लाइफस्टाइल में आने वाले असामान्य बदलाव किसी व्यक्ति के जीवन में प्रीडायबिटीज के जोखिम को बढ़ा देते हैं। खास बात ये है कि इसके लक्षण इतने माइल्ड होते हैं कि अधिकतर लोगों को समय रहते इस बात की जानकारी ही नहीं मिल पाती है। वहीं महिलाओं में बढ़ने वाली मधुमेह की समस्या उनकी वजाइनल हेल्थ को कई प्रकार से नुकसान पहुंचाती है।
इस बारे में स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ आस्था दयाल का कहना है कि शरीर में ब्लड शुगर का स्तर सामान्य से अधिक होना प्रीडायबिटीज के जोखिम को दर्शाता है। इसके अलावा महिलाओं के शरीर में बढ़ने वाला हार्मोनल इंबैलेंस महिलाओं में प्रीडायबिटीज की स्थिति को अलग बनाता हैं। दसका प्रभाव महिलाओं की वेजाइनल हेल्थ पर दिखने लगता है। महिलाओं को योनि का सूखापन, यूटीआई का खतरा और पेनफुल सेक्स की समस्या से होकर गुज़रना पड़ता है। इससे महिलाओं में लिबिडो की कमी बढ़ती है, जो सेक्सुअल लाइफ को प्रभावित करती है।
सेंटर फॉर डिज़ीज़ कन्ट्रोल एंड प्रिवेंशन के अनुसार 80 फीसदी लोग जो प्रीडायबिटीज के शिकार हैं या डायबीटिक हैं, उन्हें इस बात की जानकारी नहीं मिल पाती है। दरअसल, मधुमेह के लक्षण बेहद माइल्ड होते हैं। ऐसे में उनकी पहचान करना आसानी नहीं माना जाता है। इस बारे में नेशनल इंस्टीटयूट ऑफ डायबिटीज़ एंड डायजेस्टिव एंड किडनी डिज़ीज़ के मुताबिक वे महिलाएं जो मोटापे का शिकार हैं या फिर पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम से ग्रस्त हैं। उनमें प्रीडायबिटीज की संभावना बढ़ जाती है।
महिलाओं के प्रीडायबिटीक होने के संकेत
बार.बार यूरिन पास करना
वे महिलाएं जिन्हें हर थोड़ी देर में यूरिन सेंसेशन से होकर गुज़रना पड़ता है। वो भी महिलाओं में प्रीडायबिटीक होने का मुख्य संकेत है। इससे बैक्टीरिया पनपने लगता है, जिससे योनि संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। इसके चलते योनि से दुर्गंध, योनि में खुजली और गीलेपन जैसी समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है।
वेजाइनल ड्रायनेस
महिलाओं में उम्र बढ़ने के साथ वजाइनल ड्रायनेस का खतरा बढ़ जाता है। मगर डायबिटीज़ से ग्रस्त महिलाएं भी योनि के सूखेपन का शिकार हो जाती है। इससे हर पल इचिंग और रैशेज की संभावना बढ़ती है। साथ ही योनि में बढ़ने वाली ड्रायनेस से सेक्स के दौरान दर्द का सामना करना पड़ता है।
पीरियड साइकल में बदलाव आना
अनियमित पीरियड साइकल होने के अलावा हैवी ब्लीडिंग की संभावना बढ़ जाती है। ब्लड का फ्लो बढ़ने से शरीर में थकान और कमज़ोरी के लक्षण नज़र आने लगते हैं। रक्त स्त्राव का बढ़ना प्रीडायबिटीज का एक संकेत हैं। यूट्रस लाइनिंग ब्रेक होने पर हर महीने महिलाओं को पीरियड की प्रक्रिया से होकर गुज़रना पड़ता है। 5 दिन से ज्यादा हैवी ब्लीडिंग होने पर डॉक्टर से संपर्क करें।
वेजाइनल यीस्ट संक्रमण
मधुमेह से ग्रस्त महिलाओं में बार बार योनि संक्रमण से ग्रस्त होने का खतरा बना रहता है। दरअसल, ब्लड में शुगर का स्तर बढ़ने से ब्लड सर्कुलेशन गंभीर तरीके से प्रभावित होती है। इससे शरीर में संक्रमण से निपटने की क्षमता कम होने लगती है।
इस समस्या से कैसे निपटें
फिजिकली एक्टिव रहें
रेगुलर एक्सरसाइज़ की मदद से ब्लड में ब्लूकोज़ के स्तर को नियंत्रित किया जा सकता है। इससे शरीर में डायबिटीज़ की समस्या को आसानी से हल किया जा सकता है। एक्सरसाइज़ के अलावा साइकलिंग और स्वीमिंग को भी डेली रूटीन में एड कर सकते हैं।
संतुलित आहार लें
मील में ज्यादा मात्रा में नमक और चीनी लेने से परहेज करें। सोडियम की मात्रा बढ़ने से वॉटर रिटेंशन का खतरा रहता है। ऑयली और प्रोसेस्ड फूड का सेवन करने से भी प्रीडायबिटिक का खतरा बढ़ने लगता है। खाने में मौसमी फल और सब्जियों को शामिल करें। साथ ही होल ग्रेन व्हीट लें, जिसमें मौजूद फाइबर की मात्रा ब्लड में शुगर स्पाइक के खतरे से बचाती है।
शरीर को हाइड्रेट रखें
किसी भी प्रकार के संक्रमण से बचने के लिए शरीर को हाइड्रेट रखना आवश्यक है। तरल पदार्थों का सेवन करें, जिससे योनि के सूखेपन की समस्या को दूर किया जा सकता है। इसके अलावा वेजाइना में बढ़ने वाली खुजली और दुर्गंध भी दूर होती है।