स्वास्थ्य और बीमारियां

नशे की लत के कारण दिमाग में होते हैं केमिकल बदलाव, बचाव के लिए करें ये उपाय

हिमाचल प्रदेश भी उड़ता पंजाब बनता जा रहा है. यहां की युवा पीढ़ी तेजी से नशे की लत का शिकार होती जा रही है. ये लत कई लोगों की जिंदगी पर भारी पड़ चुकी है. कल तक जो पहाड़ी लोग अपनी मेहनत और ईमानदारी के लिए पहचाने जाते थे उनकी युवा पीढ़ी नशे में मदहोश है. नशा जिस तेजी से फैल रहा है उसके घातक परिणाम भी सामने आने लगे हैं. हिमाचल भी इससे कहीं भी अछूता नहीं है. यहां भी नशा तेज़ी से फैल रहा है. यहां चिट्टे का प्रचलन काफी बढ़ गया है. नशा और उससे पीड़ित लोगों की संख्या में लगातार इजाफा हुआ है. इस गंभीर लत के कारण कई लोगों की मौत भी हो चुकी है.

फुटपाथ भी नशे की गिरफ्त में

नशे के दुष्परिणामों को देखते हुए भारत में सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान पर पाबंदी है. शराब, सिगरेट, तम्‍बाकू एवं ड्रग्‍स जैसे जहरीले पदार्थों का सेवन कर युवा वर्ग का एक बड़ा हि‍स्सा नशे का शिकार हो रहा है. आज फुटपाथ और रेल्‍वे प्‍लेटफार्म पर रहने वाले बच्‍चे भी नशे की चपेट में आ चुके हैं.

दवा का नशा

जिन लोगों के पास खाने पीने तक के लिए भी पैसे नहीं. वो भी नशे की गिरफ्त में हैं. नशा करने के लिए सिर्फ मादक पदार्थो की ही जरूरत नहीं होती. बल्कि व्‍हाइटनर, नेल पॉलिश, पेट्रोल आदि की गंध, ब्रेड के साथ खांसी और सिरदर्द के लोशन और दवा से भी ये लोग नशा कर रहे हैं. ये सभी बेहद खतरनाक होते हैं.

क्रॉनिक अटैक

इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज शिमला के डिप्टी एमएस डॉ प्रवीण भाटिया ने बताया नशे की लत ने इंसान को उस स्तर पर लाकर खड़ा कर दिया है कि वो मादक पदार्थों के लिए किसी भी हद तक जा सकता है. वह नशे के लिए जुर्म भी कर सकता है. नशे की लत एक क्रॉनिक, बार-बार लौटने वाली बीमारी है. इससे दिमाग में लंबे समय तक चलने वाले कैमिकल बदलाव होते हैं, जो नशे की लत को छूटने नहीं देते. लत का मतलब यह है कि दिमाग उस नशे का आदी हो जाता है. यह आपके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए तो हानिकारक और खतरनाक होता ही है, सामाजिक और आर्थिक स्थित के लिए भी अच्छा नहीं होता.

व्यावहारिक दिक्कतें

लत की वजह से बहुत सारी व्यावहारिक दिक्कतें भी हो सकती हैं. खुद पर नियंत्रण नहीं रहना, याददाश्त कमजोर होना, अपने कार्यों पर किसी तरह का नियंत्रण नहीं होना. बेवजह जोखिम मोल लेना आदी. नशे के आदी हो चुके लोगों को लत छुड़ाने के लिए दवाईयों के अलावा कुछ नॉन कंवेशनल तरीके भी दिए जाते हैं. चाहे मरीज़ भर्ती हो या अपने घर पर उनके लिए कुछ अलग सेशन रखे जाते हैं.

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