हम में से कई लोग प्लास्टिक बैग का इस्तेमाल करने से परहेज करते हैं क्योंकि यह पर्यावरण के लिए सही नहीं माना जाता है। साथ ही इससे स्वास्थ्य पर भी नेगेटिव असर पड़ता है। वहीं, हम में से कई लोग बायोडिग्रेडेबल टी बैग को सही मानते हैं। प्लास्टिक के खिलाफ यह सबसे अच्छा विकल्प माना जाता है। लेकिन आपको जानकर आश्चर्य होगा कि मकई स्टार्च या गन्ने का इस्तेमाल करके बनाए जाने वाले लगभग सभी तरह के बायोडिग्रेडेबल टी बैग सेहत के लिए सही नहीं होते हैं। साथ ही ये बैग्स मिट्टी में नष्ट नहीं होते। ऐसे में यह स्थलीय प्रजातियों और पर्यावरण को नुकसान पहुंचा सकता है।
क्या कहती है रिसर्च?
यूके में प्लायमाउथ और बाथ विश्वविद्यालयों के शोधकर्ताओं ने पॉलीलैक्टिक एसिड (पीएलए) द्वारा एक रिसर्च किया गया है, जिसमें तीन अलग-अलग रचनाओं का इस्तेमाल करके तैयार किए गए टी बैग्स को करीब 7 महीने तक मिट्टी में दबाया गया। इसके बाद जब मिट्टी में इन बैग्स को देखा गया, तो पाया गया है कि ये पीएलए से बने बैग मिट्टी में वैसे के वैसे ही हैं। ऐसे में साबित होता है कि पीएलए बैग्स मिट्टी में नहीं समा सकते हैं।
बायोडिग्रेडेबल टी बैग का प्रयोग बहुत ज्यादा
रिसर्च में देखा गया कि सेलूलॉज और पीएलए के कॉम्बिनेशन से तैयार किए गए दो तरह के टी बैग छोटे-छोटे टुकड़ों में टूट गए हैं। पीएलए घटक शेष रहने पर उनके कुल द्रव्यमान का 60 से 80 प्रतिशत तक मिट्टी में नष्ट हो गया था।
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रिसर्च के शोधकर्ताओं का कहना है कि आज के समय में बायोडिग्रेडेबल टी बैग का प्रयोग काफी तेजी से किया जा रहा है। क्योंकि लोग इसे एक अच्छा विकल्प मानते हैं, लेकिन ये बैग्स भी पर्यावरण को नुकसान पहुंचा सकते हैं। ऐसे में सीमित मात्रा में ही इन बैग्स का भी प्रयोग करना चाहिए।