स्वास्थ्य और बीमारियां

क्या है Blood Disorder? अगर आपको भी है यह समस्या, इस तरह करें इलाज

एनीमिया एक रक्त संबंधी एक बीमारी है, जिसने दुनिया भर के लाखों लोग प्रभावित हुए हैं। एनीमिया के कारण रक्त में लाल रक्त कोशिकाओं की संख्या कम हो जाती है। यदि आपकी ब्लड टेस्ट रिपोर्ट में हीमोग्लोबिन की कमी पाई गई है, तो इसका मतलब आप एनीमिया से ग्रसित हैं।

हीमोग्लोबिन लाल रक्त कोशिकाओं का सबसे प्रमुख प्रोटीन होता है। लाल रक्त कोशिकाएं रक्त का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होती हैं और इनके प्रोटीन हीमोग्लोबिन का मुख्य कार्य शरीर के विभिन्न हिस्सों तक ऑक्सीजन पहुंचाना होता है। इसलिए जब शरीर में इस प्रोटीन की कमी हो जाती है, तो शरीर के जरूरी अंगों पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिल पाती है। इस स्थिति के कारण आपको थकान, सांस फूलना और अन्य कई स्वास्थ्य समस्याएं होने लग जाती हैं। एनीमिया कई कारणों से हो सकता है, लेकिन इसका प्रमुख कारण शरीर में आयरन की कमी माना जाता है। अगर एनीमिया गंभीर नहीं है तो जीवनशैली में अच्छे बदलाव और पोष्टिक आहार लेकर इस स्थिति का इलाज किया जा सकता है। समय पर एनीमिया का इलाज जरूरी है और ऐसा न होने पर कई गंभीर जटिलताएं हो सकती हैं।

एनीमिया के प्रकार

  • आयरन-डिफिशिएंसी एनीमिया
  • विटामिन-डिफिशिएंसी एनीमिया
  • अप्लास्टिक एनीमिया
  • हीमोलिटिक एनीमिया
  • सिकल सेल एनीमिया
  • क्रोनिक डिजीज से होने वाला एनीमिया

एनीमिया की स्टेज

आयरन की कमी से होने वाली एनीमिया की गंभीरता के अनुसार उसे तीन अलग-अलग चरणों में वर्गीकृत किया गया है, जो इस प्रकार है –

  • स्टेज 1 – यह एनीमिया का पहला चरण है, जिसमें शरीर में आयरन व फेरिटिन लेवल कम हो जाते हैं। इस स्टेज में आमतौर पर लक्षण बहुत ही कम महसूस हो पाते हैं।
  • स्टेज 2 – एनीमिया के इस चरण में ट्रांसफरिन लेवल कम हो जाता है, जिससे शरीर में आयरन का संचार कम हो जाता है। साथ ही इस स्थिति में हीमोग्लोबिन
  • स्टेज 3 – आयरन-डिफिशिएंसी एनीमिया की तीसरी स्टेज में लाल रक्त कोशिकाएं आकार में छोटी पड़ जाती हैं। इस चरण में व्यक्ति को गंभीर रूप से थकान और सिरदर्द होता है और साथ ही उसकी प्रतिरक्षा प्रणाली भी कमजोर पड़ जाती है।

एनीमिया के लक्षण

  • थकान
  • ऊर्जा की कमी महसूस होना
  • दिल की धड़कन तेज होना
  • सांस फूलना
  • सिरदर्द होना (विशेष रूप से व्यायाम करने के दौरान)
  • ध्यान लगाने में कठिनाई (जैसे किताब पढ़ने या कुछ देखने)
  • चक्कर आना
  • त्वचा पीली पड़ना
  • टांगों की मांसपेशियों में ऐंठन आना
  • रात के समय नींद न आना (अनिद्रा)
  • हाथ व पैर ठंडे महसूस होना
  • नाखून कमजोर होना
  • बाल टूटना
  • मिट्टी या अन्य कोई चीज खाने का मन करना

यदि आपको या आपके बच्चे को उपरोक्त में से कोई भी लक्षण महसूस हो रहा है, तो आपको बिना देरी किए डॉक्टर से संपर्क कर लेना चाहिए।

एनीमिया के कारण

एनीमिया कई अलग-अलग कारणों से विकसित हो सकता है। हालांकि, इसके सबसे आम कारणों में निम्न को शामिल किया जा सकता है –

  • रक्त की कमी (चोट या अन्य किसी कारण से रक्तस्राव होना)
  • शरीर में आयरन की कमी
  • लाल रक्त कोशिकाओं की आकृति सामान्य न होना
  • शरीर में विटामिनों की कमी विशेष रूप से बी 12 या बी 9
  • किसी अन्य बीमारी के कारण लाल रक्त कोशिकाएं नष्ट होना

एनीमिया के जोखिम कारक

ऐसी कई स्वास्थ्य समस्याएं हैं, जिनके कारण शरीर में वे हार्मोन बनना बंद हो जाते हैं, जो लाल रक्त कोशिकाओं के विकसित होने के लिए जरूरी होते हैं। ये रोग होना आपको एनीमिया होने के जोखिम को बढ़ा सकते हैं –

  • किडनी के गंभीर रोग
  • हाइपोथायराइडिज्म
  • कैंसर
  • इन्फेक्शन
  • ल्यूपस
  • डायबिटीज
  • रूमेटाइड अर्थराइटिस

इसके अलावा विषाक्त पदार्थों के संपर्क में आना और बढ़ती उम्र को भी एनीमिया के जोखिम कारकों के रूप में जाना जाता है।

एनीमिया की जांच

एनीमिया का निदान करने के लिए डॉक्टर सबसे पहले आपकी शारीरिक जांच करते हैं और आपके साथ-साथ आपके परिवार संबंधी स्वास्थ्य समस्याओं (मेडिकल हिस्ट्री) के बारे में पूछते हैं। एनीमिया के जोखिम कारकों की जांच करने के लिए आपकी जीवनशैली के बारे में भी पूछा जाता है। यदि आपको महसूस हो रहे लक्षण या जीवनशैली से जुड़े कारक एनीमिया का संकेत देते हैं, तो स्थिति की पुष्टि करने के लिए कुछ अन्य टेस्ट किए जा सकते हैं, जिनमें निम्न शामिल हैं –

  • कंप्लीट ब्लड काउंट
  • सीरम आयरन लेवल
  • फेरिटिन टेस्ट
  • विटामिन बी-12 टेस्ट
  • बोन मेरो बायोप्सी

एनीमिया की रोकथाम

एनीमिया कई बार कुछ अनुवांशिक विकारों के कारण हो सकता है, जिसकी रोकथाम करना संभव नहीं होता है। हालांकि, इसके कुछ कारणों की रोकथाम करना संभव है जिसके लिए आप निम्न बातों का ध्यान रख सकते हैं –

  • पौष्टिक व संतुलित आहार लें, नियमित रूप से व्यायाम करें और अपनी जीवनशैली में अच्छे बदलाव लाएं
  • आहार की मदद से विटामिन सी लें, जो आयरन को अवशोषित करने के लिए शरीर की क्षमता को बढ़ाने में मदद करता है
  • कैफीन वाले पेय व खाद्य पदार्थों जैसे चाय, कॉफी और चॉकलेट आदि को अधिक मात्रा में न खाएं, क्योंकि ये शरीर की पोषक तत्व अवशोषित करने की क्षमता को प्रभावित कर देती है।
  • अगर आप किसी ऐसी जगह काम करते हैं, जहां पर विषाक्त पदार्थों के संपर्क में आने का खतरा है तो ऐसे में पर्याप्त सुरक्षा दिशानिर्देशों के पालन करें
  • शरीर में पोषक तत्वों की कमी होने से बचने के लिए आप डॉक्टर की सलाह के अनुसार मल्टीविटामिन ले सकते हैं।

एनीमिया का इलाज

एनीमिया का इलाज प्रमुख रूप से उसके अंदरूनी कारणों और रोग की गंभीरता पर निर्भर करता है। एनीमिया के कारणों के अनुसार उसका इलाज निम्न तरीके से किया जा सकता है –

  • रक्त की कमी के कारण हुए एनीमिया का इलाज – अगर शरीर के किसी हिस्से में गंभीर रूप से ब्लीडिंग हुई है, तो उसका इलाज करने के लिए डॉक्टर सबसे पहले बह रहे रक्त को रोकते हैं। इसके बाद शरीर में रक्त की कमी की पूर्ति करने के लिए मरीज को खून चढ़ाया जाता है और साथ ही मरीज को ऑक्सीजन थेरेपी दी जाती है।
  • आयरन की कमी के कारण होने वाला एनीमिया का इलाज – इस कारण से हुए एनीमिया का इलाज करने के लिए आमतौर पर सप्लीमेंट्स की मदद ली जाती है। इस स्थिति में आमतौर पर आयरन के सप्लीमेंट्स को विटामिन सी के साथ दिया जाता है, ताकि शरीर उसे आसानी से अवशोषित कर पाए। इसके साथ-साथ डॉक्टर मरीज को आयरन व विटामिन सी से भरपूर खाद्य पदार्थ देने का सुझाव भी देते हैं।
  • सिकल सेल एनीमिया का इलाज – एनीमिया के इस प्रकार के इलाज का मुख्य लक्ष्य लक्षणों को नियंत्रित करना होता है। इस दौरान मरीज को हो रहे लक्षणों जैसे मतली, उल्टी, दस्त और सिरदर्द आदि को नियंत्रित करने के लिए दवाएं दी जाती हैं।
  • विटामिन की कमी के कारण हुए एनीमिया का इलाज – इस स्थिति के इलाज का मुख्य लक्ष्य मरीज के शरीर में विटामिनों की पूर्ति करना होता है। इसके लिए मरीज को दवाओं, सप्लीमेंट्स और आहार की मदद से जरूरी विटामिन दिए जाते हैं। साथ ही आहार को सही तरीके से पकाने के तरीके भी बताए जा सकते हैं, क्योंकि अधिक पकाने से कुछ पोषक तत्व कम हो जाते हैं।

एनीमिया का इलाज न होने पर होती हैं ये जटिलताएं

अगर समय रहते एनीमिया का इलाज न किया जाए तो उससे कई जटिलताएं होने का खतरा बढ़ जाता है, जिनमें आमतौर पर निम्न शामिल है –

  • शरीर का कोई अंदरूनी अंग नष्ट हो जाना
  • दिल की धड़कन असामान्य हो जाना
  • प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर पड़ना
  • गर्भावस्था से जुड़ी जटिलताएं होना

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