आपने अक्सर सुना होगा कि गर्भावस्था के दौरान एक महिला जितना ज्यादा खुश और तनाव से दूर रहेगी, उसके बच्चे का स्वास्थ्य उतना ही बेहतर होगा। हाल ही में हुई एक स्टडी में यह बात साबित हो चुकी है।
एक स्टडी के अनुसार, गर्भावस्था के दौरान महिला से किसी तरह का भेदभाव या इमोशनली जुड़ाव न रखना बेहद गंभीर स्थिति पैदा कर सकता है। इससे न सिर्फ महिला का स्वास्थ्य प्रभावित होगा, बल्कि होने वाले बच्चे के ब्रेन पर भी असर पड़ेगा। येल और कोलंबिया विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं के अध्ययन से पता चला है कि गर्भवती महिलाओं को जिन दर्दनाक अनुभवों का सामना करना पड़ता है, वे उनके अजन्मे बच्चे के मस्तिष्क सर्किटरी को प्रभावित कर सकते हैं और यह सामान्य तनाव और अवसाद के कारण होने वाले अनुभवों से अलग है।
तनाव और अवसाद बच्चे के लिए हानिकारक
पिछली रिसर्च से पता चला है कि तनाव और अवसाद का उच्च स्तर सभी के लिए हानिकारक है। खासकर गर्भावस्था के दौरान इसका बच्चों पर लंबे समय तक प्रभाव पड़ सकता है। हाल के वर्षों में, अध्ययनों से यह बात भी सामने आयी है कि महिलाओं के साथ होने वाले भेदभाव या अन्य इमोशनली फेक्टर बच्चों के ब्रेन को प्रभावित कर सकते हैं।
इस रिसर्च में 38 महिलाएं शामिल थीं, जिनके बच्चों की मस्तिष्क कनेक्टिविटी का मूल्यांकन करने के लिए एमआरआई किया गया था। जर्नल न्यूरोसाइकोफार्माकोलॉजी में प्रकाशित परिणामों में उन बच्चों में अंतर दिखाया गया, जिनके माता-पिता ने गर्भवती होने के दौरान भेदभाव का अनुभव किया था।
मामला बेहद सेंसेटिव
रिसर्चर्स ने कहा है कि मस्तिष्क का एक क्षेत्र जो इमोशनल भाव से जुड़ा होता है, वह बहुत ज्यादा संवेदनशील होता है। ऐसे में होने वाले बच्चे में इसका विपरीत असर देखा जा सकता है। रिसर्चर्स का कहना है कि भविष्य के शोध को इस बात पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए कि क्या अन्य आबादी भी इसी तरह से प्रभावित होती है और प्रभावों का कारण क्या है।