उम्र बढ़ने के साथ-साथ महिलाओं और पुरुषों दोनों की प्रजनन क्षमता कम होने लगती है। हालांकि 40 की उम्र पार करते ही महिलाओं को कई ऐसी स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ता है जिनके कारण कई बार वह चाहते हुए भी गर्भधारण नहीं कर पातीं। हालांकि साइंस ने महिलाओं की इस समस्या का हल खोज निकाला है।
बढ़ती उम्र में गर्भधारण करने की असंभव सी लगने वाली इच्छा को पूरा करना अब संभव है। हालांकि अधिकांश मामलों में यह जरूरी है कि आप मायोमेक्टोमी का उपचार करवाएं।
क्या है मायोमेक्टोमी
मायोमेक्टोमी एक सर्जिकल प्रक्रिया है, जिसके माध्यम से फाइब्रॉएड को भी हटाया जाता है। फाइब्रॉयड को यूट्रेनिल लियोमायोमस भी कहा जाता है। फाइब्रॉएड गर्भधारण में सबसे बड़ी बाधा होते हैं। अगर ये बढ़ जाएं तो गर्भाशय के कैंसर का कारण भी बन सकते हैं। मायोमेक्टोमी विभिन्न तरीकों से की जा सकती है, जिनमें लेप्रोस्कोपिक सर्जरी, पेट की सर्जरी और हिस्टेरोस्कोपी सर्जरी शामिल है। आपके फाइब्रॉएड के प्रकार, संख्या और स्थान पर यह निर्भर करता है कि आपको कौन सी सर्जरी करवानी होगी।
मायोमेक्टोमी के बाद भी आ सकती है परेशानी
कई बार ऐसा भी होता है कि मायोमेक्टोमी उपचार लेने के बावजूद ज्यादा उम्र में गर्भधारण में समस्याएं आती हैं। मायोमेक्टोमी के समाधान के बाद भी आपको अपनी लाइफस्टाइल में सकारात्मक बदलाव करने की आवश्यकता होती है। पौष्टिक आहार और एक्सरसाइज जरूरी है, जिससे आपका वजन कंट्रोल में रहे। इसके अलावा भी कई कारण हैं, जो गर्भधारण को प्रभावित कर सकते हैं।
मायोमेक्टोमी का प्रकार
मायोमेक्टोमी से प्रभावित महिलाओं को इसका प्रकार भी प्रभावित करता है। जो महिलाएं लेप्रोस्कोपिक मायोमेक्टोमी से प्रभावित होती हैं, उनमें गर्भधारण की संभावना अधिक होती है। वहीं जिन महिलाओं को एब्डामनल मायोमेक्टोमी होती है, उन्हें गर्भधारण में अधिक समस्या होती है।
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फाइब्रॉएड की संख्या और आकार
गर्भधारण में फाइब्रॉएड मुख्य बाधा के रूप में काम करते हैं। जिन महिलाओं में फाइब्रॉएड अधिक और बड़े आकार के होते हैं, उन्हें गर्भधारण में समस्या भी ज्यादा आ सकती है।
फाइब्रॉएड का स्थान
फाइब्रॉयड का स्थान भी गर्भधारण में महत्वपूर्ण है। ऐसी महिलाएं जो गर्भाशय के अंदर फाइब्रॉयड की परेशानी से जूझ रही हैं, यानी जो सबम्यूकस फाइब्रॉएड से पीड़ित हैं, उन्हें गर्भधारण में जटिलताओं का अधिक सामना करना पड़ता है। वहीं जिनके फाइब्रॉएड गर्भाशय के बाहर हैं यानी सबसेरोसल फाइब्रॉएड हैं, उनमें जटिलताएं कम होती हैं।
उम्र
40 पार महिलाओं को गर्भधारण में अधिक समस्या आती है। वहीं इससे कम उम्र की महिलाओं की प्रजनन क्षमता अच्छी होती है।
सेहत है महत्वपूर्ण
फाइब्रॉयड के साथ ही आपकी सेहत भी गर्भधारण में महत्वपूर्ण है। डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर आदि गर्भधारण में बाधक बन सकती हैं।
ऐसे करें गर्भधारण की तैयारी
अगर आप बड़ी उम्र में गर्भधारण की कोशिश कर रही हैं तो आपको कुछ तैयारियां करनी होंगी। डॉक्टर की सलाह पर मायोमेक्टोमी करवाने के साथ ही आपको आवश्यक दवाओं का सेवन भी करना होगा। स्वस्थ आहार और व्यायाम दोनों ही गर्भधारण में मददगार होते हैं। अपने मासिक धर्म चक्र का ध्यान रखें।
कुछ जोखिम भी हैं साथ
विशेषज्ञों के अनुसार जो महिलाएं 35 वर्ष से अधिक उम्र में गर्भधारण करती हैं, उनमें समय से पहले शिशु को जन्म देने की संभावना ज्यादा होती है। इसी के साथ 40 पार की उम्र में गर्भधारण से गर्भावस्था के दौरान डायबिटीज और ब्लड प्रेशर की समस्या हो सकती है। बढ़ती उम्र के साथ-साथ नॉर्मल डिलीवरी की संभावना भी कम होती जाती है, ऐसे में सी-सेक्शन डिलीवरी का विकल्प ही रह जाता है।