पैरों का दर्द बन सकता है जानलेवा, इस गंभीर बीमारी के जान लें लक्षण और बचाव

अगर आप चलते समय पैरों में दर्द महसूस करते हैं तो आपको अपनी जांच जरूर करवानी चाहिए और इस दर्द को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए क्योंकि ये एक गंभीर समस्या का लक्षण हो सकता है. जिसे पेरिफेरल आर्टरी डिजीज कहते हैं. इस बीमारी में शरीर के बाहरी हिस्सों में हमारी खून की नसें ब्लॉक हो जाती हैं.
क्या है पेरिफेरल आर्टरी
हमारे शरीर में जितना भी खुला हुआ बाहरी हिस्सा है उसे पेरिफेरल कहते हैं जैसे हाथ, पैर और मुंह. इन हिस्सों में खून की नसों को पेरिफेरिल आर्टरीज कहते हैं. शरीर की जब इन खून की आर्टरी में किसी तरह की ब्लॉकेज आ जाती है तो उसे पेरिफेरल आर्टरी डिजीज कहते हैं, ये बेहद ही गंभीर स्थिति होती है जिसमें इन आर्टरी में खून का बहाव रुक जाता है. ये प्रवाह आर्टरी में प्लॉक के जमा होने से रुकता है. जिससे इन हिस्सों की नसों में पर्याप्त खून नहीं पहुंच पाता जिससे नसें ब्लॉक हो जाती हैं और उनमें दर्द की अनुभूति होती है. खून न पहुंचने की स्थिति में कई बार इन नसों के टिश्यू पूरी तरह नष्ट हो जाते हैं. जिससे इंसान का चलना भी मुश्किल हो जाता है.
एक्सपर्ट की राय
सीनियर कार्डियोलॉजिस्ट डॉक्टर वरूण बंसल के मुताबिक, प्लॉक और कोलेस्ट्रॉल जमने के कारण हाथ, पैरों की नसें ब्लॉक हो जाती हैं और इनमें खून का बहाव रुक जाता है, ऐसा दिमाग में भी हो सकता है. इनमें घुटने की आर्टरीज, जांघ की आर्टरीज, हाथ की आर्टरीज भी शामिल हैं. ये ब्रेन की नसों में भी हो सकता है जिससे स्ट्रोक की समस्या होती है. स्ट्रोक में मरीज को लकवे की शिकायत होती है. पेरिफेरल आर्टरी डिजीज की वजह से पैरों की नसें कमजोर हो जाना, गैंगरिन जैसी समस्या हो सकती हैं जिसमें मरीज के पैर काटने की जरूरत भी पड़ सकती है. पेरिफेरल आर्टरी डिजीज के लिए मरीज की पेरिफेरल आर्टरी बाईपास सर्जरी और स्टंटिग की जाती है, जिसमें स्टंट की मदद से रूकी हुई नसों को खोला जाता है.
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पेरिफेरल आर्टरी डिजीज के लक्षण
- पैरों का सुन्न होना
- पैरों की त्वचा का रंग बदलना
- पैरों में लगे घाव ठीक न होना
- पैरों के बालों का झड़ना
किस वजह से होती है पेरिफेरल डिजीज
- धूम्रपान
- डायबिटीज
- हाई ब्लड प्रेशर
- हाई कोलेस्ट्रॉल
- मोटापा
- 50 साल से अधिक आयु
- परिवार में पेरिफेरल आर्टरी डिजीज का इतिहास शामिल हैं.
बचाव के तरीके
- धूम्रपान न करें.
- डायबिटीज को कंट्रोल करें.
- हाई ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करें.
- मोटापे को कम करने का प्रयास करें.
- हेल्दी जीवनशैली अपनाएं
- रोजाना व्यायाम करें.
- कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करें.