जीवन भर स्वस्थ रहने के लिए अपने आहार पर ध्यान देना बहुत जरूरी है। पोषक तत्वों की कमी से केवल डायबिटीज ही नहीं, बल्कि कैंसर जैसी घातक बीमारी भी हो सकती है। नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ सिंगापुर के एक शोध में सामने आया है कि बहुत अधिक सोडियम, संतृप्त वसा और चीनी का सेवन क्रोनिक डिजीज का खतरा बढ़ा देता है। इतना ही नहीं, खराब आहार आपके डीएनए को भी खराब कर सकता है। इससे कैंसर का जोखिम बढ़ सकता है। वहीं स्वस्थ आहार बढ़ने और विकसित होने में मदद करता है।
नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ सिंगापुर की एक शोध टीम ने नए निष्कर्ष निकाले हैं। इसके अनुसार, पोषण की कमी वाले आहार या खराब आहार कैंसर के खतरे को बढ़ाते हैं। पौष्टिक आहार पुरानी बीमारियों के खतरे को कम करता है। जो वयस्क स्वस्थ आहार खाते हैं, वे लंबे समय तक जीवित रहते हैं। उनमें मोटापा, हृदय रोग, टाइप 2 डायबिटीज का खतरा कम होता है। हाल ही के शोध बताते हैं कि स्वस्थ भोजन कैंसर जैसी खतरनाक बीमारियों से बचाव में भी मदद करती है।
खराब आहार का डाइट और डायबिटीज में संबंध
खराब आहार और डायबिटीज जैसी बीमारियों के बीच संबंध है। यह अध्ययन एनयूएस (NUS) के निदेशक और प्रोफेसर अशोक वेंकिटरमन के नेतृत्व में हुआ। एनयूएस सेंटर फॉर कैंसर रिसर्च के वैज्ञानिकों के साथ कैंसर साइंस इंस्टीट्यूट ऑफ सिंगापुर और योंग लू लिन स्कूल ऑफ मेडिसिन की भी सहभागिता रही।
पर्यावरणीय कारक बढ़ाते हैं खतरा
प्रोफेसर वेंकिटरमन के अनुसार, “कैंसर हमारे जीन और पर्यावरण में मौजूद कारकों जैसे आहार, व्यायाम और प्रदूषण के बीच परस्पर क्रिया के कारण होता है। पर्यावरणीय कारक कैंसर के खतरे को कैसे बढ़ाते हैं, यह अभी तक बहुत स्पष्ट नहीं है। ये हमें लंबे समय तक स्वस्थ रहने में मदद करते हैं, इसलिए संबंध को समझना महत्वपूर्ण है।”
खराब आहार क्या है?
हाई शुगर, सैचुरेटेड और ट्रांस-फैट वाले आहार, कम फाइबर वाले खाद्य पदार्थ और हाई शुगर वाले ड्रिंक अनहेल्दी या खराब आहार हैं। ये नॉन कम्युनिकेबल डिजीज और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं में योगदान देते हैं। फास्ट फूड और प्रोसेस्ड फ़ूड का अधिक सेवन स्वास्थ्य जोखिमों को बढ़ा देता है। अनहेल्दी आहार में वसायुक्त भोजन, दूध से बने उत्पाद, मीठे खाद्य पदार्थ, अत्यधिक स्वाद वाले भोजन, बहुत तीखा भोजन शामिल है। इससे डैम्प-हीट का निर्माण होता है, जो स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाते हैं।
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खराब आहार से खराब हो सकता है आपका DNA
शोधकर्ताओं ने सबसे पहले उन रोगियों का अध्ययन किया, जिनमें स्तन या सर्विकल कैंसर का हाई रिस्क है। उन्हें अपने पेरेंट्स से कैंसर जीन – बीआरसीए 2 – की एक दोषपूर्ण प्रतिलिपि विरासत में मिली है। ऐसे रोगियों की कोशिकाएं मिथाइलग्लॉक्सल के प्रभावों के प्रति विशेष रूप से संवेदनशील थीं।
यह रसायन तब उत्पन्न होता है, जब हमारी कोशिकाएं ऊर्जा बनाने के लिए ग्लूकोज को तोड़ती हैं। अध्ययन से पता चला कि यह रसायन हमारे डीएनए में दोष पैदा कर सकता है। यह कैंसर के विकास के शुरुआती चेतावनी संकेत हैं।
मिथाइलग्लॉक्सल का स्तर
टीम के शोध ने यह भी सुझाव दिया कि जिन लोगों को बीआरसीए 2 की दोषपूर्ण प्रतिलिपि विरासत में नहीं मिली है। इसके बावजूद वे मिथाइलग्लॉक्सल के सामान्य से अधिक स्तर का अनुभव कर सकते हैं। डायबिटीज वाले रोगी जो मोटापे या खराब आहार से जुड़े हैं, उनमें कैंसर का खतरा अधिक हो सकता है।
हाई मिथाइलग्लॉक्सल वाले रोगियों में कैंसर का खतरा सर्वाधिक
प्रोफ़ेसर वेंकिटरमन के अनुसार, शोध से पता चलता है कि हाई मिथाइलग्लॉक्सल लेवल वाले रोगियों में कैंसर का खतरा अधिक हो सकता है। ब्लड टेस्ट के माध्यम से मिथाइलग्लॉक्सल का आसानी से पता लगया जा सकता है। इसे संभावित रूप से एक मार्कर के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। हाई मिथाइलग्लॉक्सल लेवल को आमतौर पर नियंत्रित किया जा सकता है। दवाओं और हेल्दी डाइट के साथ कैंसर के जोखिम के खिलाफ सक्रिय उपाय किये जा सकते हैं।
कैंसर से बचाव के लिए कैसी डाइट लें?
हार्वर्ड हेल्थ की स्टडी के अनुसार, जरूरी विटामिन और मिनरल से भरपूर आहार कैंसर से बचाव कर सकते हैं। साबुत अनाज, सब्जियां, फल, बीन्स से भरपूर आहार लें। फास्ट फ़ूड, प्रोसेस्ड फ़ूड, ऑयली फ़ूड को सीमित करना चाहिए। साथ ही रेड मीट और प्रोसेस्ड मीट का सेवन न के बराबर हो। एडेड शुगर, स्वीट ड्रिंक, अल्कोहल, स्मोकिंग को एवॉइड करने पर कैंसर से बचाव किया जा सकता है।