पूरे उत्तर भारत में भीषण गर्मी और लू का प्रकोप जारी है। ऐसे मौसम में कई स्वास्थ्य समस्याएं लोगों के सामने आती हैं। इससे बच्चों से लेकर बुजुर्ग प्रभावित हो रहे हैं। गर्मी की वजह से डिहाइड्रेशन, पेट दर्द, उल्टी, बुखार और डायरिया तो सामान्य बीमारी है। लेकिन इन दिनों बड़ी संख्या में लोग मिर्गी, दिमागी दौरे, अस्थिरता और ब्रेन स्ट्रोक की चपेट में आ रहे हैं।
गर्मी के मौसम में ये कोई नई बात नहीं है। गर्मी का प्रकोप चाहे जितना हो कोई घर के अंदर कैद नहीं हो सकता। लोग नियमित दफ्तर या काम के लिए घर से बाहर जरूर निकलते हैं। लेकिन ऐसे मौसम में अधिक सावधानी बरतने की जरूरत होती है क्योंकि लापरवाही जानलेवा हो सकती है।
आज इसी पर बात करने के लिए आरोग्य इंडिया प्लेटफोर्म से जुड़े हैं डॉक्टर अचल गुप्ता। ये लखनऊ स्थित विभूति खंड में Neuron Brain and Spine Centre में पिछले कई वर्षों से मरीजों को उनकी समस्याओं से निजात दिला रहे हैं। बता दें कि डॉ. अचल गुप्ता अपने समर्पण और दयालु स्वभाव के लिए जाने जाते हैं। वह अपने प्रत्येक मरीज के मामले की अनूठी आवश्यकताओं के अनुसार, रोगी-केंद्रित और व्यक्तिगत उपचार योजना बनाने में विश्वास करते हैं। आज वो बतायेंगे कि आखिर गर्मियों में ब्रेन स्ट्रोक के मामले क्यों आ रहे हैं? स्ट्रोक के लक्षण क्या हैं और स्ट्रोक से कैसे बचा जा सकता है?
अभी डॉक्टर अचल गुप्ता बताते हैं कि अभी हाल ही में एक स्टडी पब्लिश हुई है जिससे पता चला है कि लगातार बदलते तापमान से ब्रेन स्ट्रोक ज्यादा बढ़ जाते हैं। जैसे राजस्थान, गुजरात और उत्तर प्रदेश जहां पर हीट वेव ज्यादा रहती है, उससे ब्रेन स्ट्रोक एकदम से ज्यादा बढ़ जाते हैं। उसका कारण है कि जिस तरह से ब्रेन स्ट्रोक, हीटवेव बढ़ती है उसी तरह धीरे-धीरे गर्मी के कारण लोगों में डिहाइड्रेशन हो जाता है जिससे खून गाढ़ा हो जाता है। खून गाढ़ा होने के कारण स्ट्रोक के चांसेस बढ़ जाते हैं।
बढ़ते तामपान के कारण ब्रेन स्ट्रोक की समस्या न हो, इसके लिए क्या करना चाहिए?
इस गर्मी से बचने का बस एक ही इलाज है डिहाइड्रेशन से बचना। डिहाइड्रेशन से बचने के लिए आप बहुत सारा पियें, लगभग 4-5 लीटर तक पानी। 4 गिलास पानी 1 लीटर बनता है, तो मतलब आपको 15 से 20 गिलास पानी पीना है। दूसरा तरीका है धूप से बचना और इससे बचने के लिए हल्के रंग के कपड़े पहनें, सिर पर कैप्स का इस्तेमाल करें, जब तक बहुत जरूरी न हो धूप में न निकलें, कोई भारी काम धूप में न करें। साथ ही फल और सब्जियां का अहम रोल है तो ऐसे फल और सब्जियां खायें जिमें पानी का मात्रा अधिक है, जैसे- तरबूज, खारी।
ब्रेन स्ट्रोक दिमाग को रक्त की आपूर्ति करने वाली नसों के फटने या फिर थक्का जमने की वजह से होता है। इसमें लक्षणों की पहचान करने के साथ तत्काल इलाज की जरूरत होती है। देरी होने पर मरीज की जान भी जा सकती है। ब्रेन स्ट्रोक के मरीज को साढ़े चार घंटे के भीतर ऐसे अस्पताल ले जाया जाए जहां न्यूरो के विशेषज्ञ हों तो बचने की उम्मीद अधिक होती है। इस पर भी डॉ अचल ने प्रकाश डाला है।
सबसे पहले ये समझना जरूरी है कि ब्रेन स्ट्रोक क्या होता है। तो आपको बता दें कि ब्रेन स्ट्रोक दो तरह का होता है – इस्केमिक स्ट्रोक और हीम्रेजिक स्ट्रोक। इस्केमिक स्ट्रोक तब होता है जब खून की नाली बंद हो जाये और ब्रेन सेल्स को खून न पहुंचे। हीम्रेजिक स्ट्रोक उन पेशेंट्स में ज्यादातर होता है जिनमें ब्लड प्रेशर की बीमारी होती है। लगातार उच्च रक्तचाप होने से ब्रेन में खून की नालियां फट जाती हैं। अगर बायें तरफ ब्लड क्लॉट हुआ है तो दायें तरफ का हाथ-पैर काम करना बंद कर देता है।
गर्मियों में किस तरह का स्ट्रोक सामान्य है?
डॉक्टर बताते हैं कि शरीर में जब पानी की कमी होती है तो डिहाइड्रेशन होता है जिससे खून गाढ़ा हो जाता है। ऐसा होने पर क्लोटिंग बहुत आसानी से हो जाती है और इस्केमिक स्ट्रोक बहुत आम हो जाता है।
इस मौसम में न्यूरो से संबंधित मरीजों के लिए दवाइयां और परहेज़ कितना जरूरी है?
60 साल से ऊपर के जो मरीज हैं, शुगर के मरीज हैं, ब्लड प्रेशर के मरीज हैं, इनको ब्रेन स्ट्रोक का हाई रिस्क होता है। इनको खास तरह से ध्यान रखना है कि शुगर कंट्रोल में रहे, ब्लड प्रेशर कंट्रेल में रहे और वे नियमित रुप से अपनी दवायें लें।