स्वास्थ्य और बीमारियां

गांव की अपेक्षा शहरी महिलाओं में Breast Cancer का जोखिम अधिक, जानें क्या कहती है रिपोर्ट

महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर के मामले काफी तेजी से बढ़ते जा रहे हैं, जिसमें भारत में भी यह समस्या अपने उच्चतम स्तर पर है। ब्रेस्ट कैंसर महिलाओं को होने वाला सबसे आम प्रकार का कैंसर है। यह कैंसर तब विकसित होता है जब महिलाओं के स्तन में मिल्क प्रोड्यूस करने वाले टिश्यू नकारात्मक रूप से प्रभावित होने लगते हैं। इस कैंसर के खतरे को देखते हुए भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) ने हाल ही में एक अध्ययन किया जिसमें ये बात सामने आई कि दिल्ली समेत भारत के अन्य चार राज्यों में स्तन कैंसर के मामले और राज्यों की तुलना में ज्यादा देखने को मिल रहे हैं।

वहीं रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि शहरी क्षेत्र में रह रही महिलाओं को गांव में रहने वाली महिलाओं की तुलना में ब्रेस्ट कैंसर होने की संभावना ज्यादा हो सकती है। इस रिपोर्ट के मुताबिक तमिलनाडु, तेलंगाना, कर्नाटक और दिल्ली जैसे राज्यों की महिलाओं को ब्रेस्ट कैंसर का खतरा सबसे ज्यादा है। इस अध्ययन में एक और चौंकाने वाला आंकड़ा सामने आया कि साल 2025 तक भारत में 56 लाख ब्रेस्ट कैंसर के मामले दर्ज किए जा सकते हैं।

क्या हैं शोध के आंकड़े

शोध के आंकड़ों के मुताबिक साल 2016 में ब्रेस्ट कैंसर के मरीजों की संख्या प्रति 1 लाख पर 515.4 हुआ करती थी। जिसकी बढ़ती दर को देखते हुए बताया गया है कि यदि इस दर से इसके मामले बढ़ते हैं तो ब्रेस्ट कैंसर के रोगियों की संख्या साल 2025 तक 56 लाख तक पहुंचने की संभावना है। वहीं इस रिपोर्ट के मुताबिक ग्रामीण इलाकों में रह रही महिलाओं को शहर की महिलाओं के मुकाबले स्तन कैंसर का खतरा काफी कम होता है। जिसका प्रमुख कारण शहरी क्षेत्रों की जीवन शैली, शादी का समय और बच्चे को जन्म देने में होने वाली देर है। वहीं शहर की कामकाजी महिलाएं अपने बच्चे को स्तनपान नहीं करा पाती हैं, जो आज लगातार बढ़ते ब्रेस्ट कैंसर का सबसे अहम कारण है।

नियंत्रण के उपाय

हेल्थ एक्सपर्ट्स की मानें तो ब्रेस्ट कैंसर की बढ़ती घटनाओं का कारण हेल्थ मामलों में जागरूकता की कमी है। जिसके लिए तत्काल प्रभाव से एक गंभीर जागरूकता अभियान चलाया जाना चाहिए। हमारे देश में स्तन कैंसर की मरीज अधिकांश महिलाएं कैंसर की मेटास्टैटिक स्टेज से पीड़ित हैं। जो सीधा संकेत है कि महिलाओं में इस कैंसर के प्रति जागरूकता की बेहद कमी है। इसलिए इस गंभीर समस्या को रोकने के लिए जितनी अधिक जागरूकता फैलाई जा सके उतनी ही आसानी इसे कंट्रोल किया जा सकता है।

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