हर दिन बढ़ते तापमान को देखते हुए लू से बचाव और संक्रामक बीमारियों की रोकथाम के लिए लोगों को सावधानी बरतने की जरूरत है। लू लगने का सबसे अधिक खतरा वृद्ध, गर्भवती और नवजात शिशुओं को रहता है। इसके अलावा लगातार तेज धूप में रहने से भी लू का खतरा रहता है। लू तब लगती है जब व्यक्ति के शरीर का तापमान सामान्य तापमान से बढ़ जाता है।
सीएमएचओ डॉ. आर.के.चतुर्वेदी ने बताया कि लू से बचाव का एक मात्र तरीका सावधानी रखना है। लू लगने के कारण व्यक्ति बीमार हो जाता है। यदि समय पर उसे इलाज नहीं मिले तो स्थिति गंभीर भी हो सकती है, इसलिए लोग लापरवाही न बरतें और ऐसी शिकायत होने पर तुरंत इलाज लें। जब रोगी के शरीर में नमक और पानी की कमी हो जाती है तब लू लगती है। प्रचंड गर्मी में पसीने के साथ में शरीर में संचित नमक और पानी बाहर निकलता है जिसके कारण रक्त और नाड़ी की गति तेज हो जाती है।
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सांस लेने की दर भी ठीक नहीं रहती है और शरीर में धीरे धीरे ऐंठन शुरू हो जाती है। लू लगने के कारण बुखार काफी तेज हो जाता है, आंखें व हाथ-पैरों के तलवों में जलन होती है। इससे आदमी बेहोश हो सकता है, बहुत अधिक गर्मी और जलन होने से रोगी के शरीर में बेचैनी हो जाती है, मुंह सूखना, गला सूखना, बार-बार प्यास लगना जैसे लक्षण उत्पन्न होने लगते हैं।
विभाग 24 घंटे आपके लिए तैयार
सीएमएचओ ने बताया कि इन दिनों पारा उच्च स्तर पर होता है बहुत गर्म और शुष्क हवाएं बहती हैं। व्यक्ति गर्म हवा और धूप के संपर्क में देर तक रहता है, या उसका चेहरा सिर देर तक धूप में गर्म हवा के संपर्क में आता है, तो लू लगने की संभावना बढ़ जाती है। लू से बचने के लिये खूब पानी पिए और धूप से बचे। जिले में लू के प्रति जागरूकता के लिए स्वास्थ्य अमला द्वारा समय समय पर लू से बचाव के लिये लोगों को उपाय बताते रहेंगे। साथ ही किसी भी गंभीर स्थिति से निपटने के लिए स्वास्थ विभाग 24 घंटे तैयार है।