आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) टेक्नोलॉजी लीवर कैंसर के सबसे आम प्रकार हेपेटोसेलुलर कार्सिनोमा (HCC) के निदान में क्रांतिकारी बदलाव ला सकती है। इससे न केवल कैंसर की जल्दी पहचान हो सकेगी, बल्कि मरीजों को बेहतर उपचार भी मिलेगा।
HCC एक गंभीर वैश्विक स्वास्थ्य समस्या है, जिसके मामले विशेष रूप से उत्तरी अफ्रीका और पूर्वी एशिया में बढ़ रहे हैं। हालांकि शुरुआती दौर में इसका इलाज संभव है। अक्सर HCC का पता तब तक नहीं चल पाता जब तक कि इलाज का प्रभाव कम हो जाता है।
कैंसर के इलाज के लिए बार्सिलोना क्लासिफिकेशन (BCLC) का उपयोग किया जाता है, जो ट्यूमर की विशेषताओं और लिवर के कार्य पर आधारित होता है। हालांकि वर्तमान निदान विधियां जैसे AFP टेस्टिंग और अल्ट्रासाउंड, अक्सर HCC को बाद के चरणों तक नहीं पकड़ पाते हैं, जिससे उपचार के विकल्प और जीवित रहने की दर कम हो जाती है।
AI लायेगा क्रांति
eGastroenterology में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, AI, विशेष रूप से डीप लर्निंग (DL) और न्यूरल नेटवर्क, HCC निदान में सुधार की महत्वपूर्ण क्षमता रखते हैं। AI मॉडल बड़ी मात्रा में इमेजिंग डेटा का विश्लेषण कर सकते हैं, मानवीय आंखों से छूटे हुए सूक्ष्म पैटर्न की पहचान कर सकते हैं और निष्पक्ष, सुसंगत परिणाम दे सकते हैं।
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यह संभावित रूप से निदान में होने वाले बदलावों को कम कर सकता है, डेटा विश्लेषण को अनुकूलित कर सकता है और स्वास्थ्य सेवा संसाधनों का बेहतर आवंटन कर सकता है। HCC का जल्दी पता लगाना महत्वपूर्ण है, क्योंकि शुरुआती चरणों में ही सर्जरी और लिवर ट्रांसप्लांट जैसे उपचार संभव हैं। AI-संचालित निदान से शुरुआती पता लगाने की दर में काफी सुधार हो सकता है, जिससे अधिक मरीजों को उपचार मिल सकता है, उनके जीवित रहने की दर बढ़ सकती है और स्वास्थ्य सेवा लागत कम हो सकती है।
शोधकर्ता HCC निदान के विभिन्न पहलुओं में AI की क्षमता का सक्रिय रूप से पता लगा रहे हैं। इसमें व्यक्तिगत चिकित्सा के लिए AI-संचालित उपकरणों का विकास, इमेजिंग तकनीकों के साथ AI का एकीकरण और उपचार प्रतिक्रिया की निगरानी के लिए AI का उपयोग शामिल है।