मिर्गी यानी एपिलेप्सी एक क्रोनिक ब्रेन डिजीज है. मिर्गी की बीमारी होने पर लोगों को बार-बार दौरे पड़ते हैं और इसकी वजह से उनकी जिंदगी बुरी तरह प्रभावित होती है. एपिलेप्सी सबसे कॉमन बीमारियों में से एक है, जो दुनियाभर में 5 करोड़ से ज्यादा लोगों को प्रभावित करती है. WHO के अनुसार मिर्गी की बीमारी के सबसे ज्यादा मामले कम आय वाले देशों में मिलते हैं और भारत में लाखों लोग इस बीमारी से जूझ रहे हैं.
अनुमान के मुताबिक, मिर्गी से पीड़ित 70% लोगों को सही इलाज मिले, तो वे मिर्गी के दौरे से ठीक हो सकते हैं. शायद यही वजह है की इस बीमारी के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए हर साल 17 नवंबर को नेशनल एपिलेप्सी डे मनाया जाता है. मिर्गी को डॉक्टरी भाषा में एपिलेप्सी के नाम से जाना जाता है, यह एक सामान्य क्रोनिक न्यूरोलॉजिकल कंडीशन है। एपिलेप्सी दिमाग की एक बीमारी होती है, जिसके कारण व्यक्ति को बार-बार मिर्गी के दौरे पड़ते हैं. यह बच्चों में एक आम स्थिति है. मिर्गी में पड़ने वाले दौरे अक्सर माता-पिता को काफी परेशान करते हैं. यह दौरे किशोरावस्था तक आते-आते बढ़ने लगते हैं. यदि इसका सही तरीके से देखभाल और इलाज किया जाए तो इसे ठीक किया जा सकता है.
मिर्गी चौथी सबसे आम न्यूरोलॉजिकल बीमारी है, जो किसी भी उम्र के व्यक्ति के साथ हो सकती है. मिर्गी का दौरा पड़ते समय बच्चा अपनी सोचने-समझने की शक्ति खो देता है और मांसपेशियों में ऐंठन होने लगती है. मिर्गी का दौरा सभी बच्चों में अलग-अलग तरह से प्रभावित करता है, यह बच्चों की उम्र पर निर्भर करता है.
मिर्गी के दौरे, मिर्गी के लक्षण और इससे जुड़ी तमाम जानकरियों को आपने तक पहुंचाने के लिए हमने Epilepsy Specialist Dr. Konika Bansal से बात की. उन्हीं से समझते हैं कि आखिर ये क्या बला है?
सबसे पहले आपको डॉ कोनिका बंसल के बारे में बता दें कि डॉ. कोनिका बंसल बाल न्यूरोलॉजिस्ट और मिर्गी विशेषज्ञ हैं. डॉ कोनिका को तुर्की में सर्वश्रेष्ठ पेपर पुरस्कार से सम्मानित किया गया. डॉ कोनिका को हिंदुस्तान टाइम्स मेडिकल एक्सीलेंस पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया है. डॉ कोनिका बंसल वर्तमान में लखनऊ स्थित Neuron Brain & Spine Centre को संचालित करती हैं और मरीजों को उनकी समस्याओं से निजात दिलाती हैं.
सबसे पहले जानते हैं मिर्गी के दौरों के बारे में?
डॉ कोनिका बंसल बताती हैं कि आमतौर पर लोगों को लगता है कि मिर्गी के दौरे केवल बड़े लोगों में ही आते हैं पर ऐसा नहीं है. यह बीमारी बच्चों में भी सामान्य होती है. जिसमें बच्चों को मिर्गी के दौरे किसी भी तरह से आ सकते हैं. जैसे – अचानक गिर जाना, आंखों को ऊपर तरफ पलट जाना, आंखों का एक साइड ही घूरना, हाथ-पैरों का टाइट होकर झटके लेना, बच्चों का खेलते-खेलते रुक जाना, किसी बात का रिस्पांड न करना.
बच्चों में कितनी अलग होते हैं मिर्गी के दौरों के लक्षण?
बड़ों में हम बहुत आसानी से देख लेते हैं कि वो अचानक से गिर जाते हैं, हाथ-पैर टाइट होकर झटके देने लगते हैं लेकिन बच्चों में ऐसा नहीं है. बच्चों के केस में वो एकदम से शांत हो जाते हैं, एक ही साइड देखते रहते हैं. चलते-चलते अचानक गिर जाना भी मिर्गी के लक्षण होते हैं. बच्चों में मिर्गी की शुरूआत जन्म से लेकर 18 साल तक कभी भी हो सकती हैऔर उसके कारण भी अलग हो सकते हैं.
कौन से संकेत हैं जो बताते हैं कि मिर्गी का दौरा पड़ने वाला है?
मिर्गी के दौरे जब आते हैं तब चेहरे के भाव अलग हो जाते हैं, हाथ-पैर सुन्न हो जाते हैं. बच्चों के केस में वे अचानक रोने लग जाते है. इन्हीं लक्षणों से आप पहचान सकते हैं कि अब मिर्गी के दौरे आने वाले हैं.
क्या नवजात शिशुओं को भी होता है मिर्गी का खतरा?
डॉ के मुताबिक, जैसा हमने आपको पहले बताया कि मिर्गी के दौरों की समस्या जन्म से ही शुरू हो सकती है. केवल इलके कारण अलग हो सकते हैं. ऐसे बच्चे जिनका जन्म 9 माह से पहले हो जाता है वो पैदा होने के तुरंत बाद नहीं रोते, जन्म से पहले से कोई इंफेक्शन हो जाये, या फिर जेनेटिक, ऐसे बच्चों में मिर्गी की समस्या देखी जा सकती है.
क्यों मनाया जाता है नेशनल एपिलेप्सी डे?
नेशनल एपिलेप्सी डे इसलिए शुरू किया गया जिससे लोगों के मन की भ्रांतियों को दूर किया जा सके. जैसे उनको लगता है कि मिर्गी के दौरे अलौकिक शक्ति है, इसका कोई इलाज नहीं होता, या फिर ये जड़ से खत्म नहीं होते, ये एक से दूसरे में फैल सकते हैं.
क्या समाज में जागरूकता फैली है?
अभी तक समाज में ज्यादा जागरूकता तो नहीं आयी है लेकिन हर साल हम नई-नई थीम्स लेकर आते हैं, लोगों को समझाते हैं, अखबार और न्यूज के माध्यम से संदेश देते हैं कि मिर्गी का इलाज संभव है.
डॉक्टर से हुई बातचीत से यह साफ होता है कि हमें स्वयं भी जागरूक होना है और समाज को भी जागरूक करना है कि मिर्गी लाइलाज बीमारी नहीं है. इसे ठीक किया जा सकता है, बस मरीज के तीमारदारों को डॉक्टरी सलाह की जरूरत है.