टेलीविजन इंडस्ट्री के फेमस एक्ट्रेस हिना खान स्टेज-थ्री ब्रेस्ट कैंसर से जंग लड़ रही हैं। इन दिनों उनका इलाज चल रहा है और वो कीमोथेरेपी करा रही हैं। अपनी सेहत से जुड़े अपडेट्स वो लगातार सोशल मीडिया पर अपने फैंस के साथ शेयर करती रहती हैं। हाल ही में हिना ने एक नई जानकारी शेयर की है कि कीमोथेरेपी की वजह से उनको एक और बीमारी हो गई है।
एक सोशल मीडिया पोस्ट में एक्ट्रेस हिना खान ने बताया कि उन्हें म्यूकोसाइटिस हो गया है। ये कीमोथेरेपी का एक साइड इफेक्ट है। इस दिक्कत की वजह से उन्हें कुछ भी खाने में बहुत परेशानी हो रही है।
क्या होता है म्यूकोसाइटिस? (What is Mucositis)
सोनीपत के एंड्रोमेडा कैंसर अस्पताल में ऑन्कोलॉजी के सीनियर कंसल्टेंट डॉक्टर रमन नारंग बताते हैं कि कई बार कैंसर के इलाज के दौरान डाइजेस्टिव ट्रैक्ट के कुछ सेल्स को नुकसान पहुंचता है। डाइजेस्टिव ट्रैक्ट यानी वो अंग जो खाना निगलते, पचाते, सोखते और शरीर से बाहर निकालते हैं। ऐसी स्थिति में डाइजेस्टिव ट्रैक्ट में मौजूद सेल्स अल्सर और इंफेक्शन के प्रति काफी सेंसेटिव हो जाते हैं। इससे मुंह से लेकर आंतों तक नुकसान पहुंचता है, सूजन आ जाती है, अल्सर हो जाता है, इसे ही म्यूकोसाइटिस (Mucositis) कहते हैं।
म्यूकोसाइटिस से होनी वाली दिक्कतें
डॉक्टर रमन बताते हैं कि वैसे तो म्यूकोसाइटिस पूरे डाइजेस्टिव ट्रैक्ट में कहीं पर भी हो सकता है। मगर, सबसे अधिक ये मुंह में ही होता है। इससे मरीज का खाना-पीना मुहाल हो जाता है। म्यूकोसाइटिस होने पर मुंह और मसूड़े लाल पड़ जाते हैं, उनमें सूजन आ जाती है। मुंह में खून आने लगता है, लार गाढ़ी हो जाती है। मुंह सूखा-सूखा लगता है। मुंह, मसूड़ों या जीभ पर घाव हो जाते हैं। कुछ भी खाने, निगलने या बोलने में बहुत दिक्कत होती है। मुंह और गले में दर्द होने लगता है। खाना खाते समय हल्की जलन भी होती है।
अगर म्यूकोसाइटिस के दौरान मुंह की सफाई का ध्यान न रखा जाए तो फंगल और बैक्टीरियल इंफेक्शन हो सकता है। इससे मुंह में सफेद धब्बे हो जाते हैं। साथ ही पस भी बन सकता है, जिसकी वजह से मुंह से बदबू आती है। आमतौर पर कीमोथेरेपी शुरू होने के एक हफ्ते बाद या रेडियोथेरेपी शुरू होने के दो हफ्ते बाद म्यूकोसाइटिस के लक्षण दिखने लगते हैं।
कब आती है म्यूकोसाइटिस की दिक्कत?
वहीं, अगर मरीज की डेंटल हेल्थ खराब है। वो तंबाकू, सिगरेट या शराब का सेवन करता है। पानी कम पीता है। उसका वजन, उसकी हाइट के हिसाब से कम है यानी लो बॉडी मास इंडेक्स है। किडनी की कोई बीमारी, डायबिटीज, एचआईवी या AIDS है। साथ ही, उसका कैंसर का इलाज चल रहा है तो म्यूकोसाइटिस होने का चांस बढ़ जाता है. या अगर पहले से है तो वो गंभीर हो जाता है।
म्यूकोसाइटिस का इलाज (Treatment of Mucositis)
डॉक्टर रमन नारंग बताते हैं कि म्यूकोसाइटिस अस्थाई बीमारी है, जो हमेशा नहीं रहती। कैंसर का इलाज खत्म होने के कुछ हफ्तों बाद ये भी ठीक हो जाती है। म्यूकोसाइटिस के इलाज के लिए इसके लक्षणों को दूर किया जाता है। इसके लिए दर्द दूर करने वाली और दूसरी जरूरी दवाइयां दी जाती हैं। ड्राई माउथ से बचने के लिए स्प्रे दिया जाता है। सॉफ्ट टूथब्रश, एंटीसेप्टिक माउथवॉश इस्तेमाल करने को कहा जाता है। साथ ही, ठंडी चीजें खाने-पीने को भी कहा जाता है, जैसे- आइसक्रीम, योगर्ट, पॉपसिकल्स और स्मूदीज़।