ड्यूक यूनिवर्सिटी मेडिकल सेंटर के शोधकर्ताओं की टीम ने एक खून की जांच विकसित की है जो घुटने के गठिया का कम से कम आठ साल पहले ही पता लगा सकती है, वो भी तब जब एक्स-रे में भी इस बीमारी के लक्षण दिखाई नहीं देते। अमेरिकी शोधकर्ताओं ने घुटने के गठिया का जल्दी पता लगाने के लिए एक रक्त परीक्षण विकसित किया।
‘साइंस एडवांसेज’ जर्नल में प्रकाशित इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने खून की जांच की सटीकता को प्रमाणित किया है। यह जांच गठिया के मुख्य जैव-चिह्नकों (बायोमार्कर्स) की पहचान करती है। अध्ययन में पाया गया कि यह जांच न सिर्फ बीमारी के होने का पता लगाती है बल्कि यह यह भी बता सकती है कि बीमारी कितनी तेजी से बढ़ रही है।
अध्ययन के मुख्य लेखक Virginia Byers Krau जो ड्यूक यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन में प्रोफेसर हैं, का कहना है कि, “इस खून की जांच से हम इस बीमारी का पता बहुत पहले लगा सकते हैं, जो कि अभी के हमारे जांच के तरीकों से संभव नहीं है।” इस खोज से गठिया के इलाज और रोकथाम में क्रांति आने की उम्मीद है।
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गठिया कई प्रकार का होता है, जिनमें ऑस्टियोआर्थराइटिस सबसे आम है। अमेरिका में लगभग 3.5 करोड़ वयस्क इस बीमारी से ग्रस्त हैं। अभी तक इसका कोई इलाज नहीं है, लेकिन इस नए शोध से उम्मीद जगी है कि भविष्य में जल्दी पता लगाकर और बीमारी को बढ़ने से रोककर इसका इलाज ढूंढा जा सकता है।
अध्ययन में शोधकर्ताओं ने ब्रिटेन के एक बड़े डेटाबेस का अध्ययन किया और 200 गोरी महिलाओं के सीरम का विश्लेषण किया। इनमें से आधी महिलाओं को घुटने के गठिया की समस्या थी, जबकि आधी महिलाओं को यह बीमारी नहीं थी। दोनों समूहों की उम्र और शरीर के वजन के अनुपात (BMI) का मिलान किया गया।
खून की जांच में कुछ ऐसे जैव-चिह्नक पाए गए जिनकी मदद से गठिया वाली महिलाओं की पहचान उन महिलाओं से की जा सकी जिन्हें यह बीमारी नहीं थी। ये जैव-चिह्नक गठिया के आणविक संकेतों का पता लगा सकते हैं, वो भी कई महिलाओं में एक्स-रे टेस्ट द्वारा गठिया का पता लगने से आठ साल पहले।
क raus के अनुसार यह इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे इस बात के और सबूत मिलते हैं कि जोड़ों में असामान्यताएं होती हैं जिनको एक्स-रे गठिया का पता लगाने से काफी पहले खून के जैव-चिह्नकों द्वारा पहचाना जा सकता है।