स्वास्थ्य और बीमारियां

आत्महत्या का आता है विचार, कहीं इस डिप्रेशन का शिकार तो नहीं

आजकल लोगों में डिप्रेशन की समस्या बहुत अधिक देखने को मिल रही है। डिप्रेशन कई प्रकार का होता है जैसे माइल्ड, लो-ग्रेड डिप्रेशन। जो लोग इससे ग्रस्त होते हैं, उन्हें पता भी नहीं चलता कि वे अवसाद से ग्रस्त हो चुके हैं। अक्सर लोग अपनी डेली लाइफ में उदासी महसूस करना, मूड सही ना होना जैसी परेशानियों से जूझते हैं, लेकिन लोग इसे नॉर्मल मानते रहते हैं। कभी-कभी उदासी महसूस करना, खुश ना रहना चलता है, लेकिन ऐसा नियमित रूप से हो, तो इसे नजरअंदाज करना सही नहीं है। यह डिप्रेशन के लक्षण हो सकते हैं।

क्या है लो-ग्रेड डिप्रेशन?

लो-ग्रेड डिप्रेशन को डिस्थीमिया भी कहते हैं। यह अवसाद का एक ऐसा रूप है, जिसमें अधिकतर लोगों को यह पता नहीं चलता कि उन्हें यह समस्या है। लो-ग्रेड या लो-लेवल से लोग यह समझ बैठते हैं कि उनकी समस्या बहुत हल्की है, लेकिन ऐसा नहीं होता। वास्तव में अवसाद का यह रूप एक गंभीर विकार है, जो दीर्घकालिक शारीरिक और मनोवैज्ञानिक जटिलताओं के साथ-साथ जीवन की गुणवत्ता में उल्लेखनीय रूप से गिरावट का कारण बन सकता है।

कई बार लो-ग्रेड डिप्रेशन होने का कोई मुख्य कारण नजर नहीं आता है। लगभग 3.6 प्रतिशत जनसंख्या अपने पूरे जीवनकाल के किसी पड़ाव पर इस डिप्रेशन से ग्रस्त होते हैं। औसतन, लो-लेवल डिप्रेशन वयस्कों में पांच सालों तक बना रह सकता है। यह एक मानसिक स्वास्थ्य स्थिति है, जिसे कई अन्य नामों से भी जाना जाता है, जिनमें शामिल हैं –

  • निम्न स्तर का अवसाद
  • उच्च कार्यशील अवसाद
  • क्रोनिक लो-ग्रेड डिप्रेशन
  • लगातार अवसादग्रस्तता विकार (पीडीडी)

लो-ग्रेड डिप्रेशन के लक्षण

  • बहुत कम या ज्यादा सोना
  • लगातार थकान महसूस करना
  • आत्म-सम्मान में कमी
  • मन में नकारात्मक ख्याल आना, मूड में उतार-चढ़ाव
  • किसी भी एक्टिविटी को एन्जॉय ना करना
  • खालीपन या निराशा की भावना
  • एकाग्रता में कमी
  • निर्णय लेने में कठिनाई महसूस करना
  • बहुत अधिक या बहुत कम खाना, वजन का घटना या बढ़ना

लो-ग्रेड डिप्रेशन से बचाव

  • रोज सुबह उठकर अपने लिए एक लक्षय निर्धारित करें और उसे पाने की कोशिश करें।
  • सुबह-शाम अच्छे से 30 मिनट एक्सरसाइज करें। योग-ध्यान करें।
  • नशीले पदार्थों और दवाओं का सेवन करने से बचें। इससे आपको काफी नुकसान हो सकता है।
  • सेहत से भरपूर भोजन करने की कोशिश करें।
  • अच्छे से पूरी नींद लें और मनपंसद काम करने की कोशिश करें।
  • साथ ही अपने दोस्त और परिवार के साथ ज्यादा से ज्यादा वक्त बिताने पर ध्यान दें।
  • डॉक्टर की सलाह पर जरूर अमल करें और दवा की कोर्स भी पूरा करना चाहिए।

इस डिप्रेशन में आता है आत्महत्या का विचार

लो-ग्रेड डिप्रेशन की तुलना में मेजर डिप्रेशन अधिक गंभीर होता है। हालांकि, दोनों के अधिकतर लक्षण एक समान ही होते हैं। निम्न-श्रेणी के अवसाद के लक्षण प्रमुख अवसादग्रस्तता विकार से जुड़े लक्षणों के समान होते हैं। इन दोनों डिसऑर्डर के बीच सिर्फ लक्षणों की गंभीरता का फर्क होता है।

मेजर डिप्रेशन से ग्रस्त लोगों में आत्महत्या के विचार का अनुभव होने की अधिक संभावना होती है। लो-ग्रेड डिप्रेशन से ग्रस्त लगभग 75% व्यक्ति मेजर डिप्रेशन के एपिसोड का अनुभव करते हैं। इसी कारण से माइल्ड डिप्रेशन का इलाज जरूरी है, क्योंकि यह आसानी से अधिक गंभीर स्थिति में बदल सकता है।

मेजर डिप्रेशन के लक्षण

  • जरूरत से ज्यादा चिड़चिड़ा हो जाता है
  • हर वक्त दुख ही रहने लगता है
  • पसंदीदा काम में भी उसका मन नहीं लगता
  • एकदम से वजन घटना या बढ़ना
  • भूख का घटना-बढ़ना लगती है
  • बेचैनी महसूस होना
  • एनर्जी की कमी

मेजर डिप्रेशन का इलाज

  • इस बीमारी का लक्षण देखते ही डॉक्टर से संपर्क करें और उसकी सलाह से दवाइयां लेना शुरू कर दें।
  • इसके इलाज में मनोवैज्ञानिक चिकित्सा भी बहुत फायदेमंद है। इसमें डॉक्टर के सामने रोगी खुलकर अपनी बीमारी है परेशानी रख सकता है। डॉक्टर के सामने अपनी बात बोलने से मरीज का आत्मविश्वास बढ़ता है।
  • हेल्दी लाइफस्टाइल और खाने पीने के तरीके को सही करने से भी इस बीमारी में मदद मिलती है। खुद को फिजिकल एक्टिविटी से जोड़ने की जरूरत है।

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