डॉक्टरों की टीम ने 16 मार्च को वेमाउथ के 62 वर्षीय रिचर्ड स्लेमैन को आनुवांशिक रूप से संशोधित सूअर की किडनी लगाने में सफलता हासिल की है।
अमरीका के बोस्टन में मेसाचुसेट्स जनरल अस्पताल के डॉक्टरों ने पहली बार इंसान में सूअर की किडनी (गुर्दा) को ट्रांसप्लांट किया है। डॉक्टरों की टीम ने 16 मार्च को वेमाउथ के 62 वर्षीय रिचर्ड स्लेमैन को आनुवांशिक रूप से संशोधित सूअर की किडनी लगाने में सफलता हासिल की है। स्लेमैन अभी स्वस्थ हैं और जल्द ही अस्पताल से छुट्टी दे दी जाएगी।
सूअर की किडनी में इंजीनियरिंग का कमाल
- इससे लाखों लोगों को होगा फायदा।
- इससे लाखों लोगों को जीवनदान मिलने की उम्मीद है।
- 1954 में इसी अस्पताल में दुनिया का पहला किडनी ट्रांसप्लांट किया गया था।
- यह सफलता चिकित्सा के क्षेत्र में एक बड़ी उपलब्धि है।
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स्लेमैन 11 वर्ष से किडनी की खराबी से जूझ रहे थे। 2018 में उनको इंसानी किडनी लगाई गई थी, लेकिन पांच वर्ष में ही यह खराब होने लगी और 2023 से स्लेमैन डायलिसिस पर आ गए। इसके बाद डॉक्टरों ने सूअर की किडनी ट्रांसप्लांट करने का निर्णय लिया। गौरतलब है कि किडनी प्रत्यारोपण के इंतजार में हर साल लाखों रोगियों की जान चली जाती है, यदि मिल भी जाए तो प्रक्रिया काफी जटिल है।
रिचर्ड को लगाई गई सूअर की किडनी को मेसाचुसेट जनरल अस्पताल के साथ ईजेनेसिस ऑफ कैंब्रिज सेंटर के वैज्ञानिकों ने विकसित किया, जिस पर ये अर्से से शोध कर रहे थे। इस प्रक्रिया में वैज्ञानिकों ने पहले सूअर से रेट्रोवायरस को निष्क्रिय किया, जो इंसान में इन्फेक्शन का कारण बन सकते थे। इसके बाद इसमें इंसान के जीन को जोड़ा गया, जिससे इसकी क्षमता में वृद्धि हुई।
लेंगोन ट्रांसप्लांट इंस्टीट्यूट के डॉ. रोबर्ट मोंटेगोमेरी ने बताया कि यह कदम जेनेट्रांसप्लांटेशन के क्षेत्र में नया अध्याय है। जेनोट्रांसप्लांटेशन का अर्थ है किसी गैर इंसानी जीव के अंगों का मानव में प्रत्यारोपण करना। मोंटेगोमेरी ने कहा कि दुनियाभर में लाखों लोगों को किडनी फेल्योर की समस्या से जूझना पड़ता है। ऐसे रोगियों के लिए यह बड़ी राहत होगी।