ एक कारण नहीं है बल्कि यह कई करने से होती है।
1 जन्म के समय माता-पिता की आयु अधिक होना।
2 जन्म के समय बच्चे का वजन कम होना।
3 जेनेटिक डिसऑर्डर
4 प्रेग्नेंसी की दौरान खाई गयी दवाइयों के साइड इफ़ेक्ट
5 पर्यावरण में शामिल ख़तरनाक पदार्थ (प्रदुषण)
बच्चों पर UCSF की एक रिसर्च के मुताबिक ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर से पीड़ित बच्चों की करीब 50 प्रतिशत माताओं में डिप्रेशन के लक्षण पाए गए थे।
आटिज्म का प्रभाव :-
आटिज्म से लोग सारी दुनिया में प्रभावित हो रहे है। एक रिसर्च जनरल में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार दुनियाभर में हर 10 हजार बच्चों में से 100 बच्चे आटिज्म का शिकार है। एक रिपोर्ट के अनुसार यह मानसिक बीमारी के लड़कियों की अपेक्षा लड़कों में चार गुना अधिक पाए गए हैं. एक्सपर्ट की मानें तो पिछले कुछ समय में ऑटिज्म से पीड़ित लोगों की संख्या तीन गुना अधिक हो गई है जो कि काफी चिंता जनक है।
आटिज्म में पौष्टिक आहार की महेत्वा :
शरीर में सही मात्रा में पौष्टिक आहार पहुंचना आजकल के बदलते दौर में बहुत जरूरी है।अब बात करें आटिज्म से पीड़ित व्यक्ति के आहार की बात की जाए:
-खाने में विटामिन्स और मिनरल्स की मात्रा का ध्यान रखे
-पाचन क्रिया को मजबूत एवं आसान बनाने के लिए खाद्य पदार्थो की सहायता लें
-ग्लूटेन फ्री खाना
-फल और सब्जियां: फल और सब्जियां विटामिन, खनिज और फाइबर का एक अच्छा स्रोत हैं। वे एंटीऑक्सिडेंट भी प्रदान करते हैं, जो सेल क्षति को रोकने में
मदद कर सकते हैं।
-साबुत अनाज: साबुत अनाज फाइबर, विटामिन और खनिज का एक अच्छा स्रोत हैं। वे कार्बोहाइड्रेट का भी एक अच्छा स्रोत हैं, जो ऊर्जा प्रदान करने में
मदद करते हैं।
-आटिज्म पीड़ित व्यक्ति को नूट्रिशनिस्ट का सहारा लेना चाहिए।
सरकारी अनुदान
मानव संसाधन विकास मंत्रालय (MHRD) ASD से पीड़ित बच्चों के लिए विशेष स्कूलों और कक्षाओं के लिए आर्थिक सहायता प्रदान करता है। MHRD उच्च शिक्षा प्राप्त करने वाले ASD वाले छात्रों के लिए छात्रवृत्ति भी प्रदान करता है।
सरकार एसडी से पीड़ित व्यक्ति को और उसके परिवार को हर जरूरी सहायता देने का प्रयास करती है जो उसे समाज में एक खुशहाल जीवन जीने में मदत करती है।
भारत सरकार के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय (MSJE) के तहत एक वैधानिक निकाय, राष्ट्रीय ट्रस्ट फॉर वेलफेयर ऑफ पर्सन्स विद ऑटिज्म, सेरेब्रल पाल्सी, मानसिक मंदता और बहु विकलांगता (NTW) का गठन किया गया है। NTW ASD वाले लोगों के लिए एक विस्तृत सेवाओं की पेशकश करता है, जिसमें प्रारंभिक हस्तक्षेप, शिक्षा, व्यावसायिक प्रशिक्षण और वयस्क सेवाओं शामिल हैं।