स्वास्थ्य और बीमारियां

गर्दन में दर्द के लिए Heat सिकाई करें या Cold, जानें एक्सपर्ट्स से

हम सभी को पता होता है कि सिकाई से दर्द में राहत मिलती है। लेकिन गर्म सिकाई कब करनी चाहिए या ठंडी कब करनी चाहिए, इसे लेकर मन में कई सवाल रहते हैं। क्योंकि दोनों सिकाई अलग-अलग तरीके से काम करती हैं, इसलिए कंफ्यूजन बनी रहती है।

इस बात का कोई प्रमाण नहीं है कि किसी भी प्रकार के दर्द के लिए कोल्ड थेरेपी बेहतर है या हॉट थेरेपी। हालांकि, एक्सपर्ट्स नई चोट व सूजन की शिकायत पर ठंडी सिकाई का परामर्श देते हैं। वहीं, सूजन के कम होने पर, कठोरता व तनाव को कम करने के लिए गर्म सिकाई की सिफारिश करते हैं।

कौन-सी थेरेपी बेहतर?

एनसीबीआई पर उपलब्ध शोध के मुताबिक गर्दन में दर्द के लिए हॉट और कोल्ड दोनों सिकाई को बेहतर माना जाता है। आमतौर पर एक्यूट नेक इंजरी, अचानक गर्दन में मांसपेशियों पर दबाव पड़ने के कारण दर्द, सूजन, एक्सरसाइज के बाद मांसपेशियों को आराम पहुंचाने आदि के लिए आईस यानी कोल्ड थेरेपी की सलाह दी जाती है।

वहीं, दूसरी तरफ हॉट थेरेपी यानी गर्म सिकाई से सूजन कम हो जाने के बाद पुरानी या बार-बार गर्दन में अकड़न, स्ट्रेचिंग या व्यायाम से पहले मांसपेशियों के वॉर्म अप के लिए करने के लिए कहा जाता है।

पहले कौन-सी थेरेपी करें?

कुछ शोध में इस बात की पुष्टि होती है कि एक्सरसाइज करने के तुरंत 24 घंटे के अंदर ठंडी सिकाई करने से दर्द कम होता है। हालांकि, गर्दन में दर्द के पीछे कई कारण हो सकते हैं, इसलिए दोनों में से किसी एक को पूरी तरह बेहतर कहना सही नहीं होगा। बेहतर परिणामों के लिए आप बारी-बारी दोनों को करें और जिससे आपकी गर्दन को ज्यादा आराम मिले उसका चयन करें। ध्यान रखें कोई भी सिकाई करें एक बार में 20 मिनट से ज्यादा न करें।

कैसे काम करती है ठंडी सिकाई

ठंडी सिकाई में रक्त वाहिकाओं को संकुचित करके परिसंचरण को धीमा करने और सूजन को कम करके नई चोट से होने वाले अचानक दर्द को कम करने में मदद होती है। कोल्ड थेरेपी को मांसपेशियों की ऐंठन व तेज दर्द के अहसास को सुन्न करने के लिए बेहतर माना जाता है। यदि आप गर्दन में दर्द या खिंचाव के कारण बेड रेस्ट पर हैं, तो इसके लिए एक्सपर्ट्स कोल्ड थेरेपी यानी ठंडी सिकाई को बेहतर मानते हैं।

हॉट थेरेपी क्यों है बेहतर?

गर्म सिकाई परिसंचरण में सुधार कर पुरानी से पुरानी कठोरता और तंग मांसपेशियों की परेशानी से राहत प्रदान करने में मदद करती है। इसकी मदद से प्रभावित क्षेत्र में अधिक पोषक तत्व और ऑक्सीजन को पहुंचाया जा सकता है, जो दर्द से निजात दिला सकते हैं। यह थेरेपी तंग मांसपेशियों को ढीला करने और ऊतकों को अधिक लचीला बनाने में भी मदद करती है। जब आप बेड रेस्ट पर नहीं हैं व रोजमर्रा के कार्य कर रहे हैं तो ऐसे में एक्सपर्ट द्वारा हॉट थेरेपी की सलाह दी जाती है।

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