देश की सबसे प्राचीनतम पद्धति आयुर्वेद में लगभग हर बीमारी का इलाज छिपा हुआ है. ऐसे में बात यदि सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस की हो, तो इसका इलाज भी आयुर्वेद की पंचकर्मा विधियों द्वारा संभव है. दरअसल, आयुर्वेद में ग्रीवा अस्थी थैरेपी, कपिंग थैरेपी और पोटली थैरेपी द्वारा सर्वाइकल की समस्या को दूर किया जा सकता है. यदि आप भी सर्वाइकल की समस्या से जूझ रहे हैं, तो ये थैरेपीज जरूर ट्राई करें.
इस बारे में उत्तराखंड की राजधानी देहरादून निवासी आयुर्वेदिक डॉक्टर प्रेरणा गुसाईं ने कहा कि सर्वाइकल की समस्या आजकल आम हो गई है. आयुर्वेद में इससे जुड़ी दवाइयां और थैरेपी ट्रीटमेंट है, जिससे इस बीमारी को ठीक किया जा सकता है. आयुर्वेद में पंचकर्म विधियों द्वारा सर्वाइकल का इलाज किया जाता है. इसमें ग्रीवा अस्थी, कपिंग थैरेपी और हर्बल पोटली थैरेपी से इलाज किया जाता है.
कपिंग थैरेपी
उन्होंने कहा कि सर्वाइकल में कपिंग थैरेपी बहुत कारगर मानी जाती है. ड्राई कपिंग, ब्लड कपिंग थैरेपी सर्वाइकल में बेहद लाभदायक है. इससे मरीज को दर्द से छुटकारा मिलता है. इसमें जरुरत पड़ने पर लेप के माध्यम से भी इलाज किया जाता है.
पोटली थैरेपी
डॉक्टर प्रेरणा ने आगे कहा कि आयुर्वेद में पोटली थैरेपी कई तरह की होती है, जिनमें से एक ड्राई पोटली होती है और दूसरी पत्र पोटली ज्यादातर इस्तेमाल की जाती है. ड्राई पोटली में कई सारे हर्ब्स का इस्तेमाल किया जाता है और पत्र पोटली में औषधीय गुण वाले पत्तों जैसे- अरंडी, निर्गुंडी, धतुरा आदि का इस्तेमाल किया जाता है. ऐसा करने से मरीज की मसल्स रिलीज होती हैं, जिससे दर्द में राहत मिलती है.
ग्रीवा अस्थी थैरेपी
डॉक्टर प्रेरणा ने कहा कि ग्रीवा अस्थी थैरेपी में मरीज के शरीर पर आटे से वॉल बनाकर तेल से डिप किया जाता है. यह वॉल डॉक्टर द्वारा चुने गए एरिया पर बनाई जाती है. ऐसा करने पर मरीज की स्किन तेल को सोख लेती है और दर्द में राहत देती है. इस थैरेपी में इस्तेमाल किए जाने वाले तेल आयुर्वेदिक होते हैं, जो स्वास्थ्य लाभ में बेहद गुणकारी होते हैं.