Open Heart Surgery: आपने कभी न कभी ओपन हार्ट सर्जरी के बारे में तो सुना ही होगा। लेकिन, आप सोचते होंगे कि क्या सच में इस सर्जरी में दिल खोल कर ऑपरेशन किया जाता है? बता दें कि ये दिल की सबसे रिस्की सर्जरी मानी जाती है, जिसमें दिल की धड़कनें रोक दी जाती हैं। मगर, आपको डरने की जरूरत नहीं है, क्योंकि डॉक्टर दिल को ज़िंदा रखने का भी पूरा इंतजाम रखते हैं।
ऐसे में आज के इस लेख में डॉक्टर से जानिए कि ओपन हार्ट सर्जरी (Open Heart Surgery) क्या होती है? इसकी जरूरत कब पड़ती है? ओपन हार्ट सर्जरी कैसे की जाती है और दिल की बाकी सर्जरी, जैसे स्टेंट और बाईपास से, इलाज के मामले में ओपन हार्ट सर्जरी कितनी अलग है? इस लेख में आपको हर सवाल का जवाब मिलने वाला है।
क्या होती है ओपन हार्ट सर्जरी? (What is Open Heart Surgery)
नई दिल्ली में फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हार्ट इंस्टीट्यूट, एओर्टा सेंटर के डायरेक्टर डॉक्टर शिव चौधरी ने बताया कि हमारा हार्ट खून से भरा हुआ एक मसल पंप है। अगर हमें इसके अंदर काम करना है तो पहले पूरे खून को हटाना पड़ेगा। इसके बाद ही दिल को रोककर उसके अंदर काम किया जा सकता है। जिन ऑपरेशन में हार्ट को रोकने की जरूरत पड़ती है, उनमें हार्ट के काम को हार्ट-लंग मशीन (Heart Lung Machine) पूरा करती है। इस मशीन को लगाने के बाद ही हार्ट को रोककर उसके अंदर काम किया जाता है। इस पूरी प्रक्रिया को ओपन हार्ट सर्जरी कहते हैं।
कब पड़ती है ओपन हार्ट सर्जरी की जरूरत?
डॉक्टर शिव चौधरी ने बताया कि ओपन हार्ट सर्जरी की जरूरत तीन स्थितियों में पड़ती है। पहली- दिल की उन बीमारियों में, जो पैदाइशी हैं। दूसरी- जब हार्ट के वॉल्व बदलने या रिपेयर करने की जरूरत हो। इसके अलावा बाईपास सर्जरी में भी जरूरत पड़ सकती है। कभी-कभी हार्ट-लंग मशीन की जरूरत भी पड़ती है। कुछ मामलों में बिना हार्ट-लंग मशीन के ही ऑपरेशन कर दिया जाता है।
कैसे की जाती है ओपन हार्ट सर्जरी?
ओपन हार्ट सर्जरी के लिए सबसे पहले हार्ट तक पहुंचा जाता है।
इसके लिए छाती के बीच वाली हड्डी ‘स्टर्नम’ को काटा जाता है।
फिर हार्ट के बाहर मौजूद झिल्ली ‘पेरिकाडियम’ को भी काटा जाता है।
इसके बाद डॉक्टर हार्ट तक पहुंच पाते हैं।
फिर हार्ट में आ रहे डीऑक्सीजनेटेड ब्लड (शरीर से आने वाला खून) को डायवर्ट किया जाता है।
इससे पहले मरीज़ को हेपरिन नाम की एक दवाई दी जाती है।
ये दवाई खून में थक्का जमने से रोकती है।
अब नसों से जो ब्लड डायवर्ट किया गया है, उसे ऑक्सीजनेटर मशीन में लाया जाता है।
फिर यहां इस ब्लड को ऑक्सीजनेट (खून में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ाना) किया जाता है।
अब इस ऑक्सीजनेटेड बल्ड को पंप के जरिए मरीज की एओर्टा में भेजा जाता है।
एओर्टा वो आर्टरी है, जो ब्लड को हार्ट से पूरे शरीर में लेकर जाती है।
इसके बाद एक खास दवाई डालकर हार्टबीट को रोक दिया जाता है।
इसके बाद हार्ट के अंदर ऑपरेशन किया जाता है।
फिर दोबारा हार्ट को चालू किया जाता है।
इसके बाद धीरे-धीरे मरीज को हार्ट-लंग मशीन से अलग किया जाता है।
स्टेंट और बाईपास से कितनी अलग है ओपन हार्ट सर्जरी?
दिल की पैदाइशी बीमारियों और वॉल्व के मामलों में ओपन हार्ट सर्जरी की जरूरत पड़ती है। वहीं, कोरोनरी आर्टरी डिज़ीज़ होने पर इलाज स्टेंट और बाईपास, दोनों से किया जा सकता है। हालांकि, इलाज स्टेंट से होगा या बाईपास से, ये कुछ फैक्टर्स पर निर्भर करता है। जैसे कोरोनरी आर्टरी डिजीज की लोकेशन क्या है, मरीज की कंडीशन कैसी है और उसको कोई गंभीर बीमारी तो नहीं है। इनके आधार पर ही तय होता है कि मरीज को स्टेंट की जरूरत है या बाईपास की।
ओपन हार्ट सर्जरी के अपने रिस्क हैं। सर्जरी के बाद मरीज़ को बेहतर होने में करीब छह महीने का समय लगता है, इसलिए सर्जरी के बाद अपना पूरा ख्याल रखना चाहिए। डॉक्टर जो भी एहतियात बताएं, उन्हें बरतें।