स्वास्थ्य और बीमारियां

दुनिया से खत्म हो जाएंगे सभी पुरुष! उठ रहे इन सवालों की क्या है वजह?

महिला और पुरुष दोनों में से अगर कोई भी एक न हो, तो जिंदगी को आगे बढ़ाना नामुमकिन हो जाएगा. क्या होगा अगर दुनिया से सभी पुरुष विलुप्त हो जाएं और सिर्फ महिलाएं ही रह जाएं? शायद आप इसकी कल्पना भी नहीं कर सकते, लेकिन भविष्य में इस आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता है. वैज्ञानिकों के अनुसार, पुरुषों के जन्म के लिए जरूरी Y क्रोमोसोम तेजी से कम हो रहा है और यह सिलसिला चलता रहा, तो एक दिन धरती से पुरुष पूरी तरह गायब हो जाएंगे.

क्या कहती है रिपोर्ट

द कन्वर्सेशन की रिपोर्ट के मुताबिक महिलाओं के शरीर में दो X क्रोमोसोम होते हैं, जबकि पुरुषों के शरीर में एक X और एक Y क्रोमोसोम होता है. जब महिला और पुरुष के XX क्रोमोसोम मिलते हैं, तब भ्रूण फीमेल बन जाता है और जब XY क्रोमोसोम मिलते हैं, तब भ्रूण मेल बनता है. Y क्रोमोसोम को पुरुषत्व का प्रतीक माना जाता है और पुरुषों के अस्तित्व के लिए यह बेहद जरूरी होता है. पुरुषों का Y क्रोमोसोम खत्म हो जाए, तो दुनिया में लड़के पैदा होना बंद हो जाएंगे और सिर्फ लड़कियां पैदा होंगी. ऐसा सिलसिला चलता रहा, तो एक ऐसा दिन भी आ सकता है, जब दुनिया में कोई पुरुष ही नहीं बचेगा .

रिसर्च में क्या सामने आया

अब तक कई रिसर्च में यह बात सामने आ चुकी है कि Y क्रोमोसोम तेजी से खत्म हो रहा है. महिलाओं के X क्रोमोसोम पूरी तरह नॉर्मल हैं, लेकिन पुरुषों का X क्रोमोसोम तो ठीक है, लेकिन Y क्रोमोसोम धीरे-धीरे नष्ट हो रहा है. अगर पतन की यही स्पीड जारी रही, तो अगले 46 लाख साल में Y क्रोमोसोम पूरी तरह खत्म हो जाएगा. ऐसा हुआ तो पुरुषों का अस्तित्व भी खत्म हो सकता है. आपको लग रहा होगा कि 46 लाख साल तो बहुत लंबा समय है, लेकिन यह भी जानने की जरूरत है कि अभी भी पृथ्वी पर करीब 350 करोड़ साल जीवन बाकी है. इसकी तुलना में 46 लाख साल बेहद कम समय है.

अगर वैज्ञानिकों का अनुमान सही निकला, तो धरती पर जीवन खत्म होने से करोड़ों साल पहले ही पुरुष पूरी तरह विलुप्त हो जाएंगे. ऐसा नहीं है कि Y क्रोमोसोम X क्रोमोसोम की तुलना में हमेशा कमजोर रहा हो. अगर 16.6 करोड़ साल पहले दोनों क्रोमोसोम एक ही साइज के थे और इनमें बराबर संख्या में जीन होते थे. धीरे-धीरे Y क्रोमोसोम में जीन्स की संख्या कम होती गई और इसके खत्म होने का खतरा मंडरा रहा है. हालाकि इस बारे में वैज्ञानिक लगातार रिसर्च कर रहे हैं और हर साल नई-नई जानकारियां सामने आ रही हैं. कई वैज्ञानिकों के बीच भी इसे लेकर मतभेद हैं. उम्मीद है समय के साथ तस्वीर साफ होगी.

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