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‘आंत’ से बनाया बच्चेदानी का रास्ता, स्त्री रोग सर्जरी में मिली महत्वपूर्ण सफलता

लखनऊ: स्त्री रोग सर्जरी में प्राप्त एक अभूतपूर्व उपलब्धि में क्वीन मैरी अस्पताल (केजीमयू) में स्त्री रोग विशेषज्ञों और सर्जन की टीम ने गर्भाशय ग्रीवा के एट्रेसिया (जन्मजात विकार जिसमे योनि और गर्भाशय ग्रीवा अविकसित होती है) को सिग्माइड वैजिनोप्लेस्टी (आंतों से योनि का रास्ता) बना कर सही किया, जो जन्मजात प्रजनन संबंधी विसंगातियों के उपचार में एक महत्त्वपूर्ण कदम है।

डॉक्टर्स की टीम में ये लोग रहे शामिल

गर्भाशय ग्रीवा एट्रेसिया एक ऐसी स्थिति है जिसमें गर्भाशय ग्रीवा और योनि अनुपस्थित या अविकसित होती है, जिससे मासिक धर्म नहीं आता है, गर्भाशय में मासिक रक्तः जमा होने से पेट में अत्यधिक दर्द, यौन रोग एवं बांझपन हो सकता है। डॉक्टरो की टीम में डॉ एसपी जयसवार, डॉ सीमा महरोत्रा, डॉ पीएल संखवार और डॉ मंजूलता वर्मा, एनेस्थीसिया विभाग के डॉ एहसान सिद्दीक़ी, डॉ श्रुति, डॉ ख्याति और सिस्टर ममता शामिल थे। बाल चिकित्सा सर्जरी विभाग के डॉ एसएन कुरील ने अपने शल्य चिकित्सा कौशल के साथ इस सर्जरी को सफल बनाया।

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यह मामला बाराबंकी निवासी सुनीता (बदला हुआ नाम)का है, जिसे पिछली चार सर्जरी के बाद भी ठीक नहीं किया जा सका, इसके पश्चात उसे केजीएमयू रेफेर किया गया था। बार बार योनि सर्जरी के बाद भी उसकी समस्या दूर नहीं हुई जिससे गर्भाशय के अंदर मासिक धर्म के रक्त के संग्रह के कारण असहनीय पीड़ा होती थी। यहां तक कि कुछ चिकित्सकों ने उसे गर्भाशय निकालने की सलाह भी दी थी।

क्या कहना है विशेषज्ञों का

डॉ एसपी जयसवार ने बताया कि सर्विकोवैजिनल एट्रेसिया में सर्जिकल उपचार चुनोतीपूर्ण होता है, ग्राफ्ट किया गया ऊतक ना तो स्खलित होना चाहिए, ना संकुचित होना चाहिए और संतोषजनक सौंदर्य परिणाम प्रदान करना चाहिए। पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ एसन कुरील ने बताया कि वैजिनोप्लेस्टी के लिये सिग्माइड कोलन (बड़ी आँत)को प्राथमिकता दी जाती है क्योंकि यह वैजिनल ऊतको के सामान होता है, जिससे अधिक प्रभावी परिणाम मिलते है। उन्होंने बताया कि सिग्माइड कोलन वैजिनोप्लेस्टी बड़े लुमेन, आघात प्रतिरोधी मोटी दीवारे और पर्याप्त सार्व के कारण पसंद का उपचार है ।इस से नीचे के रास्ते को चिकनायी मिलती है, लंबे समय तक फैलाव की आवश्यकता नहीं होती है और कम समय में ठीक हो जाता है।

स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ अंजू अग्रवाल ने बताया कि लोगो में यह जागरूकता ज़रूरी है कि जन्मजात प्रजनन विकार शल्य चिकित्सा जैसा जटिल ऑपरेशन विशेषज्ञों द्वारा गहन जाँच के बाद ही कराने चाहिए जिससे मरीज़ को अच्छे परिणाम मिल सके। डॉ सीमा महरोत्रा ने बताया की औपरेशन के बाद से मरीज़ को नियमित मासिक धर्म शुरू हो गया है, दर्द की समस्या से निजात मिल गई है। डॉक्टर मंजूलता वर्मा ने निष्कर्ष निकाला कि यह सर्जिकल तकनीक ऐसे मरीज़ो के जीवन की गुर्णवत्ता को महत्वपूर्ण रूप से सुधार सकती है।

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