आप अगर सोचते हैं कि सिर्फ बड़ों को ही दिल की बीमारी का रिस्क रहता है तो आप गलत हैं। दरअसल, आजकल बच्चे का दिल भी खतरे में पड़ रहा है। नवजात और छोटे बच्चों में कॉन्जेनिटल हार्ट डिजीज (Congenital Heart Disease) हो रहा है। बड़ी संख्या में बच्चों में हार्ट से जुड़ी प्रॉब्लम्स देखने को मिल रही है।
एक अध्ययन के मुताबिक, भारत में पैदा होने वाले 1 हजार बच्चों में से 8-12 बच्चों में दिल की बीमारी होती है। ऐसे में पैरेंट्स की जिम्मेदारी बढ़ जाती है। बच्चों का हार्ट कितना हेल्दी है, उसे कोई खतरा तो नहीं इसके लिए एक लाइफसेविंग टेस्ट किया जाता है, जिसकी जानकारी हर माता-पिता को होनी चाहिए।
बच्चों में हार्ट डिजीज के लक्षण (Heart Disease Symptoms in Children)
सांस लेने में परेशानी
चक्कर आना
उल्टी आना
पसीना आना
थकान महसूस होना
छाती में दर्द
बच्चों में क्यों होता है हार्ट डिजीज?
जन्मजात हार्ट प्रॉब्लम
दिल की मांसपेशियों में समस्या
हार्ट की धमनियों में रुकावट
हाई ब्लड प्रेशर
डायबिटीज
बच्चों के हार्ट की जांच (Heart Test of Children)
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, बच्चों में कुछ हार्ट बीमारियों के शुरुआती लक्षण स्पष्ट तौर पर नजर नहीं आते हैं, जिसकी पहचान के लिए जांच जरूरी हो जाती है। प्रारंभिक जांच से हार्ट से जुड़े लक्षण नजर आते हैं, जैसे- नवजात शिशुओं में असामान्य हार्ट साउंड या बड़बड़ाहट। उन बच्चों की हार्ट की जांच बचपन में ही होना आवश्यक हैं, जिनकी फैमिली हिस्ट्री में किसी को दिल की बीमारी रही है। इसके लिए बच्चे के लिए स्क्रीनिंग की सलाह दी जा सकती है। इससे बच्चों के दिल के बारें में जल्दी पता चल जाता है और समय पर उसका इलाज हो सकता है।
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बच्चों के दिल की जांच के लिए कुछ जरूर टेस्ट
ECG-(इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम)- यह टेस्ट दिल की धड़कन को मापता है और समस्याओं का पता लगाता है।
इकोकार्डियोग्राम
हार्ट की अल्ट्रासाउंड जांच
हार्ट की MRI जांच
ऐसे हेल्दी रखें बच्चों के दिल
स्वस्थ आहार दें।
नियमित एक्सरसाइज कराएं।
बच्चों को तनाव न होने दें।
हार्ट की नियमित जांच कराएं।