लंबे समय से चली आ रही खांसी और सांस लेने में तकलीफ आदि की परेशानी को लोग आमतौर पर अस्थमा से जोड़कर देखते हैं, लेकिन यह फेफड़े का कैंसर भी हो सकता है। दरअसल अस्थमा और फेफड़े का कैंसर के अधिकांश लक्षण एक जैसे नजर आते हैं, ऐसे में लोग इन दोनों के बीच अंतर नहीं कर पाते हैं।
WHO के अनुसार, दुनियाभर में 300 मिलियन लोग अस्थमा से पीड़ित हैं। वहीं लगभग पांच लाख लोग हर साल इसके कारण अपनी जान गंवा रहे हैं। दूसरी ओर दुनियाभर में सामने आने वाले कैंसर के कुल मामलों में से करीब 12.5% फेफड़े का कैंसर के केस होते हैं। ये आंकड़े साफ बताते हैं कि अस्थमा और फेफड़े का कैंसर दोनों ही जानलेवा बीमारियां हैं, लेकिन समय पर इनकी पहचान और अंतर करना आपको आना चाहिए।
अस्थमा और फेफड़े का कैंसर में अंतर
विशेषज्ञों के अनुसार, सांस लेने में तकलीफ होना अस्थमा का प्रमुख लक्षण है। फेफड़े का कैंसर में सांस लेने में दिक्कत के साथ ही खांसी में खून और सीने में तेज दर्द की परेशानी होती है। एलर्जी के कारण अस्थमा ट्रिगर होता है। वहीं लंग्स कैंसर का सबसे बड़ा कारण सिगरेट पीना है। इसी के साथ इन दोनों में सबसे बड़ा अंतर ये है कि अस्थमा में फेफड़ों का श्वसन मार्ग संकरा या बंद हो जाता है लेकिन लंग्स कैंसर में फेफड़ों में वृद्धि होने लगती है।
कम उम्र में होता है अस्थमा
फेफड़े का कैंसर वैसे तो किसी भी उम्र में हो सकता है, लेकिन अधिकांश तौर पर 50 से 70 की उम्र में इसके होने की आशंका सबसे ज्यादा होती है। दूसरी ओर अस्थमा किसी भी उम्र में आपको प्रभावित कर सकता है। हालांकि इसके अधिकांश मामले 20 से 30 साल की उम्र में सामने आते हैं।
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सांस में आवाज
अस्थमा अटैक आने के दौरान, अधिकांश लोगों को सांस लेने में परेशानी होने लगती है। ठीक से सांस लेने की कोशिश में तेज आवाज आती है। यही स्थिति फेफड़े का कैंसर वालों के साथ भी होती है लेकिन दोनों में बड़ा अंतर है। फेफड़े का कैंसर वाले पेशेंट्स को यह समस्या ज्यादा होती है।
इनसे ट्रिगर होता है अस्थमा
अस्थमा कई कारणों से ट्रिगर हो सकता है हालांकि हर किसी के लिए इसके कारण अलग-अलग भी हो सकते हैं। आमतौर पर धूल, मिट्टी, पॉल्यूशन, सिगरेट के धुंए आदि से अस्थमा ट्रिगर होता है। हालांकि फेफड़े का कैंसर के कारणों का स्पष्ट पता अभी तक नहीं चल पाया है।
गांठ और हड्डियों में दर्द
फेफड़े का कैंसर से पीड़ित लोगों को सांस लेने में तकलीफ के साथ ही कई अन्य परेशानियों का भी सामना करना पड़ता है। इन लोगों को अक्सर हड्डियों में तेज दर्द, कॉलरबोन या गर्दन में गांठ, तेजी से वजन कम होना, सिरदर्द और शरीर में सूजन जैसी समस्याएं आती हैं। वहीं ब्रोन्कियल अस्थमा से पीड़ित लोगों को ऐसी परेशानियां नहीं होती।
अस्थमा का इलाज है आसान
कुछ सावधानियां और समय पर दवाएं लेकर अस्थमा को कंट्रोल किया जा सकता है। वहीं लंग्स कैंसर में आपको प्रॉपर ट्रीटमेंट लेना पड़ता है। यह ट्रीटमेंट काफी लंबे समय तक चलता है।