होली मतलब रंग-अबीर, गुजिया और तमाम खाने पाने की चीजें। इस त्योहार में तो खुशी मनाना जरूरी है लेकिन, सेहत का ध्यान रखना इससे भी ज्यादा जरूरी है। आपको जानकर हैरानी हो सकती है पर होली में मिलने वाले रंगों में कई चीजों की मिलावट हो सकती है। ये तमाम चीजें नाक, मुंह और स्किन के जरिए शरीर तक पहुंच सकते हैं और नुकसान पहुंचा सकते हैं।
ऐसा हम नहीं बल्कि, Pulmonologist Dr. Kutty Sharada Vinod, Karuna Hospital , Delhi का कहना है। तो आइए जानते हैं कि आखिर होली के त्योहार में सेहत से जुड़ी किन बातों का ध्यान रखना जरूरी है।
होली के रंगों में हो सकती है इन चीजों की मिलावट
Pulmonologist Dr. Kutty Sharada Vinod बताती हैं कि होली के रंगों में अक्सर कई चीजों की मिलावट होती है जो कि सीधे तौर पर नुकसानदेह हैं। जैसे पारा, लेड धातु और फिर क्रोमियम। ये हैवी मेटल्स गंभीर खतरे पैदा कर सकते हैं खासकर कि आपके श्वसन तंत्र के लिए। जैसे –
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- ये आपके फेफड़ों के मार्ग में जाकर फंस सकते हैं जिस वजह से आपको ब्रोंकाइटिस, अस्थमा और एलर्जी ट्रिगर कर सकता है और ये होता भी है। ज्यादातर लोग होली खेलने के बाज जुकाम-खांसी के शिकार हो जाते हैं।
- होली के रंगों में सीसा जैसी भारी धातुएं होती हैं, जो खून में टॉक्सीनेशन का कारण बन सकती है।
- बच्चों के लिए खतरनाक क्रोमियम, एक अन्य सामान्य घटक जो ब्रोंकाइटिस, अस्थमा और एलर्जी को ट्रिगर कर सकता है।
- पारा किडनी, लीवर और भ्रूण के स्वास्थ्य पर प्रभाव डालता है।
- सिंथेटिक रंगों में जलन पैदा करने वाले तत्व होते हैं। जो कि स्किन के लिए भी नुकसानदेह हैं।
ध्यान रखें एक्सपर्ट की ये बातें
- सबसे पहले तो बेहद रंगीन और चमकते हुए रंगों को खरीदने से बचें। ये मिलावटी होते हैं।
- सबसे पहले तो फूलों और जड़ी-बूटियों से बने नेचुरल रंगों का चुनाव करें।
- अगर अस्थमा और ब्रोंकाइटिस के मरीज हैं तो नाम मात्र की होली खेलें या खेलते समय फिट मास्क या स्कार्फ पहनें।
- रंग के कणों को नाक और मुंह से अंदर लेने से बचें।
- होली उत्सव के दौरान घर के अंदर पर्याप्त वेंटिलेशन सुनिश्चित करें ताकि वायुजनित प्रदूषकों और रंगों के नुकसान को कम से कम किया जा सके।
- होलिका दहन के दौरान घर के छोटे बच्चों और बड़ों को दूर रखें ताकि उन्हें एनर्जी न हो।
- शराब और भांग आदि के सेवन से बचें।
होली के दौरान आपको इन तमाम बातों का ध्यान रखना चाहिए ताकि आप इन समस्याओं से बचें। साथ ही कोशिश करें कि केवलल नेचुरल रंगों का चुनाव करें और सांस से जुड़ी दिक्कतें हैं जैसे कि अस्थमा, ब्रोंकाइटिस और साइनस आदि तो होली न खेलें या फिर संभल कर खेलें।