भारत के कई राज्यों में ठंड तेजी से बढ़ रही है. ठंड के साथ ही इस मौसम में स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं भी बढ़ने लगती हैं. जिनसे हर उम्र के लोग परेशान हो जाते हैं. सर्दी के मौसम में कान से जुड़े संक्रमण का खतरा भी बढ़ जाता है. कई लोगों के कान के अंदर और बाहर संक्रमण दिखाई देता है. इस मौसम में बैक्टीरिया या वायरस से कान में सूजन भी हो सकती है. डॉक्टरों के मुताबिक ठंड के मौसम में कान का संक्रमण होने के कारण कई मरीज इलाज के लिए आ रहे हैं.
कान के इन्फेक्शन का कारण
सर्दियों से जुड़ी कई स्वास्थ्य समस्याओं के अलावा, हाल ही में सभी आयु के लोगों में कान के संक्रमण के मामले बढ़े हैं. सर्दी का मौसम बैक्टीरिया और वायरस को बढ़ने और आगे की समस्याएं पैदा करने के लिए अनुकूल वातावरण प्रदान करता है. आमतौर पर बैक्टीरिया या वायरस सूजन से होता है, जो कानों को नुकसान पहुंचा सकता है. कान की सूजन का एक कारण यह भी है कि ठंड में शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर हो जाती है.
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एक्सपर्ट्स बताते हैं कि यदि साइनसाइटिस का इलाज नहीं किया जाता है, तो ये कानों के लिए भी मुश्किलें पैदा कर सकता है, क्योंकि कान का संक्रमण नाक और गले के संक्रमण से जुड़ा होता है. सर्दियों के मौसम में लोगों को कानों में अत्यधिक सूखापन और एलर्जिक राइनाइटिस के कारण कान में संक्रमण होता हैं. ठंड का मौसम भी कान में दर्द का कारण बनता है. ठंड के महीनों में रक्त संचार कम होने से कान में संक्रमण बढ़ सकता है.
क्या हैं लक्षण?
अपोलो स्पेक्ट्रा दिल्ली में ईएनटी सर्जन डॉ. संजीव डांग कहते हैं कि कान का संक्रमण कान में दर्द, चक्कर आना, सिरदर्द, कोमलता, सूजन, असामान्य स्राव और अस्थायी सुनवाई हानि यह कान में संक्रमण होने के लक्षण हैं. खुली जगह में ठंडी हवा के संपर्क में आने पर कान का दर्द गंभीर हो सकता है और इसके लिए जल्द से जल्द इलाज करना जरूरी है.
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क्या है बचाव
कान में संक्रमण हो तो उपचार करने वाले डॉक्टर द्वारा सुझाए गए उपचार के तरीके का पालन करें. डॉक्टर की सलाह लेकर एंटीबायोटिक्स, एंटीहिस्टामाइन और दर्द निवारक दवाई का सेवन करें.
कान के दर्द को कम करने के लिए आइस पैक या गर्म सेक जैसे हीटिंग पैड या नम कपड़े का इस्तेमाल करें. कानों में पानी जमा होने न दे. टोपी, स्कार्फ पहनकर कानों को गर्म रखें. हवा से बचाने के लिए कानों में रुई का प्रयोग ना करें. ऐसा करने से कान की नलिका में सूजन आ सकती है. अपने हाथों को साबुन और पानी से धोकर कीटाणुओं को दूर रखने की कोशिश करें.