कई दशकों से महिला निःसंतानता की समस्या कुछ ज्यादा ही बढ़ गई है। प्रजनन संबंधी समस्या सिर्फ बढ़ती महिलाओं की ही समस्या नहीं है बल्कि इसके अन्य कारण भी हो सकते हैं। पहले के समय में 35 साल से अधिक उम्र की महिलाओं में ये परेशानी देखी जाती थी। लेकिन अब तो 18 से 30 साल की महिलाएं भी निसंतानता की समस्या का शिकार हो रही हैं। इस वजह से दुनियाभर की महिलाओं का फर्टिलिटी रेट भी लगातार कम हो रहा है।
आशा आयुर्वेदा की डायरेक्टर और सीनियर सलाहकार डॉ. चंचल शर्मा का कहना है कि दुनिया की 17.5% आबादी इनफर्टिलिटी की समस्या से पीड़ित है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली में प्रजनन दर घटकर 2.2 से 1.1 हो गई है। शहरी महिलाओं में प्रजनन दर कम होने का सबसे बड़ा कारण कम एग रिजर्व (अंडे की कमी) है। केवल दिल्ली ही नहीं, अब यह समस्या अन्य शहरों में भी बढ़ती जा रही है। पिछले कुछ सालों से यह समस्या लगातार बढ़ती जा रही है।
क्यों हो रही है इनफर्टिलिटी की समस्या?
डॉ. चंचल बताती हैं कि शहरी क्षेत्रों में रहने वाले लोगों में निसंतानता की समस्या को अधिक देखा जा रहा है। ज्यादातर मामलों में तो डॉक्टर आईवीएफ करवाने की सलाह देते हैं लेकिन इस तकनीक का सहारा लेने के बावजूद भी महिलाएं मां नहीं बन पा रही हैं। कम उम्र में मां न बन पाने के कई कारण हो सकते है। जैसे कि आजकल कम उम्र की लड़कियों में भी कम एग रिजर्व की समस्या देखी जा रही है।
Also Read – अगर आप मानसिक स्वास्थ्य से परेशान हैं तो फुट मसाज करेगा आपकी मदद
इसके अलावा एग पर असर पड़ना, महिलाओं में हार्मोनल डिसऑर्डर होना, एंडोमेट्रिओसिस के कारण, ओवुलेशन की समस्या होना, पीसीओडी, पीसीओएस और पीरियड अन्य समस्याओं के कारण महिलाएं कंसीव नहीं कर पाती है। साथ ही इनमें प्रदूषण, खराब जीवनशैली, आहार में कम पोषक तत्वों की कमी, अनुवांशिक कारण निसंतानता के कारण जिम्मेदार ठहराते है।
डॉ. चंचल कहती हैं कि अब लोग दिन के बजाए रात में भी काम करते है जिससे उनका नींद का पैटर्न बिगड़ जाता है। इसके अलावा बच्चेदानी में टीबी होने से भी गर्भधारण करने में समस्या आती है। बार-बार मिसकैरेज होना, पीआईडी, यूटीआई, एंडोमेट्रियोसिस, फाइब्रॉएड या अनएक्सप्लेंड इनफर्टिलिटी जैसी कई बीमारियां भी इसका कारण हो सकती हैं। इनफर्टिलिटी से बचने के लिए महिलाओं को अपनी सेहत का ध्यान रखना बेहद जरूरी है। आयुर्वेद के अनुसार, एक व्यक्ति को न सिर्फ शारीरिक दोषों पर काम करना चाहिए, बल्कि अपने मानसिक दोषों पर भी काम करना बेहद जरूरी है।
इनफर्टिलिटी का क्या है उपचार
इलाज के लिए डॉ. चंचल बताती है कि आयुर्वेद में सेहत को ठीक करने और ऊर्जा देने के साथ-साथ कई बीमारियों का इलाज करने की क्षमता है। आप आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों की मदद से अपनी प्रजनन क्षमता को बढ़ा सकते हैं। आयुर्वेदिक चिकित्सा के द्वारा इनफर्टिलिटी का इलाज आज के समय में एक वरदान जैसा साबित हुआ है क्योंकि इनफर्टिलिटी की समस्या में मेडिकल साइंस भी उतना कारगर नहीं हुआ है जितना आयुर्वेद ने सफलता पाई है। इसमें मुख्य रूप से पंचकर्म पद्धति है जो कि इनफर्टिलिटी के लिए एक बहुत ही अच्छी भूमिका निभाता है। इस इलाज की खास बात यह है कि महिलाएं बिना किसी साइड इफेक्ट या सर्जरी के प्राकृतिक रूप से गर्भधारण करती हैं और इसका खर्च भी कम है।